“370 इतिहास है। उठो, कॉफ़ी सूँघो… भारत में जैसे सब जगह बैठकें होती हैं, वैसे ही जी 20 की बैठक जम्मू-कश्मीर में होगी” विदेशमंत्री एस जयशंकर के ये बयान पाकिस्तान में चर्चा के विषय बने रहे, भारतीयों ने इनका मज़ा लिया।
पाकिस्तान में संशय था कि बिलावल जा रहे हैं कि नही। फिर खबर आई कि जा रहे हैं। भारत में शंघाई कोऑपरेशन आर्गनाइजेशन की बैठक थी। पाकिस्तानी एस्टाब्लिश्मेंट को दुनिया के सामने दिखाना था कि पाकिस्तान भारत के साथ राजनयिक और राजनीतिक पहल कर रहा है। दुनियाभर में मिट्टी पलीद करवा चुका पाकिस्तान वार्ता और व्यापार की बातों के जरिए भारत में उसके द्वारा फैलाए जिहादी आतंकवाद को कानूनी कवच पहनाना चाहता है। वो चाहते हैं कि भारत पाकिस्तान क्रिकेट खेलें, अमन की आशा जैसे तमाशे हों, ताकि दुनिया को लगे कि पाकिस्तानी आतंकवाद कोई खास बात नहीं है। बिलावल ने, जितना कहकर भेजा गया था, उतना प्रोपेगैंडा किया। जम्मू कश्मीर में जी 20 बैठक करवाने पर सवाल उठाए। पाकिस्तान को दुनिया में सबसे बड़ा आतंकवाद का शिकार बताया। उत्तर मुंहतोड़ मिला। भारत के विदेशमंत्री ने नाम लिए बिना बिलावल को आतंकवाद का प्रवक्ता कहा और वक्तव्य दिया कि “आतंकवाद के शिकार और आतंकी करतूत करवाने वालों के बीच कोई वार्ता नहीं होती।”
भारत ने दुनिया के सामने पाकिस्तान को सफलतापूर्वक आतंक का जिम्मेदार साबित किया है। पाकिस्तान में हो रही जिहादी घटनाओं को लेकर दुनिया में कोई भ्रम नहीं है। आप किसी दूसरे के घर में फेंकने के लिए बम बना रहे थे, और बारूद से खुद के हाथ जल गए, तो क्या आप अपराध के शिकार माने जाएँगे? कश्मीर पर भारत के फैसले को दुनिया ने स्वीकारा है। भारत का संदेश है कि पाकिस्तान से जब भी कश्मीर पर बात होगी तो सिर्फ पीओजेके को खाली करवाने पर होगी।
उधर पाकिस्तान अपने वही घटिया हथकंडे दोहरा रहा है। बिलावल भुट्टो ज़रदारी को भारत भेजा गया, उधर जम्मू कश्मीर के राजौरी में उसके जिहादियों ने घात लगाकर हमला किया, जिसमें हमारे 5 जवान बलिदान हो गए. साँस के लिए छटपटाते पाकिस्तान से बेपरवाह पाकिस्तानी एस्टाब्लिश्मेंट सुधरने को तैयार नहीं। उसके दुर्दिन और दुर्गति का सिलसिला रुकता नहीं दिखता।
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