हरिद्वार जिले में श्यामपुर वन क्षेत्र में पांच और हरिद्वार शहर में पुराने सिंचाई कार्यालय परिसर में बनीं दो मजारों को ध्वस्त किया गया। इसके अलावा जो मजारें अभी रह गई हैं, उन्हें भी हटाने के लिए नगर आयुक्त ने नोटिस दिया है।
पिछले दिनों प्रशासन ने हरिद्वार के अलग-अलग स्थानों पर बनी अवैध मजारों को जमींदोज कर दिया। हरिद्वार जिले में श्यामपुर वन क्षेत्र में पांच और हरिद्वार शहर में पुराने सिंचाई कार्यालय परिसर में बनीं दो मजारों को ध्वस्त किया गया। इसके अलावा जो मजारें अभी रह गई हैं, उन्हें भी हटाने के लिए नगर आयुक्त ने नोटिस दिया है।
हरिद्वार में हर की पैड़ी के समीप अवैध रूप से बसी मुस्लिम गुज्जर बस्ती भी अतिक्रमण मुक्त कर दी गई है। इससे पहले देहरादून जिले में कालसी, सहसपुर, सेलाकोई शिवालिक वन क्षेत्र और जौनसार बावर क्षेत्र में 156 मजारें ध्वस्त की गई थीं। रामनगर, तराई वन क्षेत्र में 40 और नैनीताल वन प्रभाग में चार मजारें हटाई गई हैं। वन विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार उत्तराखंड में अब तक 245 अवैध मजारें तोड़ी गई हैं।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही हरिद्वार में एक सर्वेक्षण हुआ था। इसमें कई अवैध मजारों को चिन्हित किया गया। ज्वालापुर, बहादराबाद से हरिद्वार शहर की तरफ जाने वाली सड़कों के किनारे कई मजारें हैं। एक मजार तो ज्वालापुर आर्य नगर चौक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय के पास है, जिसे चंदन पीर बाबा के नाम से प्रचारित किया गया है। ज्वालापुर क्षेत्र में जमालपुर राजकीय विद्यालय के बीच में दरगाह बाबा रोशन अली के नाम से एक मजार है। इसी नाम से बहादराबाद ज्वालापुर कैनाल रोड पर, पुराने सिंचाई विभाग के दफ्तर परिसर में और रघुनाथ मॉल के सामने भी मजार है।
अब समझने वाली बात यह है कि रोशन अली कहीं भी एक जगह दफनाए गए होंगे या पांच जगह मंगलोर रोड पर सैय्यद शाह गुम्बद वाली मजार, जंगल और सड़क के बीच बना दी गई है। खानपुर के जंगल समंशेर में भी एक मजार है। सराय रोड पर भी मकबूल शाह के नाम से एक मजार है। सर्वेक्षण के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार जिला प्रशासन को सख्त हिदायत दी कि इन अवैध मजारों को तत्काल हटाएं। फिर हरिद्वार के जिलाधिकारी ने एक ‘स्पेशल टास्क फोर्स’ का गठन किया और इन अवैध मजारों को ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू हुई।
हरिद्वार में एक सर्वेक्षण हुआ था। इसमें कई अवैध मजारों को चिन्हित किया गया। ज्वालापुर, बहादराबाद से हरिद्वार शहर की तरफ जाने वाली सड़कों के किनारे कई मजारें हैं। एक मजार तो ज्वालापुर आर्य नगर चौक पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय के पास है, जिसे चंदन पीर बाबा के नाम से प्रचारित किया गया है। ज्वालापुर क्षेत्र में जमालपुर राजकीय विद्यालय के बीच में दरगाह बाबा रोशन अली के नाम से एक मजार है। इसी नाम से बहादराबाद ज्वालापुर कैनाल रोड पर, पुराने सिंचाई विभाग के दफ्तर परिसर में और रघुनाथ मॉल के सामने भी मजार है।
शराब और मांस की बिक्री
एक समय ऐसा था कि हरिद्वार में अंडा, मांस, मछली, मदिरा की बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध था। पर जैसे-जैसे मुस्लिम आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे ये सारी चीजें सीमावर्ती क्षेत्रों में बिकने लगी हैं। शहर के प्रमुख आर्य नगर चौक पर भी मांस की दुकानें खुल गई हैं। खबर यह भी है कि गंगा किनारे बने होटलों में भी मांसाहार परोसा जा रहा है। पिछले दिनों पुलिस ने ज्वालापुर क्षेत्र में मांस की दुकानों पर छापा मारा। दुकानदार नियमों को ताक पर रखकर पशु काट रहे थे। इस कारण पुलिस ने उनसे जुर्माना भी वसूला। हरिद्वार जिले में कत्लखाना प्रतिबंधित है। हालांकि यहां के मांस दुकानदारों को सहारनपुर से पशु मांस लाने की छूट है।
हरिद्वार नगरपालिका/ निगम के 1916 के एक्ट के अनुसार हरिद्वार पालिका परिधि में कोई गैर-हिंदू नहीं रह सकता, न ही कोई गैर-हिंदू मजहबी स्थल बन सकता है। यह एक्ट महामना पंडित मदन मोहन मालवीय और ब्रिटिश हुकूमत के बीच करार के बाद बना था। इसे हर गंगा तीर्थनगरी में लागू किया गया और यह ऋषिकेश में भी लागू है।
अब कुछ लोग कह रहे हैं कि जब यह एक्ट बना था, उस समय पालिका परिधि तीन किमी थी, जो अब बढ़ कर करीब दस किमी हो गई है, लेकिन एक्ट तो परिधि क्षेत्र में ही प्रभावी होगा। आशा है कि प्रशासन हरिद्वार की धार्मिक पहचान को बनाए रखने के लिए कोई कोताही नहीं करेगा।
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