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आगरा में खुदाई के दौरान उमा-महेश्वर की सैकड़ों साल पुरानी प्रतिमाएं मिलीं, इलाके में पूजा-अर्चना शुरू

मुगलकाल से पहले की बताई जा रहीं एक ही लाल शिला पर बनीं प्रतिमाएं, जांच में जुटी पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम

by विशेष संवाददाता
May 9, 2023, 09:54 am IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
आगरा में खुदाई के दौरान सैकड़ों साल पुरानी उमा-महेश्वर की प्रतिमाएं मिलने के बाद आस्था का ज्वार उमड़ रहा है, लोग भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना में जुटे हैं।

आगरा में खुदाई के दौरान सैकड़ों साल पुरानी उमा-महेश्वर की प्रतिमाएं मिलने के बाद आस्था का ज्वार उमड़ रहा है, लोग भगवान शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना में जुटे हैं।

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आगरा। यूपी के आगरा जिले में खुदाई के दौरान सैकड़ों साल पुरानी उमा-महेश्वर की प्रतिमाएं मिली हैं। लाल बलुआ पत्थर (रेड सैंड स्टोन) की एक ही शिला पर बनी प्रतिमाएं दो फुट ऊंची हैं और उन्हें मुगल काल से पूर्व का बताया जा रहा है। जमीन में दबी प्रतिमाएं मिलते ही इलाके में हर-हर महादेव के जयकारों के साथ लोग पूजा-अर्चना में जुट गए हैं। पता होते ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण(एएसआइ) की टीम भी जांच को वहां पहुंच गई है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक, आगरा-ग्वालियर रोड पर स्थित कबूलपुर गांव के रहने वाले किसान भगवानदास अपने मकान की मरम्मत को खेत से मिट्टी निकाल रहे थे। जेसीबी से खुदाई के दौरान जमीन में करीब पांच फीट नीचे प्रतिमा नजर आईं। तुरंत ही खुदाई बंद कर दी गई। गांववाले जमीन में मिलीं प्रतिमाएं भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की मान रहे थे मगर बाद में प्रतिमा के उमा-महेश्वर (शिव-पार्वती) की होने की पुष्टि हुई । मुगलकाल से पहले ही मानी जा रहीं प्रतिमा में भगवान शिव और पार्वती दोनों आभूषण पहने हैं। खेत की खोदाई में प्राचीन प्रतिमा निकलने की सूचना इलाके में फैली तो बड़ी संख्या में लोग जुट गए और पूजा-अर्चना शुरू कर दी। हर-हर महादेव के जयकारे गूंजने लगे।

आगरा में इस तरह की प्रतिमा का मिलना बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आगरा में खुदाई के दौरान देवी-देवताओं की प्रतिमाएं इससे पहले भी  मिल चुकी हैं। दो साल पहले जगनेर इलाके के नौनी खेरा गांव में तालाब की खोदाई में 11वीं शताब्दी की लाल बलुआ पत्थर की बनी शिव परिवार की प्रतिमाएं निकली थीं। नागरिकों की सूचना पर पुरातत्व विभाग की टीम कबूलपुर गांव पहुंचकर जांच में जुट गई है। बताया गया है कि प्रतिमा लगभग 18वीं सदी की है। प्रतिमाएं मिलने से क्षेत्र में आस्था के रंग फूट रहे हैं और लोग उमा-महेश्वर की पूजा को उमड़ रहे हैं।

Topics: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभागआगरापूजा-अर्चनाआस्थाArchaeological Survey of Indiaशिव-पार्वती की प्रतिमाखुदाईमुगलकालजमीन की खुदाई
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