“अगर आप अपनी आस्था में दृढ़ नहीं हैं तो कोई आपको भ्रमित कर सकता है – यह एक तकनीक है। दूसरी तकनीक है प्यार में फंसाना। तीसरी तकनीक है जैसा कि इस फिल्म में भी दिखाया गया है कि लड़की बहुत ही समझदार एवं शांत है, फिर भी उसको धोखे से नशा कराकर दुष्कर्म करते हैं” : अदा शर्मा, अभिनेत्री
हाल ही में फिल्म द केरल स्टोरी का ट्रेलर आया जिसमें शालिनी उन्नीकृष्णन से फातिमा बनी एक लड़की जब अपनी कहानी सुनाती है तो जिस-जिस ने वह ट्रेलर देखा, दहल गया। यह कहानी लव जिहाद की है, यह कहानी ब्रेनवाश होने की है, यह कहानी है लड़कियों को इस्लाम कबूल कराकर उनका कन्वर्जन करने की, और फिर आतंकवादी बनाने की। इस ट्रेलर के आते ही विवाद शुरू हो गया। सवाल उठने लगे कि क्या ये कहानी सच है जैसा कि दावा किया गया है? इस कहानी में शालिनी से फातिमा बनी लड़की की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री अदा शर्मा से पाञ्चजन्य की ओर से तृप्ति श्रीवास्तव ने इस फिल्म और इस फिल्म से जुड़े तमाम पहलुओं पर बात की। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के संपादित अंश।
प्रश्न – फिल्म द केरल स्टोरी को सत्य आधारित बताया जा रहा है। जब स्क्रिप्ट आपके पास आयी तो क्या इस सच के बारे में पता था या सच का सामना स्क्रिप्ट देखने के बाद हुआ ?
सचाई का पता स्क्रिप्ट देखने के बाद ही हुआ। हमें पता है कि ये सब होता है परंतु ये नहीं पता होता कि ये कितना गंभीर है। मैं मुंबई में रहती हूं, वहां हत्याएं होती हैं। अब मैं घर से सोच कर निकलूं कि रास्ते में हत्या हो सकती है परंतु ऐसा होता नहीं है। यानी यह आम बात नहीं है। केरल में भी कुछ ऐसा ही है। केरल बहुत खूबसूरत जगह है। लेकिन केरल में यह भी हो रहा है। इसमें शालिनी उन्नीकृष्णन और उनकी सहेलियों की कहानी है। ऐसी बहुत सारी लड़कियों की कहानी है जिनका ब्रेन वॉश करके या ड्रग की लत लगाकर आसानी से उन्हें अपने अनुसार ढाला जाता है। उनको उनकी मर्जी के खिलाफ गर्भवती किया जाता है। प्यार का झांसा देकर उनको फंसाते हैं और उन लड़कों को ये सब करने के लिए पैसे मिलते हैं। मैं इस तरह के कृत्यों का समर्थन नहीं करती। मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्म करके मैं लोगों को जागरूक करूंगी और मुझे आशा है कि यह फिल्म देखकर कुछ लड़कियां ऐसा कुछ करने से पहले शायद सोचें। इस फिल्म से इन चीजों से बचने की प्रेरणा मिलेगी।
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प्रश्न – अमूमन कलाकार फिल्म करने से पहले स्क्रिप्ट को पढ़ते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि हम इस भूमिका को कर सकते हैं या नहीं। यह कहानी सामने आने पर आपके मन में पहला विचार क्या आया ?
एक अभिनेत्री के तौर पर मैं केवल ऐसी स्क्रिप्ट नहीं चुनती जिनसे मैं जुड़ाव महसूस करूं। मेरी पहली फिल्म 1920 थी जिसमें मेरे भीतर भूत था। मैं उससे जुड़ाव महसूस नहीं कर पायी लेकिन मैंने कहा कि इसे मुझे हर हाल में करना है। मैं सिरीज कमांडो 2 एंड 3 में बड़े-बड़े लड़कों मार रही हूं। वास्तविक जीवन में मैं हिंसक नहीं हूं। लेकिन द केरल स्टोरी की कहानी से निश्चित रूप से मैं जुड़ाव महसूस करती हूं। और मुझे लगता कि हर लड़की, जो इस फिल्म को देखेगी, वह भी स्वयं को जुड़ा महसूस करेगी। हर लड़की प्यार में पड़ती है, हर लड़की गलतियां भी करती है। पर क्या गलती की सजा इतनी बड़ी होनी चाहिए? जब आप अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हों तो पता नहीं होता कि कल तक आपको जिंदा भी रखेंगे या नहीं। आपको आपकी मर्जी के खिलाफ किसी और देश में ले जाया जाता है जहां लड़कियों के लिए मोबाइल रखना कानून के खिलाफ है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी नहीं है।
प्रश्न – इस फिल्म का ट्रेलर करीब पौने दो करोड़ लोग देख चुके हैं। लोगों का कहना है कि जब उस ट्रेलर में शालिनी फातिमा बनने का अपना सफर बताती है तो हर कोई कांप जाता है कि ऐसा भी होता है ? आपने जब ये भूमिका करनी शुरू की थी तो क्या आप कुछ ऐसी लड़कियों से मिली थीं जो ऐसी सत्य घटनाओं की पात्र रह चुकी हैं ?
इस फिल्म को बनाने से पहले सुदीप्तो सर ने सात साल तक शोध किया था। उसको भी मैंने पढ़ा। उन पीड़िताओं से भी मिली। हमें इतना समर्थन मिलने का कारण यह भी है कि इस संबंध में, पीड़िताओं के बारे में काफी सारी सामग्री पब्लिक डोमेन पर ऑनलाइन भी उपलब्ध है। तो जो भी कह रहा है कि यह सत्य नहीं है, उनके सामने भी यह सामग्री है, उन्हें पता है कि ये लड़कियां हैं, उनकी मांएं रो रही हैं। यह सामग्री सबके लिए उपलब्ध है। मुझे लगता है कि फिल्म के जरिए, अपनी कला के जरिए हम इस पर ज्यादा जागरुकता फैला सकते हैं। अब चूंकि हम लोग इस पर फिल्म लेकर आ रहे हैं, इसलिए यह चर्चा का विषय बन गया है।
ऐसी बहुत सारी लड़कियों की कहानी है जिनका ब्रेन वॉश करके या ड्रग की लत लगाकर आसानी से उन्हें अपने अनुसार ढाला जाता है। उनको उनकी मर्जी के खिलाफ गर्भवती किया जाता है। प्यार का झांसा देकर उनको फंसाते हैं और उन लड़कों को ये सब करने के लिए पैसे मिलते हैं। मैं इस तरह के कृत्यों का समर्थन नहीं करती। मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्म करके मैं लोगों को जागरूक करूंगी और मुझे आशा है कि यह फिल्म देखकर कुछ लड़कियां ऐसा कुछ करने से पहले शायद सोचें। इस फिल्म से इन चीजों से बचने की प्रेरणा मिलेगी।
प्रश्न – जब आप पीड़िताओं से, उनके परिवारों से मिलीं तो किस तरह की बातचीत हुई थी और आपका ऊपर उसका क्या असर पड़ा?
मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी उस पीड़िता की मां की आंखों में दर्द या जब उस लड़की ने अपने जीवन की पूरी कहानी बतायी। उसने अपने जीवन पर पुस्तक भी लिखी, उसे मैंने पूरा पढ़ा। पुस्तक में विस्तार से बताया गया है कि उसको किस तरह से फंसाया गया था, शुरुआत कैसे हुई। कुछ लोग बोलते हैं कि इतनी आसानी से कौन फंस सकता है, आप शिक्षित नहीं हैं क्या। जबकि इसका शिक्षित होने से कोई लेना-देना नहीं है। परंतु मुझे लगता है कि शिक्षित होना और मैनिपुलेट होने समान चीज नहीं है। आप बहुत शिक्षित हो सकते हैं या किसी बड़ी कंपनी में सीईओ हो सकते हैं लेकिन यदि कोई एक बार आपका आत्मविश्वास गिरा दे तो शायद आपके दिमाग को मैनिपुलेट करना आसान हो सकता है। जैसे शालिनी उन्नीकृष्णन तिरुअनंतपुरम से है और अपनी मां और दादी के साथ रहती है। वह पहली बार शहर जाती है और कॉलेज छात्रावास में तीन रूममेट के साथ रह रही है। उसके लिए यह पहला मौका है जिसमें वह लड़कों से मिल रही है, बातचीत कर रही है। तो यह सहज है कि उसका दिमाग हम लोगों से ज्यादा आसानी से धोखा खा जाए।
प्रश्न – ये बहुत गंभीर मुद्दा है। लव जिहाद की बात यह उत्तर भारत में भी आती है, शुरुआत केरल से हुई थी। लेकिन एक नेक्सस के तहत लड़कियों को प्रेम जाल में फंसा कर, उन्हें कन्वर्ट करके उन्हें आईएसआईएस में शामिल कराना अपने-आप में एक अलग और डरा देने वाली बात थी। जिस तरह लव जिहाद को कई लोग खारिज कर देते हैं, वैसे ही इस फिल्म में आपने जो शालिनी उन्नीकृष्णन का फातिमा के रूप में आईएसआईएस में शामिल होने का पूरा सफर दिखाया है, उसे भी लोग नकार रहे हैं। जिन पीड़िताओं से आप मिलीं, क्या उनमें किसी ने अपना दर्द, अपने निजी अनुभव बताए ?
यह फिल्म करने के बाद मुझे भान हुआ है कि हम बहुत सौभाग्यशाली हैं कि हमें अपने विचार अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता है क्योंकि इस फिल्म में शालिनी को लेकर जहां जाते हैं, जहां आतंकवादी संगठन हैं, वहां पर लोग अपने विचार स्वतंत्रता से नहीं रख सकते। ऐसा करने से हिंसक स्थितियां बन सकती हैं, शायद आपकी गर्दन भी काटी जा सकती है। गौरव की बात है कि जहां पर हमलोग रहते हैं वहां पर स्वतंत्र रूप से अपना विचार रख सकते हैं। तो कोई नकार रहा है, यह अच्छी बात है। हम अपने तथ्य लोगों के सामने रखेंगे। जो लोग नकार रहे हैं, वे पूरी फिल्म देखने के बाद अपना विचार रखें। अभी तो सिर्फ ट्रेलर है। ट्रेलर में तो केवल 20 प्रतिशत सचाई दिखी है।
प्रश्न – एक लड़की से बातचीत का अनुभव जिसने आपको अंदर तक झकझोर दिया हो ?
फिल्म में दो सिक्वेंसेस है। अभी मैं उसे नहीं बता सकती। यह बता सकती हूं कि जैसे आजकल हमलोग बिना मोबाइल के दस मिनट भी नहीं रह सकते। लेकिन फिल्म में लड़कियों की यह स्थिति है कि जहां वे ले जायी गयी हैं, वहां वे मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना सह रही हैं और उन्हें पता भी नहीं है कि कब उन्हें मोबाइल मिलेगा और वे अपने परिवार से संपर्क कर पाएंगी। यानी पूरी दुनिया से काट दिया जाता है।
इसके लिए जागरुकता बढ़ानी होगी। पहले तो लड़कियों को जागरूक बनाना होगा, उनके अभिभावकों को जागरूक बनाना होगा। इससे वे अपने बच्चों की आस्था को बचपन से ही दृढ़ कर सकते हैं। तीसरी बात, लड़कियां स्मार्ट हो सकती हैं यदि उन्हें पता हो कि लड़के पैसे के लिए ये कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि हर किसी पर संदेह करें। लेकिन यदि आप नये लोगों से मिल रही हैं तो प्यार में पड़ने से पहले कम से कम दो बार सोचें।
प्रश्न – जब कोई लड़की ऐसे अनुभव से गुजरती है तो उनके मनोबल और व्यक्तिगत व्यवहार में क्या अंतर आ जाता है ?
वहां लड़कियों में ड्रग के सेवन से गोली चलाकर कितने भी लोगों को मार डालना आसान हो जाता है और इसके बाद उनका ब्रेन वॉश करना ज्यादा आसान हो जाता है। ये बहुत ही डराने वाली बात है। कभी-कभी ये लड़कियां ड्रग सेवन कर ये सोचने लगती हैं कि वे जो कर रही हैं, वह सही है। जो लड़कियां वापस आयी हैं और मैं उनसे मिली हूं, वह बहुत सकारात्मक, बहुत हिम्मती हैं। लोग कह रहे हैं कि मैं बहुत हिम्मती हूं कि मैंने यह फिल्म की। लेकिन हिम्मती तो वे लड़कियां हैं, जैसे श्रुति हैं, ये लोग अपने खुद के जीवन की सचाई बता रही हैं। इनके जैसे बहुत सारी लड़कियां हैं। आप उनसे बात करेंगी तो आपको बहुत ही प्रेरणादायक लगेंगी क्योंकि उन्होंने उस खौफनाक स्थिति को भोगा है और लौटी हैं।
प्रश्न – विरोध करने वालों का कहना है कि लड़कियां पढ़ी-लिखी होती हैं और यूं ही आप इनका ब्रेन वॉश कैसे कर सकते हो? क्या ये पूरी तकनीक होती है कि आप शिक्षित-समझदार हों, तब भी उस जाल में फंस जाएं या आस्था को लेकर बहुत जागरूक न होना भी इसका एक कारण हो सकता है ?
पढ़े-लिखे लोग भी प्यार में फंसते हैं। इतना कह सकती हूं कि जो भी आपकी आस्था है, उसमें दृढ़ रहें। फिर कोई आपको हिला नहीं पाएगा, कोई आपके मन में संदेह पैदा नहीं कर पाएगा क्योंकि आप अपनी आस्था के प्रति दृढ़ हो। ये सबके लिए बहुत जरूरी है। जैसे मैं एक गौरवान्वित हिन्दू लड़की हूं। मेरा दिन शिव ताण्डव स्त्रोत और महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत से प्रारंभ होता है। मेरी आस्था बहुत ही दृढ़ है। कोई मुझे हिला नहीं पाएगा। अगर कोई मेरी आस्था के बारे में कोई गलत बात बताए तो मैं डिगूंगी नहीं, इसके लिए मेरे पास उत्तर होंगे। मैं संदेह में नहीं पड़ूंगी। मैं अपनी आस्था में पूरा विश्वास रखती हूं और कोई अन्य अपनी आस्था में विश्वास करता है तो मैं उसका सम्मान करती हूं। अगर कोई मेरी आस्था पर प्रश्न उठाए, तब मेरे पास बहुत उत्तर हैं। मेरे मां-बाप तो मुझे ऐसे पाला-बड़ा किया है कि मेरे पास उत्तर हैं। अगर आप अपनी आस्था में दृढ़ नहीं हैं तो कोई आपको भ्रमित कर सकता है – यह एक तकनीक है। दूसरी तकनीक है प्यार में फंसाना। तीसरी तकनीक है जैसा कि इस फिल्म में भी दिखाया गया है कि लड़की बहुत ही समझदार एवं शांत है, फिर भी उसको धोखे से नशा कराकर दुष्कर्म करते हैं।
प्रश्न – समाज में आए दिन अपराध होते हैं, हत्याएं होती हैं, दुष्कर्म होते हैं। लेकिन ये एक ऐसा अपराध है जिसके प्रति लोग जागरूक नहीं हैं। आपको ऐसा लगता है कि इस फिल्म को देखने के बाद समाज में जागरुकता आएगी ?
यही तो प्रार्थना है। वैसे लोग तो जागरूक हुए हैं। यदि अभी सिर्फ ट्रेलर को ही पौने दो करोड़ लोगों ने देख लिया है, जिनमें काफी सारी लड़कियां होंगी तो जरूर उनके जेहन में कुछ न कुछ तो बैठा है। तो अब यदि वे नये लोगों से मिल रही हैं या कोई प्यार का झांसा दे रहा है तो शायद उनको पहले समझ आ जाए।
प्रश्न – आप सोशल मीडिया पर हैं। फिल्म को लेकर जिस तरह से विवाद चल रहा है, उसे लेकर कोई ट्रोलिंग या परेशानी आपको हो रही है ?
निश्चित रूप से। लोग सच पर कम और झूठ पर ज्यादा फोकस करते हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिल रहा है। यदि एक नकारात्मक टिप्पणी है तो सौ सकारात्मक टिप्पणी भी है। हम जहां भी जाते हैं, लोग हमें बहुत प्यार दे रहे हैं। कुछ लोग बुरा भी बोल रहे हैं लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है हमारे देश में। हमें सोचना सिखाया गया है। मैं बहुत खुश और गौरवान्वित हूं कि मैं एक भारतीय हूं। मैं अपने देश से प्यार करती हूं और अपने देश में बहुत खुश हूं जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। हमारे अभिभावकों की ओर से हमें जो सबसे बड़ा उपहार मिला है वह स्वतंत्रता है, और हां, विचार की स्वतंत्रता भी। यह बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप स्वतंत्रता से सोचते हैं तो आप कुछ सृजनात्मक कर सकते हैं। आपका जीवन बदल जाता है।
प्रश्न – जो लड़कियां इन ट्रैप में फंस जाती हैं, उनके लिए आपको कोई समाधान भी ध्यान में आता है ?
इसके लिए जागरुकता बढ़ानी होगी। पहले तो लड़कियों को जागरूक बनाना होगा, उनके अभिभावकों को जागरूक बनाना होगा। इससे वे अपने बच्चों की आस्था को बचपन से ही दृढ़ कर सकते हैं। तीसरी बात, लड़कियां स्मार्ट हो सकती हैं यदि उन्हें पता हो कि लड़के पैसे के लिए ये कर सकते हैं। ऐसा नहीं है कि हर किसी पर संदेह करें। लेकिन यदि आप नये लोगों से मिल रही हैं तो प्यार में पड़ने से पहले कम से कम दो बार सोचें।
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