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द केरल स्टोरी : नकारने से समस्या हल नहीं होगी

क्या 32,000 पर हंगामा इसलिए मचाया जा रहा है कि निमिशा फातिमा की कहानी पर बात न हो। उनकी माँ बिन्दू संपत के आंसुओं पर बात न हो? क्या 32,000 के आंकड़ों पर शोर मचाकर इसे गलत ठहराने वाले लोग बिन्दू संपत की इस गुहार को नकार सकते हैं, जो उन्होंने भारत सरकार से लगाई थी कि उनकी बेटी अफगानिस्तान की जेल में बंद है, उसे छुड़ाया जाए।

by सोनाली मिश्रा
May 5, 2023, 11:45 am IST
in विश्लेषण
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गैर मुस्लिम लड़कियों के ब्रेनवाश कर उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलने के षड्यंत्र को लेकर बनी केरल स्टोरी फिल्म आज रिलीज हो रही है। इस फिल्म को लेकर एक बार फिर लोग कई धड़ों में बंट गए हैं। कई राजनेता इसे एजेंडा फिल्म बता रहे हैं तो वहीं कई मुस्लिम संगठन कह रहे हैं कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। शर्तें लग रही हैं कि इतने रुपए दिए जाएंगे आदि आदि! इसी बीच शशि थरूर भी यह कहते हुए कूद गए हैं कि यह उनकी केरल स्टोरी नहीं है, जबकि उन्हीं का एक ट्वीट वायरल है कि उन्होंने गुमशुदा लड़कियों के विषय में बात की थी।

केरल के मुख्यमंत्री विजयन भी इसे एजेंडा और बदनाम करने वाला बता रहे हैं। वह भी उसी 32,000 लड़कियों के आंकड़ों पर प्रश्न उठा रहे थे। आंकड़ों पर बात और चर्चा हो सकती है और होनी चाहिए, परन्तु यह भी सत्य है कि आंकड़ों के जाल में फंसाकर उन तमाम लड़कियों की पीड़ा को नकारने का प्रयास हो रहा है, जो लड़कियां अफगानिस्तान में जाकर अपनी ज़िंदगी तबाह कर चुकी हैं। और वह अपने आप नहीं पहुँची थीं, उन्हें एक बेहद सुनियोजित जाल के माध्यम से पहुंचाया गया था।
उन तमाम लड़कियों के जीवन पर बात नहीं होती जिनकी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान पूरी तरह से नष्ट कर दी गयी है। कभी प्रलोभन से तो कभी ऐसे जाल में फंसाकर जो अदृश्य है, परन्तु वह समूची संस्कृति को गर्भ में ही नष्ट कर देता है।

केरल स्टोरी में दिखाया गया है कि कैसे लड़की को उसकी सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करके गर्म रेगिस्तान की रेत में भेज दिया जाता है। संख्याएं कितनी भी हो सकती हैं, परन्तु यदि एक भी लड़की के साथ ऐसा हुआ है, तो वह मानवता के प्रति जघन्य अपराध है। ऐसा नहीं है कि ऐसा हुआ ही नहीं। वैश्विक स्तर पर भी लड़कियों को आईएसआईएस के प्रति रोमांस उत्पन्न करके फंसाया गया, जिनमें से कई लड़कियां समय बीतने के बाद अपने देश वापस जाने की कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं, तो कुछ देशों ने ऐसी लड़कियों को लेने से इंकार कर दिया है। जैसे ही इंटरनेट पर ब्राइड्स ऑफ आईएसआईएस टाईप करके खोजते हैं, तो असंख्य लड़कियों के नाम सामने आते हैं, जिन्होंने एक अजीब रोमांचकारी मानसिकता के चलते आईएसआईएस ज्वाइन किया था और अपनी यौन सेवाएं दी थीं।

भारत में भी कई लोग पकड़े गए थे, जो आईएसआईएस में शामिल होने जा रहे थे। ऐसे अनेक समाचार आज भी जरा सा नेट खंगालते ही मिल जाएंगे। फिर आंकड़ों पर हंगामा क्यों? क्या 32,000 पर हंगामा इसलिए मचाया जा रहा है कि निमिशा फातिमा की कहानी पर बात न हो। उनकी माँ बिन्दू संपत के आंसुओं पर बात न हो? क्या 32,000 के आंकड़ों पर शोर मचाकर इसे गलत ठहराने वाले लोग बिन्दू संपत की इस गुहार को नकार सकते हैं, जो उन्होंने भारत सरकार से लगाई थी कि उनकी बेटी अफगानिस्तान की जेल में बंद है, उसे छुड़ाया जाए। निमिषा की माँ बिन्दू संपत के अनुसार उनकी कम उम्र की बेटी को’ प्यार मोहब्बत के सपने दिखाकर पहले तो मतांतरण के जाल में फंसाया और फिर मीडिया के अनुसार बिन्दू संपत ने बताया था कि उनकी बेटी निमिषा के साथ 20 और लोग अफगानिस्तान जाकर आतंकी बन गए थे।

निमिषा को वर्ष 2019 में अफगानिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था और आज तक शायद वह वहीं पर है। क्या निमिषा के फातिमा बनने की कहानी को जानने का अधिकार देश को नहीं है। एक भी लड़की जिसे प्यार मोहब्बत के जाल में फंसाकर फातिमा बना कर आतंकी बना दिया जाता है, वह मानवता के गाल पर बहुत बड़ा तमाचा है।

ऐसी ही एक और कहानी है आयशा उर्फ़ सोनिया सेबेस्टीन की। जिसके पिता ने उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई थी कि आईएसआईएस के साथ जुड़ने के बाद उनकी बेटी को पछतावा है, इसलिए उसे माफ़ किया जाए और उसे वापस लाया जाए। सोनिया उर्फ़ आयशा भी अफगानिस्तान में कैद हुई थी और जैसे बिन्दू संपत को निमिशा की बेटी की चिंता थी, वैसे ही सोनिया उर्फ़ आयशा के पिता को भी अपनी नातिन की चिंता थी। आयशा वर्ष 2016 में आईएसईएस के साथ जुड़ी थीं।

यह वह मामले हैं, जिन पर माननीय न्यायालय में सुनवाई हुई। वर्ष 2021 में ही केरल की ऐसी चार महिलाओं को भारत लाने पर भारत सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया था कि आईएसआईएस में शामिल होने गईं चार महिलाओं को वापस नहीं लाया जाएगा। उस समय वह अफगानिस्तान की जेल में बंद थीं।

क्या 32,000 के आंकड़ों में इसीलिए उलझाया जा रहा है कि उस षड्यंत्र के पीछे तक पहुंचा ही न जाए, जिन्होंने इन लड़कियों को आईएसआईएस की गिरफ्त में पहुंचा दिया? क्या उस षडयन्त्र पर बात न की जाए। जिसके चलते निमिषा की परिणिति फातिमा के रूप में होती है और सोनिया की आयशा के रूप में? यह वह महिलाएं हैं, जिनकी पहचान के खो जाने के बाद वह भारत से दूर गईं, परन्तु केरल में ऐसी असंख्य घटनाएं हुई हैं, जिनमें गैर मुस्लिम महिलाओं की धार्मिक पहचान को गायब कर दिया गया। ऐसे ही कुछ मामलों में शामिल है वर्ष 2019 में कोज़हिकोड की एक महिला ने त्रिसूर के एक 25 वर्षीय व्यक्ति पर यौन शोषण के आरोप लगाए थे कि वह चार वर्षों तक जिसके साथ संबंधों में थी, उसने अंतरंग तस्वीरों को ऑनलाइन लीक कर दिया था।

उस महिला ने भी उसी जाल के विषय में बताया था, जो केरल स्टोरी में बताया है कि कैसे वह लोग अपने परिचय के दायरे में आने वाले लोगों को पहले इस्लाम के विषय में बताते हैं। newindiaexpress के अनुसार उस महिला ने कहा था कि वह कुट्टीपुरम, मलापुरम में असिस्टेंट प्रोफेसर थी और जब वह उस व्यक्ति के साथ प्रेम संबंधों में थी, तो वह लगातार मुस्लिम समुदाय के रीति रिवाजों के विषय में बताता था। और यह कहता था कि उसके परिवार वाले उसे तभी अपनाएंगे जब वह इस्लाम अपना लेगी। उसने यह सब किया और जब वह अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से दूर हो गयी तो उसने अपनाने से इंकार कर दिया। ऐसी ही एक और घटना थी, जिसमें राशिद ने एक हिन्दू महिला ग्रीश्मा के साथ निकाह किया था और उस पर इतने अत्याचार किए थे कि ग्रीश्मा ने आत्महत्या कर ली थी

Rinsha erstwhile Grishma hanged herself at husband Rashid's house, when he went for chickenShop job. Mother of 2 yrs old was under the torture of his family and was not allowed to interact with her parents even. But please, this is also an isolated one & not #LoveJihad pic.twitter.com/9L7UdpIqo7

— Binu Padmam (@BinuPadmam) December 7, 2022

इस मामले में भी लड़की के परिवारवालों ने यह आरोप लगाया था कि राशिद के घरवाले उनकी बेटी को मारते पीटते थे। एक और लड़की की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान नष्ट होने के साथ जीवन भी नष्ट हो गया था। सितम्बर 2022 में ही केरल की ही एक ईसाई महिला ने यह दावा किया था कि उसके शौहर ने उसे इस्लाम में मतांतरित करने का प्रयास किया था। उस महिला ने मानसिक अत्याचार का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसे जबरन एक कमरे में बंद किया गया था और धमकी दी गयी थी।

ऐसे असंख्य मामले हैं। ऐसी ही धार्मिक पहचान खोने का मामला तो नया ही आया है, जिसमें केरल आधारित इन्फ्लूएन्सर अथुल्या अशोकन ने रिसाल मंसूर से निकाह कर लिया। उसने मंसूर से निकाह के लिए अपना पंथ बदल लिया। उसके इस निकाह के अवसर पर आसपास उन्हीं महिलाओं को देखा जा सकता है, जिनकी सांस्कृतिक पहचान उसकी सांस्कृतिक पहचान से अलग है। समस्या शादी से नहीं हो सकती है क्योंकि वह प्रेम की परिणिति है। परन्तु क्या प्रेम की परिणिति में पंथ भी बदलना आवश्यक है। लोगों को इस बात पर समस्या हुई थी। क्योंकि जो कार्ड साझा किया गया था उसमें उसका नाम आलिया लिखा था

This is not a movie, it is the real "The Kerala Story": Social media influencer Atulya Ashokan is now Alia – How To Trap Hindu Girls ??? – Do You have A Daughter? – Must Watch “The Kerala Story” movie #LoveJihadIsReal pic.twitter.com/yhHPgWla2S

— P.S.R (@Ram43783584) April 29, 2023

लोगों ने कहा भी कि क्या यही तरीका हिन्दू लड़कियों का मतांतरण करने के लिए प्रयोग किया जाता है? तो क्या 32,000 के आंकड़ों पर शोर इसीलिए मचाया जा रहा था कि इन तमाम सांस्कृतिक हत्याओं के विषय में बात ही न की जाए? अखिला से हादिया बनने की यात्रा आरम्भ हुई थी, उस पर बात न हो? क्या उन माता पिता के कोई सपने नहीं होते, जिनकी बेटियों को इस प्रकार ग्रूमिंग करके फंसाया जाता है और फिर कहीं न कहीं उनकी सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक हत्या भी हो जाती है? 23 अगस्त को ही ऐसा मामला आया था, जिसमें यह सामने आया था कि केरल के थोडूपूजहा के मुस्लिक युवक यूनुस रजाक ने अक्षय शाजी को अपनी मोहब्बत के जाल में फंसाया था और फिर उसके बाद दोनों ही ड्रग के धंधे में शामिल हो गए थे।

ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण हैं, जिनमें लड़कियों का कई और तरीके से शोषण किया गया और इनमें एक बात मुख्य थी कि ऐसी लड़कियों की धामिक और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट कर दिया गया। तो क्या केरल स्टोरी के आंकड़ों को लेकर इसीलिए हंगामा किया जा रहा है, कि इन पर बात ही न हो? उस पूरे षड्यन्त्र पर बात न हो, जो वर्चस्व के लिए किया जा रहा है? यद्यपि ट्वीटर पर कई लोग कई प्रकार के दावे कर रहे हैं। केरल सरकार की अपनी वेबसाइट के अनुसार ही हजारों लोग अभी तक गुमशुदा हैं। तो कई लोग सोशल मीडिया पर और भी दावे कर रहे हैं।

केरल पुलिस की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आंकड़े हैं:

 

https://keralapolice.gov।in/crime-statistics/missing-cases

इसमें साफ़ लिखा है कि वर्ष 2016 से लेकर वर्ष 2023 तक हजारों लोग गुमशुदा हैं और जिनका पता नहीं लगा है। क्या केरल स्टोरी के आंकड़ों पर शोर मचाकर इन आंकड़ों पर बात करने से रोका जा रहा है? प्रश्न कई हैं, परन्तु निमिषा फातिमा और सोनिया उर्फ़ आयशा की सच्ची कहानियों को एजेंडा बताकर क्यों राजनीतिक कारणों से नकारे जाने का षड्यंत्र किया जा रहा है, वह समझ से परे है।

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