नई दिल्ली। मणिपुर में जनजातीय आंदोलन के बीच बुधवार को कई जिलों में हिंसा भड़क गई, जिसके बाद राज्य सरकार ने अगले पांच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। इसके अलावा इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरिबाम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। आदेश में बताया गया कि राज्य में ब्रॉडबैंड सेवाएं चालू हैं। बताया जा रहा है कि कुकी उग्रवादियों ने मैतेई समुदाय के घरों में तोड़फोड़ की। मैतेई समुदाय हिंदू है और वहां की मूल संस्कृति के संरक्षक भी हैं। वहीं मणिपुर की सीमा में कुकी रहते हैं जिनमें से अधिकांश ईसाई में कन्वर्ट हो चुके हैं।
हालात को काबू करने के लिए भारतीय सेना को बुलाया गया है। कई इलाकों में आर्मी जवानों को तैनात किया गया है। एहतियात के तौर पर पांच दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने और कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए कार्यवाही चल रही है। अब तक करीब 4 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है।
हिंदुओं पर हमला, कुकी विद्रोहियों ने घरों में लगा दी आग
मणिपुर के बिष्णुपुर और चुराचांदपुर जिलों से सटे विभिन्न इलाकों में विद्रोहियों ने बुधवार को घरों में आग लगा दी और महिलाओं और बच्चों सहित लोगों पर हमला किया। तोरबंग के एक स्थानीय ने बताया कि लोगों के एक सशस्त्र समूह ने बुधवार शाम 6 बजे तक मैतेई हिंदू से संबंधित छह घरों में तोड़फोड़ की और आग लगा दी। अत्याधुनिक हथियारों से लैस बदमाशों ने घरों में तोड़फोड़ करते हुए कई राउंड गोलियां चलाईं।
आतंकित लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया और आसपास के हिंदू बहुल क्षेत्रों जैसे सैटोन, मोइरांग, निंगथौखोंग, बिष्णुपुर और राजधानी इंफाल में शरण ली। तोरबंग के एक अन्य निवासी ने नाम न छापने की शर्त पर फोन पर सूचित किया कि हिंदुओं पर हमले के पीछे का मकसद अज्ञात है, लेकिन हिंसा में संदिग्ध कुकी उग्रवादियों के शामिल होने की आशंका है।
सोशल मीडिया से फैल रहे नफरत भरे भाषण, इंटरनेट पर पाबंदी
मणिपुर के गृह मंत्री एचजी प्रकाश ने कहा कि असामाजिक तत्व सोशल मीडिया पर नफरत भरे भाषण और वीडियो के क्लिप प्रसारित कर रहे हैं। इसके जरिये जनता को उकसाया जा रहा है, इसी वजह से सरकार ने मोबाइल डेटा सेवाओं को निलंबित करने का फैसला लिया। इसके बावजूद बिगड़ते हालात को काबू में करने के लिए नागरिक प्रशासन के अनुरोध पर सेना ने मोर्चा संभाल लिया है।
क्या कहा भारतीय सेना ने
भारतीय सेना ने एक बयान में कहा कि मणिपुर में प्रशासन के अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए तीन मई की शाम से सभी प्रभावित इलाकों में सेना और असम राइफल्स की तैनाती कर दी गई है। हिंसा प्रभावित इलाकों से अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाने और कानून व्यवस्था बहाल करने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। मणिपुर में हिंसा को कम करने के लिए सेना और असम राइफल्स आगे बढ़ी हैं। अब तक 4000 ग्रामीणों को विभिन्न स्थानों पर सेना और राज्य सरकार के परिसरों में आश्रय दिया गया। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है।
केन्द्र की नजर, गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री से की बात
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में आदिवासी आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से गुरुवार को बातचीत की। केन्द्र सरकार मणिपुर के हालात पर नजर बनाए हुए है। हिंसा को नियंत्रित करने के लिए केन्द्र की ओर से त्वरित कार्य बल (आरएएफ) को भी भेजा गया है। जानकारी के अनुसार राज्य में हिंसा को देखते हुए संवेदनशील स्थानों पर सेना और असम रायफल्स के जवान पहले से ही तैनात किए गए हैं।
मणिपुर में उपजी हिंसा को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने कहा कि बीते 24 घंटे में कुछ जगहों पर झड़प और तोड़-फोड़ की घटनाएं सामने आई हैं। यह घटनाएं दो वर्गों के बीच प्रचलित गलतफहमी के कारण हुई हैं। राज्य सरकार स्थिति पर नजर बनाए हुए है। इसे नियंत्रित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
क्यों भड़की हिंसा
मैतेई हिन्दू को एसटी श्रेणी में शामिल करने की मांग के खिलाफ बुधवार को मणिपुर के विभिन्न जनजातीय निकायों द्वारा आयोजित ‘एकजुटता रैली’ के बाद हिंसक घटनाएं हुईं। मैतेई समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को रैली का आयोजन हुआ था। ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने इस रैली का आयोजन किया था। इस दौरान हिंसा भड़क गई। प्रदर्शनकारियों ने कई घरों में तोड़फोड़ की है। रैली में हजारों आंदोलनकारियों ने हिस्सा लिया। इस दौरान तोरबंग इलाके में जनजातियों और गैर-जनजातियों के बीच हिंसा भड़क गई। इसके बाद कई और जिलों में भी हिंसा की खबरें आई। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे।
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