पाकिस्तान की सत्ता जिहादियों के प्रति कितनी नरम है, इसका एक और बेशर्म उदाहरण सामने आया है। वहां जिहादी गुट जैशे मोहम्मद को जिहाद के लिए खुलेआम चंदा उगाही करते पाया गया है। यह वही पाकिस्तान है जो लगातार कई साल एफएटीएफ की ग्रे सूची में कलंकित होता रहा था।
लेकिन अब एक बार फिर, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी गुट जैशे मोहम्मद पेशावर तथा कुछ दूसरे शहरों में ईद के मौके पर जिहाद के लिए पैसा उगाहता पाया गया है। जाने—माने यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट है कि आतंकी गुट जैशे मोहम्मद के लोग पिछले महीने खैबर पख्तूनख्वा के पेशावर शहर के बाहर बागे-नारन इलाके में कश्मीर और फिलिस्तीन में जिहाद के लिए कथित तौर पर पैसे इकट्ठे पाए गए थे।
यूरोपीय टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चंदा उगाहने की इस बात से पाकिस्तान ने दुनिया भर में आतंकवाद विरोधी वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था, एफएटीएफ की निर्धारित की खतरे की रेखा को पार किया है। इसी खतरे की रेखा के भीतर होने की वजह से पाकिस्तान कई साल ग्रे लिस्ट में रहा था, और पिछले साल ही इससे बाहर किया गया था।
सवाल खड़ा होता है कि जैशे मोहम्मद का यूं ईद पर जिहाद के लिए पैसा इकट्ठा करना क्या साबित नहीं करता कि पाकिस्तान आतंकवाद की फंडिंग को खत्म करने की बजाय इसे बढ़ावा ही दे रहा है और इस तरह एफएटीएफ से किए अपने वादे से मुकर रहा है? क्या पाकिस्तान पर फिर से वैसी ही कड़ी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
इस सच के सामने आने के बाद से सोशल मीडिया पर अनेक पाकिस्तानियों ने लिखा है कि कट्टरपंथी गुटों द्वारा इस वजह से पैसा वसूलने जैसी हरकतें दूसरे इलाकों में भी चल रही हैं। सवाल है कि यह कैसेे संभव है कि पाकिस्तान सरकार न जानती हो कि प्रतिबंधित आतंकवादी गुट जैशे मोहचंदा इकट्ठा कर रहा था?
पाकिस्तान में रहने वालों ने ही बताया है कि जैशे मोहम्मद के लोग अप्रैल में खैबर पख्तूनख्वा में कथित जिहाद के लिए चंदा इकट्ठा कर रहे थे। बाद में अनेक अन्य पाकिस्तानियों ने सोशल मीडिया पर ही लिखा कि ऐसा तो और भी कई इलाकों में चल रहा है। इस हरकत में कमी आने की बजाय ये बढ़ती ही गई है। कुछ का तो यहां तक कहना है कि कई मस्जिदों में तो नियमित ही इस तरह से कथित जिहाद के लिए चंदा वसूला जाता है और पुलिस वाले देखते रहते हैं। एक तरह से वे इसकी निगरानी करते मालूम देते हैं।
यूरोपियन टाइम्स की रिपोर्ट में भी मस्जिदों वाली बात का उल्लेख है। कई लोगों के बयानों के साथ बताया गया है कि आतंकवादी गुट कराची की मस्जिदों में खुलेआम ‘जिहाद के लिए’ पैसा जुटाते हैं। अब फिर एक सवाल खड़ा होता है कि जैशे मोहम्मद का यूं ईद पर जिहाद के लिए पैसा इकट्ठा करना क्या साबित नहीं करता कि पाकिस्तान आतंकवाद की फंडिंग को खत्म करने की बजाय इसे बढ़ावा ही दे रहा है और इस तरह एफएटीएफ से किए अपने वादे से मुकर रहा है? क्या पाकिस्तान पर फिर से वैसी ही कड़ी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए?
यूरोपियन टाइम्स लिखता है कि जून 2021 में जब एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची से बाहर करने से इंकार किया था जब इस अंतरराष्ट्रीय संस्था ने लश्करे तैयबा, जैशे मोहम्मद तथा अन्य आतंकवादी गुटों के विरुद्ध कार्रवाई करने में पाकिस्तान के असफल रहने का हवाला दिया था। एफएटीएफ ने तब साफ कहा था कि पाकिस्तान उसे दिए 27 कामों में से 26 को पूरा करने के बाद भी, आतंकवादियों तथा आतंकी संस्थाओं पर आरोप तय करने के आखिरी काम को पूरा नहीं कर पाया। यह कहते हुए पाकिस्तान को एफएटीएफ ने ग्रे सूची में ही रखा था।
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