प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर विकिमीडिया और बीबीसी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं है। अब बीबीसी, विकिमीडिया फाउंडेशन और इंटरनेट आर्काइव के खिलाफ वकील मुकेश शर्मा के माध्यम से बिनय कुमार सिंह ने रोहिणी कोर्ट में एक मामला दायर कराया था।
यह मामला भारत में प्रतिबंध बीबीसी डॉक्यूमेंट्री के सर्कुलेशन से संबंधित है। इस मामले में सुनवाई करते हुए एडीजे सुश्री रुचिका सिंगला ने 11 मई 2023 को बीबीसी, विकिमीडिया फाउंडेशन और इंटरनेट आर्काइव को तलब किया। अब अगली तारीख पर न्यायालय में इस मामले के अंतरिम आवेदन पर सुनवाई होगी।
बिनय कुमार सिंह ने अपनी याचिका में कहा कहा है कि जनवरी 2023 के महीने में BBC ने “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” नामक दो भागों की वृत्तचित्र श्रृंखला प्रसारित की। इसमें यह बताया गया है कि भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने के लिए खतरनाक हिंसा का आह्वान किया जा रहा है और इसमें यह रिपोर्ट शामिल है जो मुस्लिम महिलाओं के व्यापक और सिस्टमेटिक बलात्कार के बारे में बताता है, और जिसका उद्देश्य हिंदू क्षेत्रों से मुस्लिमों को निकालना है। इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद आदि के खिलाफ कई निराधार आरोप भी हैं. इसमें दावा किया गया है कि कम से कम 2000 लोगों की हत्या हुई है।
आतंक और भय का वातावरण बनाया
याचिका में आगे कहा गया है कि “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” के दो खंडों की व्यापक रूप से रिलीज़ ने विभिन्न समूहों के सदस्यों में आतंक और भय के एक वातावरण को उत्पन्न किया है, और BBC ने रणनीतिक और उद्देश्यपूर्ण रूप से असत्य अफवाहों को प्रसारित किया है। इसके अलावा, इसमें लगातार आरोप लगाए जाते हैं जो विभिन्न धर्म समुदायों के बीच की नफरत को बढ़ावा देने के लिए हैं, विशेष रूप से हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच। इसलिए, उन आरोपों को ध्यान में रखते हुए, केंद्र सरकार ने 2023 के जनवरी महीने में अपनी आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करके उक्त दो खंडों के वृत्तचित्र को प्रतिबंधित करने का निर्णय लिया है।
संघ पर लगाए असत्य आरोप
इस वृत्तचित्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ लगाए गए आरोप असत्य हैं और BBC के बयान को तथ्यात्मक आधार पर पुष्ट करने का कोई भी प्रमाण नहीं है। यह वृतचित्र केवल भ्रामक और बेबुनियाद आरोपों का एक संक्षिप्त सार है कि जो आरएसएस और उसके करोड़ों सदस्यों को कलंकित करने के लिए प्रयासरत प्रतीत होता है।
प्रतिबंधित होने के बाद भी किया जा रहा प्रचारित
याचिका में कहा गया है कि “प्रतिबंधित होने के वावजूद भी BBC के द्वारा Wikipedia और Internet Archive के माध्यम से वृत्तचित्र का प्रसारण भारतीय कानून के अनुसार अपराध है और इसके लिए दंड का प्रावधान भी है। BBC का भारत के प्रति घृणा का दृष्टिकोण सर्वव्यापी है और वह भारत का अहित चाहता है। BBC की साख पर दुनिया भर में सवाल उठते रहे हैं, चाहे वह War misreporting का मामला हो या उन्ही की संस्था के अंदर यौन शोषण के अनगिनत और संगीन आरोप हों जिनका उत्तर देना अभी शेष है। BBC के अपराधों की फ़ेहरिस्त बहुत ही लंबी है”।
बता दें कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम से एक प्रोपोगेंडा डॉक्यूमेंट्री बनाई थी। बीबीसी की इस प्रोपोगेंडा डॉक्यूमेंट्री पर भारत के 300 से अधिक सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों और सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारियों ने पत्र लिखकर आपत्ति जताई थी।
इस पत्र में कहा गया था कि डॉक्यूमेंट्री तथ्यात्मक त्रुटियों से भरी हुई है। बीबीसी ने इस डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने की साजिश की है। बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री प्रोपेगेंडा का हिस्सा है। यह सीरीज केवल भ्रामक रिपोर्टिंग पर आधारित है। बीबीसी ने ऐसा करके भारत सहित हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपमानित करने का कार्य किया है।
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