केंद्र सरकार ने कहा है कि वो समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता दिए बिना ऐसे जोड़ों को कुछ अधिकार देने पर विचार करेगी। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इसके लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन होगा। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि दोनों पक्षों के वकील बैठक कर आपस में चर्चा करें।
कोर्ट ने कहा कि अटार्नी जनरल, सॉलिसिटर जनरल और दूसरे पक्षकार इस मामले पर सप्ताहांत में बैठक करें। कोर्ट ने साफ किया कि इस प्रक्रिया का केंद्र सरकार के जवाबी हलफनामे में रखे गए पक्ष से कोई लेना-देना नहीं होगा। इस पर याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि सरकार समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं देना चाहती है। ये संवैधानिक मामला है और केंद्र सरकार के प्रशासनिक फैसले से इसका हल नहीं निकाला जा सकता है।
27 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि समलैंगिक जोड़ों को शादी की कानूनी मान्यता दिए बिना उनको कौन से लाभ सरकार दे सकती है। इस संविधान बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं। 13 मार्च को कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को को रेफर कर दिया था।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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