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कायर पाकिस्तान का षड्यंत्र!

जम्मू संभाग के पुंछ में सैन्य वाहन पर आतंकियों का कायराना हमला स्पष्ट करता है कि आतंकी फिर से राजौरी-पुंछ इलाके में सिर उठा रहे। दरअसल घाटी में आतंकियों पर सख्त कार्रवाई से भयभीत दहशतगर्द जम्मू इलाके में घटनाएं कर ध्यान भटकाना चाह रहे

by अश्वनी मिश्र
May 3, 2023, 07:13 am IST
in भारत, जम्‍मू एवं कश्‍मीर
हमले में वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के शोकाकुल परिजन।

हमले में वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के शोकाकुल परिजन।

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बलिदानी हरकिशन सिंह (तलवंडी-गुरादासपुर) के शरीर को मां प्यार कौर ने कंधा तो गर्भवती पत्नी और दो वर्ष की बेटी खुशप्रीत ने मुखाग्नि दी। ओज से भरी मां प्यार कौर ने कहा, ‘‘मेरा बेटा बचपन से ही देशभक्त था। वह अक्सर कहा करता था कि मां मेरी जिदंगी देश की अमानत है। मैं देश के लिए पैदा हुआ हूं और देश के लिए बलिदान दूंगा। इसलिए आज मैं बेटे के बलिदान होने पर आंसू नहीं बहाऊंगी। मुझे अपने लाड़ले के बलिदान पर गर्व है।’’

वीर-बलिदानियों की भूमि पंजाब में जब पुंछ आतंकी हमले में वीरगति पाए पांच में से चार जवानों के पार्थिव शरीर पहुंचे तो मानो पूरा राज्य अपने लाड़लों की एक झलक पाने के लिए उमड़ पड़ा। हजारों लोग नम आंखों से उन्हें श्रद्धाजंलि देने को आतुर थे। अधिकतर की आंखों में कायरतापूर्ण हमले पर गुस्सा भरा हुआ था। तीन महीने के मासूम फतेहदीप सिंह ने बलिदानी पिता कुलवंत सिंह (मोगा) को जब चाचा की गोद में बैठकर मुखाग्नि दी तो मौजूद लोगों के आंसू झरने लगे। पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल था।

हमले में वीरगति प्राप्त करने वाले जवानों के शोकाकुल परिजन। (प्रकोष्ठ में) इफ्तार का सामान लेकर जा रहे सैन्य वाहन पर आतंकियों ने घात लगाकर किया था हमला।

‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारों के साथ युवा भारत माता की जय जयकार कर रहे थे। इसी तरह से बलिदानी हरकिशन सिंह (तलवंडी-गुरादासपुर) के शरीर को मां प्यार कौर ने कंधा तो गर्भवती पत्नी और दो वर्ष की बेटी खुशप्रीत ने मुखाग्नि दी। ओज से भरी मां प्यार कौर ने कहा, ‘‘मेरा बेटा बचपन से ही देशभक्त था। वह अक्सर कहा करता था कि मां मेरी जिदंगी देश की अमानत है। मैं देश के लिए पैदा हुआ हूं और देश के लिए बलिदान दूंगा। इसलिए आज मैं बेटे के बलिदान होने पर आंसू नहीं बहाऊंगी। मुझे अपने लाड़ले के बलिदान पर गर्व है।’’

लुधियाना के बलिदानी मनदीप सिंह के सम्मान में हजारों लोग फूल बरसाकर अपने बेटे को अंतिम विदाई दे रहे थे। उनके नौ साल के बेटे करणदीप सिंह ने रोते हुए जय हिंद बोलकर जब पिता को मुखाग्नि दी तो मौजूद लोगों के आक्रोश की कोई सीमा नहीं थी। मां बलविंदर कौर कंपकपाती आवाज में बोलीं,‘‘पता नहीं सी मेरा बच्चा ऐदां मैंनू छड्ड जावेगा।’’ मनदीप के घर में 12 साल की बेटी, पत्नी और बुजर्ग मां हैं। बठिंडा के बलिदानी 23 वर्षीय सेवक सिंह 2018 में सेना में भर्ती हुए थे। इस युवा जवान के घर-परिवार ने अपने बेटे के लिए अनगिनत सपने संजोए थे। लेकिन सब धरे के धरे रह गए। पिता गुरचरण सिंह का निढाल शरीर मुखाग्नि देते समय सिर्फ चिता से उठती लपटों देखे जा रहा था।

ओडिशा स्थित पुरी के लांस नायक देवाशीष बिस्वाल की शादी साल, 2021 में हुई थी। कुछ दिन पहले वे अपनी 4 महीने की बेटी और पत्नी से वादा करके आए थे कि जल्द घर लौटूंगा। लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था। जैसे ही उनका पार्थिव शरीर घर पहुंचा, गांव में मातम पसर गया। बिस्वाल के पिता प्रताप बिस्वाल कहते हैं कि जब वह छोटा था तो सेना में भर्ती होना चाहता था। कहता था कि मुझे भारत माता की सेवा करनी है। लेकिन एक गरीब किसान होने के चलते बच्चे को कोचिंग पढ़ाने तक के पैसे नहीं होते थे। मेरे बेटे ने जिद और जुनून से अपनी मंजिल पा ली और आज भारत माता के चरणों में अपने को समर्पित कर दिया।

पुंछ आतंकी हमले में वीरगति पाए जवानों के परिवारों की व्यथा सुनकर किसी की भी आंखें नम हो जाएंगी। इनमें किसी की चार महीने की बेटी है तो कोई अपने माता-पिता का इकलौता बेटा।

‘‘पुंछ हमले में शामिल आतंकी कहीं भी छिपे हों, उन्हें खोजकर मार गिराएंगे।’’
— ले. जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख

अपने पिता हरकिशन सिंह के पार्थिव शरीर के पास बैठी उनकी बेटी

संवदेनशील है भाटाधुलियां का इलाका
जम्मू-पुंछ राजमार्ग पर संगयोट क्षेत्र में बीती 20 अप्रैल को दोपहर के बाद वर्षा के कारण धुंधलके का लाभ उठाते हुए आतंकियों ने सैन्य वाहन पर घात लगाकर हमला किया। सेना मुख्यालय, उत्तरी कमान की ओर से जारी बयान के अनुसार पहले आतंकियों ने गोलियां बरसार्इं फिर ग्रेनेड हमला किया जिससे वाहन में आग लग गई। हमले के बाद आतंकियों ने राष्ट्रीय राइफल के जवानों पर अंधाधुंध गोलीबारी की और ग्रेनेड फेंके। इससे सैन्य वाहन में भीषण आग लग गई। इस दौरान आतंकी जवानों के हथियार लेकर भाग निकले। घटना के बाद हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने ली।

घटना के बाद सोशल मीडिया पर आई तस्वीरें और वीडियो हमले की भयावहता बताने के लिए काफी थे। स्पष्ट है कि आतंकियों ने पूरी रणनीति के तहत हमले को अंजाम दिया था। पूर्व पुलिस महानिरीक्षक अशकूर वानी कहते हैं कि यह इलाका संवेदनशील है। इस इलाके में अधिकांश विदेशी आतंकी पाकिस्तानी पंजाब और पाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर से ही होते हैं। राजौरी-पुंछ में उन्हें स्थानीय आबादी से अलग नहीं कर सकते, क्योंकि जातीय और भाषाई आधार पर वह एक समूह से हैं। साथ ही ये ओवर ग्राउंड आतंकी हस्तकों के सहारे जिंदा रहते हैं। ऐसे में इस हमले में भी स्थानीय मददगारों की पूरी संलिप्तता रही होगी।

उल्लेखनीय है कि राज्य में 33 वर्ष से जारी आतंकी हिंसा को देखें तो शुरू के 17 साल के दौरान प्रमुख आतंकी हिंसा की घटनाओं में 35 प्रतिशत इसी क्षेत्र में हुई हैं। यह पूरा क्षेत्र आतंकियों को सुरक्षित ठिकानों के साथ कश्मीर और जम्मू में आने-जाने के सुरक्षित रास्ते प्रदान करता है। दरअसल संगयोट में जिस जगह पर हमला हुआ, इससे मात्र तीन किमी दूरी पर भाटाधुलियां जंगल है। इससे लगते इलाके-नाड़ कस्स व डेरा की गली के आसपास के जंगलों में आतंकियों की तलाश में कई बार बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया लेकिन कामयाबी नहीं मिली।

जंगल की भौगोलिक स्थितियां तथा पहाड़ आतंकियों के छिपने के लिए उपयुक्त हैं। यहां से भागकर आतंकी राजौरी के डेरा गली तथा पुंछ के थन्नामंडी इलाके में निकल सकते हैं। इन दोनों जगहों से आतंकी घाटी में भाग सकते हैं। हालांकि घटना के बाद से सेना ने पूरे इलाके की घेराबंदी कर रखी है।

स्टील की गोली का इस्तेमाल
सुरक्षा एजेंसियों को हमले में स्टील की गोली का इस्तेमाल किए जाने के साक्ष्य मिले हैं। यह स्टील कोर वाली गोली इतनी ताकतवर होती है कि बख्तरबंद वाहन तक को भेद सकती है। खबरों के अनुसार जांच में इस बात के भी संकेत मिले हैं कि सुरक्षाबलों की गाड़ी को रोकने के लिए सबसे पहले हमलावरों में शामिल स्नाइपर ने फायरिंग की थी। इसके बाद अन्य आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया। सुरक्षा एजेंसियां हर पहलू से घटना की जांच कर रही हैं। एनएसजी, एनआईए, सेना, पुलिस और सीआरपीएफ की टीम सर्च आॅपरेशन में लगी हैं। सर्च आपरेशन के दौरान खोजी कुत्तों तथा ड्रोन की मदद से घने जंगल को खंगाला जा रहा है। हमले के बाद उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने उधमपुर कमान अस्पताल जाकर घायल जवान शक्तिवेल का हाल जाना और आश्वस्त किया कि आतंकियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की जा रही है।

राजौरी-पुंछ में बड़े हमले

आंकड़ों में देखें तो राजौरी और पुंछ में पिछले दो – तीन साल में कई बड़ी घटनाएं घटी हैं। अधिकतर हमलों में पीएएफएफ का हाथ रहा है।

  •  7 जुलाई, 2021: सुंदरबनी में हुई मुठभेड़। जेसीओ समेत दो सैन्य कर्मी बलिदान। पीएएफएफ के तीन आतंकी मार गिराए गए।
  •  6 अगस्त, 2021: राजौरी के थन्नामंडी में मुठभेड़। सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को मार गिराया।
  •  19 अगस्त, 2021 : राजौरी में मुठभेड़। एक जेसीओ समेत दो सैन्यकर्मी बलिदान। एक आतंकी मारा गया।
  •  13 सितंबर, 2021: मंजाकोट-राजौरी में मुठभेड़। एक आतंकी मारा गया।
  •  15 अक्तूबर, 2021: पुंछ में अलग-अलग मुठभेडोंÞ में आतंकियों से लड़ते हुए नौ सैन्यकर्मी वीरगति को प्राप्त हुए।
  • 26 मार्च, 2022: राजौरी के कोटरंका कस्बे में कंडी थाने के पास दो विस्फोट।
  •  24 अप्रैल, 2022: राजौरी के शाहपुर इलाके में आतंकियों ने ग्रेनेड से किया हमला, दो मजदूर घायल।
  •  19 अप्रैल, 2022: राजौरी के कोटरंका की एक झुग्गी के बाहर रहस्यमय विस्फोट। दंपति गंभीर रूप से घायल।
  •  11 अगस्त, 2022: राजौरी के परगल दरहल में मुठभेड़। सेना के तीन जवान बलिदान। दो फिदायीन आतंकी मारे गए।
  •  16 दिसंबर, 2022: राजौरी में सेना के शिविर द्वार के सामने आतंकियों ने हमला किया। दो नागरिकों की मौत।
  •  17 दिसंबर 2022: राजौरी में अज्ञात आतंकवादियों द्वारा 2 नागरिकों की हत्या।
  •  1 जनवरी, 2023: राजौरी के ढांगरी गांव में हुए आतंकी हमले में चार लोगों की मौत और नौ अन्य घायल।
  • 2 जनवरी, 2023: राजौरी के ढांगरी गांव में एक दिन पूर्व हुए हमले की जगह के पास एक आईईडी विस्फोट।
    घटनास्थल पर ही 2 बच्चों की मौत। 4 अन्य घायल।
  •  1 जनवरी, 2023 : राजौरी के डांगरी में हुए एक आतंकी हमले में सात हिन्दुओं को मौत के घाट उतारा।

पुंछ में आतंकी गतिविधियां
कश्मीर में आतंक पर हो रही प्रभावी कार्रवाई को देखते हुए आतंकी संगठनों के लिए घाटी में वारदातों को अंजाम देना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में आतंकी पुंछ-राजौरी के इलाकों को ठिकाना बनाकर हमलों को अंजाम दे रहे हैं। राज्य के जानकार मानते हैं कि आतंकी संगठन जम्मू क्षेत्र में आतंक को जिंदा करने के मंसूबे पर काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार बशीर मंजर का कहना है कि आतंकियों ने सुनियोजित तरीके से पुंछ में सैन्य वाहन को निशाना बनाया है।

आतंकियों ने बाकायदा घटनास्थल की रेकी की होगी और फिर यहां से बच निकलने के मार्ग सहित हर पहलू को जांचा- परखा होगा। इतना ही नहीं, आतंकियों को स्थानीय मददगारों ने पूरा सहयोग दिया होगा। यही कारण है कि आतंकी हमला कर सुरक्षित बच निकले। वह कहते हैं कि हमले के दिन और समय को देखा जाए तो बिना किसी जानकार की सूचना के आतंकियों को इस बात की जानकारी कैसे हुई कि उस दिन सैन्य काफिला नहीं है?

‘‘पता नहीं सी मेरा बच्चा ऐदां मैंनू छड्ड जावेगा।’’ मनदीप के घर में 12 साल की बेटी, पत्नी और बुजर्ग मां हैं। बठिंडा के बलिदानी 23 वर्षीय सेवक सिंह 2018 में सेना में भर्ती हुए थे। इस युवा जवान के घर-परिवार ने अपने बेटे के लिए अनगिनत सपने संजोए थे। पिता गुरचरण सिंह का निढाल शरीर मुखाग्नि देते समय सिर्फ चिता से उठती लपटों देखे जा रहा था।

-मां बलविंदर कौर

बहरहाल, इस हमले के बाद से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। दूसरी तरफ कश्मीर में प्रस्तावित जी-20 की बैठक को लेकर खुफिया इनपुट जारी हुआ है। खबर है कि पाकिस्तान में बैठे दहशतगर्द इसमें खलल डालने के लिए साजिश रच रहे है, ताकि इसके जरिए वे यह संदेश दे सकें कि जम्मू-कश्मीर के हालात ठीक नहीं हैं। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह कहते हैं,‘‘कश्मीर में बढ़ते दबाव के चलते आतंकी जम्मू में अपनी गतिविधियों को विस्तार देने की साजिश में लगे हैं, ताकि घाटी में सुरक्षा बलों का ध्यान बंटे और वह फिर से कश्मीर में अपनी दहशत को फैला सकें। लेकिन सुरक्षा बल उनके मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे। हमारे जवान चुन-चुनकर राज्य से आतंकियों का सफाया करते रहेंगे।’’

जम्मू संभाग में आक्रोश
हमले के बाद जम्मू संभाग में आक्रोश देखने को मिल रहा है। अधिकतर लोगों का कहना था कि सुरक्षा बल कड़ी कार्रवाई करें ताकि पाकिस्तान कभी इस क्षेत्र में आतंक फैलाने की हिम्मत ना जुटा पाए। साल के शुरुआती दिन ही ढांगरी हमले में आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए दो सगे भाइयों की मां सरोज बाला कहती हैं कि पुंछ में सैन्य वाहन पर हमले की सूचना मिली तो दिल बैठ गया। फिर से बच्चों की याद ताजा हो गई, जिन्हें आतंकियों ने मार डाला था।

आखिर कब तक हमारे बच्चे आतंकियों का शिकार होते रहेंगे? ढांगरी के सरपंच धीरज कुमार शर्मा कहते हैं कि इस इलाके में लगाातार हमले हो रहे हैं, लेकिन आतंकी पकड़ से दूर हैं, ऐसा क्यों? हमले के बाद जम्मू संभाग के विभिन्न इलाकों में राजनीतिक, सामाजिक संगठनों के साथ गुस्साए लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने पाकिस्तान के झेंडे और आतंकियों के पुतले फूंके।

क्या है पीएएफएफ

अनुच्छेद-370 की समाप्ति के बाद पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट अस्तित्व में आया। माना जाता है कि यह आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद के लिए काम करता है। पीएएफएफ ने बीते साल राजौरी में सैन्य शिविर पर हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। भारत सरकार ने इस साल जनवरी में पीएएफएफ और इससे जुड़े सभी समूहों को आतंकी संगठन घोषित किया था। पीएएफएफ आतंकी समूह अंसार गजवत-उल-हिंद के मारे गए सरगना जाकिर मूसा से भी प्रेरित है। सुरक्षा विशेषज्ञ कहते हैं कि राजौरी-पुंछ में आतंक को फिर से खड़ा करने के लिए पाकिस्तान ने पीएएफएफ को इसका जिम्मा सौंपा है। यह आतंकी संगठन खुद को अन्य आतंकी संगठनों से ज्यादा हिंसक साबित करने की कोशिश में रहता है। साथ ही खुलेआम हिंदुओं को ‘इस्लाम व कश्मीर का दुश्मन’ करार देता है। यह घाटी में कश्मीरी हिन्दुओं की वापसी का विरोध करते हुए धमकी भरे कई वीडियो जारी कर चुका है। इसे चुनिंदा आतंकी गतिविधियों के लिए तैयार किया गया है। इसके अधिकांश आतंकियों का प्रशिक्षण अफगानिस्तान और पाकिस्तानी सेना के विशेष स्ट्राइक समूह के साथ हुआ है। इस संगठन ने सुरक्षाबलों के गश्तीदलों, काफिलों, नाका पार्टियों पर या फिर संवदेनशील क्षेत्र में हमलों को अंजाम दिया है।

कौन है आतंकी रफीक नाई!
हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियां दर्जनों संदिग्धों से पूछताछ कर रही हैं। खबरों की मानें तो पुंछ आतंकी हमले के पीछे पीओजेके में मौजूद आतंकी रफीक नाई की भूमिका के संकेत मिले हैं। दरअसल आतंकी रफीक नक्का मझाड़ी क्षेत्र का रहने वाला है और 16 वर्ष पहले नियंत्रण रेखा पारकर भाग गया था। उसके बाद से वह आतंकी शिविरों में लश्कर के आतंकियों को तैयार करने लगा। वह आतंकियों को राजौरी-पुंछ जिलों की भौगोलिक जानकारी देकर घुसपैठ कराता है। साथ ही हथियारों को ड्रोन के जरिए भारत पहुंचाने में इसकी संलिप्तता रहती है।

‘ओजीडब्ल्यू’ की मदद से हुआ हमला
रक्षा सूत्रों के अनुसार जिस बर्बरता से हमला किया गया, उससे जाहिर होता है कि आतंकी सीमा पार से आए थे। सेना ने शुरुआती जांच में वाहन के दोनों तरफ गोलियों के कई निशान पाए हैं। इससे साफ होता है कि दहशतगर्दों ने कुछ ही समय में हमले को अंजाम दिया और फरार हो गए। अब जांच एजेंसियां इस बात का पता लगा रही हैं कि हमले में स्थानीय लोगों ने किस प्रकार से मदद पहुंचाई है। ऐसे में पुलिस ओजीडब्ल्यू नेटवर्क पर कड़ी नजर रख रही है। सुरक्षा एजेंसियों ने नसीर अहमद नाम के जिहादी को गिरफ्त में लिया है, जिसने तीन माह तक आतंकियों को अपने घर में छिपाए रखा। इसने सैन्य वाहन हमले में भी आतंकियों का पूरा साथ दिया। अब एजेंसियां उससे पूछताछ में जुट गई हैं।

जम्मू संभाग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं कि ‘‘पाकिस्तान तथा आईएसआई ने नियंत्रण रेखा से सटे राजौरी-पुंछ इलाके में ओजीडब्ल्यू नेटवर्क को मजबूत किया है। इसके जरिए आतंकी आका एक तरफ तो आतंक फैलाते हैं तो दूसरी तरफ नारको टेररिज्म को भी बढ़ावा देते हैं। राज्य पुलिस के सामने यह बड़ी चुनौती है, जिससे हम लड़ रहे हैं।’’ अक्तूबर, 2021 से लेकर अब तक पुंछ और राजौरी में आतंकियों ने कई हमलों को अंजाम दिया है। इनमें एक दर्जन से अधिक जवान बलिदान हुए तो वहीं नौ नागरिकों की भी जान गई है। हैरानी की बात है कि इनमें एक भी आतंकी नहीं मारा गया। हालांकि सेना और सुरक्षा एजेंसियों को राजौरी-पुंछ सेक्टर में दो समूहों में सक्रिय आधा दर्जन आतंकियों की मौजूदगी की सूचना मिली है।

Topics: ओजीडब्ल्यू’ की मददafghanistanterrorist organization Jaish-e-Muhammadपुंछ हमले में शामिल आतंकी‘‘पाकिस्तान तथा आईएसआईअफगानिस्तानPAFFराष्ट्रीय राइफल के जवानRajouri-Poonchपाकिस्तानी सेनाKashmiri Hindusसर्च आपरेशनMartyr Harkishan Singhsearch operationterrorist Rafiq Nai!टे करणदीप सिंहMandeep Singh of Ludhianaपाक अधिक्रांत जम्मू-कश्मीरOGW's helpइस्लाम व कश्मीर का दुश्मनLance Naik Devashish Biswal‘जय हिंद’"Pakistan and ISIपीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंटterrorists involved in Poonch attackPakistan ArmyCowardly Pakistan's Conspiracy!आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मदRashtriya Rifles personnelराजौरी-पुंछपीएएफएफTe Karandeep Singhबलिदानी हरकिशन सिंहकश्मीरी हिन्दुenemy of Islam and Kashmirलुधियाना के मनदीप सिंहआतंकी रफीक नाई!People's Anti Fascist Frontलांस नायक देवाशीष बिस्वाल
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