पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत जुल्फिकार अली भुट्टो की पोती फातिमा भुट्टो निकाह के बाद शिव मंदिर पहुंचीं और उन्होंने भगवान भोलेनाथ की पूजा की। इस पर सोशल मीडिया पर हलचल मच गई। कई लोगों ने फातिमा के इस कदम की सराहना की है। वहीं, कट्टरपंथियों को यह रास नहीं आया। कट्टरपंथियों ने पूछा कि वह मुसलमान हैं इसलिए मंदिर क्यों गई थीं। फातिमा के इस कदम पर सोशल मीडिया पर लोग तरह-तरह की टिप्पणी कर रहे हैं।
फातिमा भुट्टो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत बेनजीर भुट्टो की भतीजी और मुर्तजा भुट्टो की बेटी हैं। शुक्रवार को उनका निकाह हुआ था। उसके बाद रविवार को वो अपने पति ग्राहम जिब्रान के साथ कराची के ऐतिहासिक महादेव मंदिर पहुंची थीं, जहां उन्होंने भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया और आशीर्वाद लिया। बताया जा रहा है कि फातिमा भुट्टो और उनके पति हिंदू सिंधियों के सम्मान में मंदिर पहुंचे थे, जिनकी जड़ें प्राचीन काल से कराची से जुड़ी हुई हैं। ग्राहम ईसाई हैं और अमेरिकी नागरिक हैं। इस दौरान फातिमा के साथ उनके भाई जुल्फिकार अली भुट्टो जूनियर और हिंदू नेता भी मौजूद रहे। इस पर सोशल मीडिया पर कुछ लोग फातिमा भुट्टो की तारीफ कर रहे हैं। वहीं, कट्टरपंथी भड़क उठे हैं और तरह-तरह के सवाल कर रहे हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान की राजनीति में भुट्टो परिवार का खासा दबदबा रहा है, लेकिन त्रासदियों से प्रभावित रहा है। जुल्फिकार अली भुट्टो को सैन्य तख्तापलट के बाद 4 अप्रैल 1979 को सैन्य तानाशाह जिया उल हक ने फांसी दे दी थी। उनकी सबसे बड़ी बेटी बेनजीर भुट्टो की दिसंबर 2007 में रावलपिंडी में हत्या कर दी गई थी। सितंबर 1996 में क्लिफ्टन में फातिमा के पिता मुर्तजा भुट्टो की हत्या कर दी गई थी। वहीं, उनके चाचा शाहनवाज भुट्टो 1985 में फ्रांस में अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे।
टिप्पणियाँ