चीन में उइगर मुसलमानों की जान पहले से ही हलक में अटकी हुई है तिस पर कम्युनिस्ट सरकार की उनके विरुद्ध सख्ती बढ़ती जा रही है। चीन के अल्पसंख्यक उइगरों के प्रति हो रहे अमानुषिक बर्ताव की दुनिया में तीखी प्रतिक्रियाओं और मानवाधिकारियों के प्रदर्शनों के बावजूद जिनपिंग सरकार के रवैए में कोई फर्क नहीं आया है। पता चला है कि इस बार तो ईद के मौके पर उइगरों को घर के अंदर भी नामज पढ़ने की मनाही कर दी गई थी।
बीजिंग से छनकर आई एक रिपोर्ट बताती है कि ईद के दिन चीन की सरकार ने मुसलमानों को मस्जिदों में नमाज पढ़ने की छूट नहीं दी। इतना ही नहीं उन्हें अपने ही घर में नमाज पढ़ने को भी सख्ती से मना कर दिया गया था। इस मौके पर सुरक्षाकर्मी पूरी सख्ती से उइगर बस्तियों में मुसलमानों पर कड़ी नजर बनाए हुए थे।
कम्युनिस्ट राज वाले चीन में उइगरों पर एक अर्से से दमनचक्र चल रहा है। अधिकांशत: सिंक्यांग प्रांत में बसे इन अल्पसंख्यक मुसलमानों के साथ हैवानियत की रिपोर्ट आएदिन दुनियाभर के अखबारों में प्रकाशित होती रही हैं। वहां मुस्लिम रीति—रिवाजों पर कम्युनिस्ट हथौड़ा चल रहा है। यातना शिविरों की बात तो अब पुरानी हो चली है। अब उनकी मजहबी परंपराओं और संस्कृति का गला घोंटा जा रहा है।
बुलुंग क्षेत्र में बस 10—12 उइगर बुजुर्गों ने ही ईद की नमाज पढ़ी। ज्यादातर तो डर के मारे घरों से ही नहीं निकले। वहां कोई सोच भी नहीं सकता कि कोई सार्वजनिक सड़क, पार्क, रेल पटरी, चौराहे आदि स्थानों को घेरकर बाकी सब लोगों को हर तरह से तकलीफ पहुंचाते हुए ‘नमाज पढ़’ सकते हैं।
जहां दुनिया के विभिन्न देशों में मुस्लिम जनता रमजान के महीने में रोजा रखकर नमाज़ पढ़ रही थी, तो चीन में उइगर मुस्लिमों को न रोजा रखने दिया गया, न ही मस्जिदों में ईद के दिन नमाज पढ़ने दी गई। मुस्लिमों द्वारा अपने घर में नमाज पढ़ने की इजाजत मांगी गई तो वह भी ठुकरा दी गई।
यह रिपोर्ट रेडियो फ्री एशिया ने सामने रखी है। इस में सिंक्यांग पुलिस और कई उइगर नागरिकों से बात करने के बाद बताया गया है कि कम्युनिस्ट सत्ता ने सिंक्यांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में दो दिन 20—21 अप्रैल को सिर्फ 60 साल से अधिक आयु के मुस्लिमों को स्थानीय मस्जिदों में नमाज पढ़ने की छूट दी थी। पुलिस ने पुष्टि की कि बुलुंग में ईद के दिन सिर्फ एक मस्जिद को खोलने और उसमें ईद की नमाज पढ़ने की छूट दी गई थी।
पुलिस अधिकारी के अनुसार, चीन की सरकार ने सूचना जारी की थी कि क्षेत्र में सिर्फ 60 से ज्यादा उम्र के लोग ही ईद की नमाज पढ़ें। इस नमाज के दौरान भी पुलिस का सख्त पहरा लगा रहा था। मुसलमानों की कड़ी निगरानी की गई थी। पता चला है कि बुलुंग क्षेत्र में बस 10—12 उइगर बुजुर्गों ने ही ईद की नमाज पढ़ी। ज्यादातर तो डर के मारे घरों से ही नहीं निकले। वहां कोई सोच भी नहीं सकता कि कोई सार्वजनिक सड़क, पार्क, रेल पटरी, चौराहे आदि स्थानों को घेरकर बाकी सब लोगों को हर तरह से तकलीफ पहुंचाते हुए ‘नमाज पढ़’ सकते हैं।
चीन के काशगर प्रान्त में भी सख्ती का कमोबेश यही हाल था। वहां भी मुस्लिम ईद पर घरों में दुबके रहे। सड़कों पर पुलिस के लोग घूम—घूमकर निगरानी करते रहे। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि ‘ईद का जश्न’ मनाए। उइगर मुसलमानों को उस देश में अपनी संस्कृति और रीति—रिवाजों के चौपट होने का खतरा महसूस हो रहा है।
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