कांग्रेस नेता व अधिवक्ता राज नारायन सिंह हत्याकांड में पूर्व मंत्री अंगद राय समेत चार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। मामले में अदालत ने सभी पर 10-10 हजार का जुर्माना भी लगाया है। 19 दिसंबर 2015 को सिधारी थाना क्षेत्र में रेलवे स्टेशन के पास ओवर ब्रिज के नीचे टहलने निकलने अधिवक्ता राज नारायन सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। मृतक राज नारायन सिंह की पत्नी सुधा सिंह ने अंगद यादव समेत कई अन्य के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत कराया था। एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश ओम प्रकाश वर्मा ने इस मामले चारों दोषियों को सजा सुनाई।
अंगद यादव और सुनील सिंह घटना के मुख्य अभियुक्त थे। पुलिस जांच में प्रमुख शूटर अरुण यादव व शैलेश यादव उर्फ तेली का नाम प्रकाश में आया था। सभी आरोपी फिलहाल जेल में हैं। राज नारायण और अंगद यादव कभी अच्छे मित्र हुआ करते थे। राज नारायन ने ही अंगद राय की बेटी की शादी मुंबई में करवाई थी। बेटी की शादी के बाद अंदग यादव को काफी परेशानी झेलनी पड़ी। बेटी की शादी सफल नहीं हो पाई। ससुराल से रिश्ते बिखर गए। इसी के बाद अंगद यादव और राज नारायन के रिश्तों में खटास आ गयी। दोस्ती टूट गयी और परिणाम राज नारायन की हत्या के रूप में सामने आया।
अभियोजन पक्ष की तरफ से सहायक शासकीय अधिवक्ता दीपक मिश्रा ने कुल 18 गवाहों को न्यायालय में परीक्षित कराया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी अंगद यादव, सुनील सिंह, अरुण यादव तथा शैलेश यादव को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में आजमगढ़ जिला प्रशासन ने जेल में बंद पूर्व मंत्री अंगद यादव की सिधारी थाना क्षेत्र के अन्तर्गत 40 लाख से अधिक की संपत्ति को कुर्क भी किया है। लखनऊ में वर्षों पूर्व, लक्ष्मी नारायन यादव हत्याकांड में भी पूर्व मंत्री अंगद यादव नामजद थे। इस हत्याकांड में इन्हें पहले ही लखनऊ कोर्ट से आजीवन कारावास की सजा हो चुकी है। बसपा सरकार में मायावती ने अंगद यादव को वन मंत्री बनाया था।
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