देहरादून। अभी सहसपुर क्षेत्र में मदरसे के अवैध निर्माण का मामला सुर्खियों में आया है। इसी तरह पछुवा देहरादून में एक दो नहीं बल्कि कई मदरसे आलीशान इमारतों में तब्दील हो रहे हैं। खास बात यह है कि इन इमारतों में मस्जिदें भी बनाई जा रही हैं, जिनके निर्माण पर सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगाई हुई है।
देहरादून से पोंटासहिब जाते समय मुख्य मार्ग पर सेलाकोई क्षेत्र में एक आलीशान मदरसे का निर्माण हो रहा है। करोड़ों रुपये की लागत से खड़ी हुई इस इमारत में कई सालो से लगातार निर्माण कार्य चल रहा है। मुख्य मार्ग के किनारे बन रही इस इमारत के निर्माण कार्य करवाने की कोई अनुमति एमडीडीए या विकास प्राधिकरण से नहीं ली गई। पक्की सूचना है कि इस मदरसे के परिसर में मस्जिद भी बनाई गई है। यानि मदरसा शिक्षा भवन की आड़ लेकर यहां मस्जिद खड़ी कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट का 20 सितंबर 2009 का आदेश है कि बिना डीएम की अनुमति के कोई भी नया धार्मिक स्थल अथवा पुराने धार्मिक स्थल की मरम्मत का काम नहीं किया जा सकता और इस आदेश के अनुपालन के लिए देश के हर हाई कोर्ट को जिम्मेदारी दी गई थी।
एक मदरसा और मस्जिद सेलाकोई में ही जमनपुर में भी ऐसे ही खड़ी कर दी गई है। जिसकी कोई अनुमति जिला प्रशासन या एमडीडीए से नहीं ली गई है। अब गौर करने की बात है कि जब इतनी ऊंची भव्य इमारतें बन रही थीं तो क्या विकासनगर, सेलाकोई प्रशासन, एमडीडीए के अभियंता आंखे मूंदे कैसे बैठे रहे? क्या इन पर कोई राजनीतिक या सामाजिक दबाव था, यही अधिकारी किसी आम आदमी के घर के बाहर एक ईंट तक नहीं लगने देते और ये मदरसे, मस्जिदें और मजारें बनाए जाने पर खामोश क्यों हो जाते है?
सहसपुर में बने मदरसे का मामला सुर्खियों में आने के बाद परगना तहसील स्तर से हुई जांच में पता चला कि नदी श्रेणी की जमीन पर इसका निर्माण हुआ है। इसके साथ साथ यहां एमडीडीए ने दोबारा नोटिस दिया है। पहले नोटिस का जवाब मदरसा प्रबंधकों द्वारा नहीं दिया गया। नोटिस का जवाब न देने की स्थिति में यह बात सही साबित होती है कि सहसपुर मदरसे के निर्माण में कुछ तो गलत हुआ ही है।
क्यों नहीं पास करवाते नक्शा और नहीं लेते अनुमति?
पछुवा देहरादून में कोई भी मस्जिद मदरसा या मजारों के लिए नक्शा पास नहीं कराया गया है। इसके पीछे मुख्य कारण ये है कि ये सब विवादित जमीनों अथवा सरकारी जमीनों पर हैं और यदि इसके लिए अनुमति लेते हैं तो उन्हें अपनी जमीन के कागज दाखिल खारिज लगवाने होते हैं, जोकि नहीं होते।
ऐसे ही शिमला बाई पास रोड पर एक दो नहीं बल्कि सौ से ज्यादा मस्जिदें बिना शासन की अनुमति के खड़ी हो गई हैं। इनमे से ज्यादातर तो सरकार की जमीनों पर अवैध कब्जे करके बना दी गई हैं। एक मस्जिद तो बीच नदी में बना दी गई है, जोकि वन विभाग की नदी श्रेणी की जमीन है।
क्या कहते हैं एमडीडीए के मुखिया
मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के प्रमुख बंशीधर तिवारी कहते हैं कि ये मामले हमारे संज्ञान में आए हैं। इन सभी को नोटिस जारी किए जा रहे हैं। मामले की अनदेखी करने वाले अधिकारियों से भी जवाब तलब कर रहे हैं।
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