केंद्र सरकार ने दावा की गई 123 संपत्तियों के खिलाफ दिल्ली वक्फ बोर्ड की याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इसमें केंद्र ने कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड इन संपत्तियों का मालिक नहीं, बल्कि सिर्फ संरक्षक हो सकता है।
केंद्र ने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड वक्फ की संपत्तियों के परीक्षण का विरोध नहीं कर सकती है, बल्कि उन संपत्तियों की स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। केंद्र ने कहा कि कुछ संपत्तियों को लीज पर दिया गया, इसलिए उन्हें वक्फ की संपत्ति नहीं कहा जा सकता है। हलफनामे में कहा गया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड की स्थापना वक्फ कानून के तहत हुई है।
सात मार्च को कोर्ट ने केंद्र के आदेश पर यथास्थिति बहाल करने का आदेश देने से इनकार कर दिया था। वक्फ बोर्ड की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि केंद्र ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए काफी तुच्छ वजह बताई है कि वक्फ बोर्ड का इन संपत्तियों में कोई रुचि नहीं है। इन संपत्तियों की कम से कम पांच बार पड़ताल हो चुकी है और हर बार ये पता चला कि वे वक्फ की हैं। अंतिम पड़ताल केंद्र की ओर से नियुक्त एक सदस्यीय कमेटी ने की थी।
केंद्र ने इन संपत्तियों का कब्जा लेने का फैसला लिया है, जिसका वक्फ बोर्ड विरोध कर रहा है। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर केंद्र की ओर से 8 फरवरी को जारी उस पत्र को चुनौती दी है जिसमें दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को कब्जे में लेने की बात कही गई है। दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार को वक्फ बोर्ड की संपत्ति अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। वक्फ बोर्ड की ये संपत्तियां 1970, 1974, 1976 और 1984 के सर्वे में सीमांकित की गई थीं और राष्ट्रपति ने भी उस पर सहमति थी।
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