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तारिक फतह के निधन पर संघ ने जताया शोक, कहा- उनके योगदान को हमेशा रखा जाएगा याद

तारिक फतह इस्लामी कट्टरता के घोर विरोधी थे। पाकिस्तान में 1977 में उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उन्हें पत्रकार के रूप में काम करने से रोका गया, जिसके कुछ वर्षों बाद वह कनाडा चले गए थे।

by WEB DESK
Apr 25, 2023, 09:43 am IST
in संघ
तारिक फतेह (फाइल फोटो)

तारिक फतेह (फाइल फोटो)

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पाकिस्तान में जन्मे कनाडाई लेखक तारिक फतह के निधन पर शोक जताया है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने शोक संदेश में कहा कि फतह प्रसिद्ध विचारक, लेखक और टिप्पणीकार थे। मीडिया और साहित्य जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। वह अपने सिद्धांतों और विश्वासों के प्रति प्रतिबद्ध रहे और उनके साहस और दृढ़ विश्वास के लिए उनका सम्मान किया गया। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार, दोस्तों और प्रशंसकों के साथ हैं।

Sri Tarek Fatah was an eminent thinker, author and commentator. His significant contributions to the media and the literary world will be greatly remembered. He remained committed to his principles and beliefs throughout his life and was respected for his courage and conviction. pic.twitter.com/CFINX0P0tU

— RSS (@RSSorg) April 24, 2023

बता दें कि तारिक फतह का 73 साल की उम्र में सोमवार को निधन हो गया है। उनकी बेटी नताशा ने इसकी पुष्टि की है। नताशा ने सोमवार शाम को ट्वीट किया कि पंजाब का शेर, हिंदुस्तान का बेटा, कनाडा का प्यार, सच बोलने वाला, न्याय के लिए लड़ने वाला, दबे-कुचले और शोषितों की आवाज… तारिक फतह नहीं रहे।

तारिक फतह के मन में भारत रचा-बसा था।
नूपुर शर्मा को जब जिहादियों ने सर कलम करने की
धमकी दी और कन्हैयालाल हत्याकांड के समय
उन्होंने खुलकर जिहादियों का विरोध किया था।
वे इस्लामी कट्टरता के घोर विरोधी थे।

पाकिस्तान के कराची में हुआ था जन्म
तारिक फतह का जन्म पाकिस्तान के कराची में 20 नवंबर 1949 को हुआ था। उनका परिवार बॉम्बे का रहने वाला था, लेकिन बंटवारे के बाद कराची चला गया था। तारिक फतेह ने बॉयोकेमिस्ट्री की पढ़ाई की थी, लेकिन बाद में पत्रकारिता में आ गए। उन्होंने खोजी पत्रकारिता भी की। कराची सन अखबार में रिपोर्टिंग की। वर्ष 1977 में उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया। उन्हें पत्रकार के रूप में काम करने से रोका गया। कुछ वर्षों बाद वह कनाडा चले गए थे।

मन में रचा-बसा था भारत
तारिक फतह के मन में भारत रचा-बसा था। नूपुर शर्मा को जब जिहादियों ने सर कलम करने की धमकी दी और कन्हैयालाल हत्याकांड के समय उन्होंने खुलकर जिहादियों का विरोध किया था। वे इस्लामी कट्टरता के घोर विरोधी थे।

Topics: तारिक फतेह का योगदानTariq FatehTariq Fateh passed awaySangh mournsTariq Fateh's lifeराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघTariq Fateh's contributionRashtriya Swayamsevak Sanghतारिक फतेहतारिक फतेह का निधनसंघ ने शोक जतायातारिक फतेह का जीवन
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