अधिकांश परिवारों में आजकल ज्यादातर माता-पिता दोनों जॉब करते हैं। जिसकी वजह से कई तरह की समस्याएं सामने आ रही हैं। माता-पिता अपने बच्चों को बहुत कम उम्र में ही फोन दे देते हैं। कोविड-19 आने के बाद ज्यादातर स्कूल और शिक्षा केंद्र ऑनलाइन हो गए। इसने अधिकांश बच्चों के लिए मोबाइल फोन को एक आवश्यकता बना दिया। परिजनों ने उन बच्चों को मोबाइल फोन देना शरू कर दिया, जो अभी भी अपेक्षाकृत छोटी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं, ज्यादातर 16 साल से कम उम्र के हैं।
ऐसे में बच्चे अपने दोस्तों को ऑनलाइन संदेश या तस्वीरें भेजने के लिए भी अपने मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। कई बार वे ऐसे लोगों के संपर्क में आते हैं जो किसी और के होने का नाटक कर रहे होते हैं और बच्चों को उनकी अश्लील तस्वीरें या वीडियो भेजने के लिए कहते हैं, जिसका उपयोग वे बाद में बच्चे को परेशान करने या ब्लकैमेल करने के लिए करते हैं। इससे बच्चों के बीच ऑनलाइन यौन शोषण के मामले सामने आते हैं।
देश में 2017 से 2020 तक 24 लाख ऑनलाइन यौन शोषण
भारत में 2017 से 2020 तक 24 लाख ऑनलाइन यौन शोषण के मामले सामने आए, जिनमें से 80% 14 वर्ष से कम उम्र की लड़कियां थीं, और संभवत: सामाजिक बाधाओं और अनभिज्ञता के कारण कई और रिपोर्ट नहीं की गई थी। जैसे-जैसे तकनीक आसानी से उपलब्ध होती जाएगी, यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। ऑनलाइन बाल यौन शोषण की इस समस्या को हल करने के लिए “अडोरा” नामक एक ऐप आया है। जिसका उद्देश्य बच्चों द्वारा ली गई किसी भी अश्लील सेल्फी का पता लगाना और माता-पिता को सूचित करना है।
कैसे काम करता है अडोरा ऐप
अडोरा ऐप बच्चे के फोन कैमरे द्वारा खींची गई किसी भी अश्लील फोटो का पता लगाएगा, यह माता-पिता को सूचित करेगा, और बच्चे को भी छवि को हटाने के लिए कहेगा। अडोरा बच्चों को ऑनलाइन अनजान लोगों को अपनी अश्लील सेल्फी भेजने से रोकेगा। जल्दी पता लगाने और सूचना देने से बच्चे को ऑनलाइन बाल यौन शोषण के मामलों का शिकार बनने से रोक सकते हैं।
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