दुनिया के 156 देशों की नदियों, समुद्र के जल से रविवार को श्रीराम जन्मभूमि पर निर्माणाधीन मंदिर की चौखट का भव्य अभिषेक किया गया। इस समारोह में दिल्ली स्टडी ग्रुप के अध्यक्ष विजय जौली के संयोजन में अपने-अपने देशों की पवित्र नदियों का पवित्र जल लेकर 156 देशों के प्रतिनिधि, 13 देशों के राजदूत, 40 देशों के अप्रवासी भारतीय रामनगरी में श्रीरामजन्म भूमि पहुंचे थे।
नेपाल, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान (जहां उस बाबर का जन्म हुआ था ), डेनमार्क, भूटान, रोमानिया, ग्रीस, मंगोलिया, अमेरिका, अल्बानिया सहित कुल 156 देशों के जल को एकत्र कर एक अभियान के रुप में अग्रवाल समाज के लोगों द्वारा सामूहिक रूप से अयोध्या लाया गया।
अभियान के जुड़े प्रमुख, विशिष्ट लोगो ने रविवार को मणिराम छावनी के विशाल सभागार में अपने विचार रख कर इस कार्यक्रम के औचित्य को परिभाषित किया। समारोह में सबसे पहले हनुमान चालीसा पढ़ा गया।
समारोह को सम्बोधित करते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव एवं विहिप उपाध्यक्ष चम्पत राय ने कहा की राम जन्मभूमि में पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर का भूमि पूजन किया। इस अवसर पर देश के एक हजार स्थलों से जल और मिट्टी राम मंदिर की भूमि पर विसर्जित की गई थी। इसी घटना से प्रेरित होकर दिल्ली स्टडी ग्रुप के अध्यक्ष विजय जौली ने राम मंदिर अभिषेक के लिए दुनिया के 156 देशों का जल एकत्रित किया, जो अत्यंत प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि आज जिन्होंने जल भेजा है, उन्हें ट्रस्ट के संतों की तरफ से सम्मान। यह आयोजन इंटरनेशनल हिस्ट्री है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि यह भारत के नागरिकों का नहीं मानव जाति का कार्यक्रम है और यह संकल्प लेने का समय फिर दुनिया को धार्मिक लड़ाई से मुक्त करने का मार्ग अयोध्या से निकलेगा। उन्होंने इस अवसर पर नया नारा “भारत जय जगत” दिया।
समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक रामलाल ने कहा कि रामजन्मभूमि राष्ट्र मंदिर ही नहीं विश्व मंदिर बनने जा रहा है और जिस दिन प्रभु राम की प्रतिष्ठा होगी, उस दिन दुनिया से समस्याओं का अंत आरंभ होगा।
जैन आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि श्रीराम का सम्मान सभी संप्रदायों और सभी देशों में है । आज उनके मंदिर के लिए 156 देशों से आया जल इसी सत्य का परिचायक है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि जैन धर्म में जो स्थान भगवान ऋषभदेव यानी आदिनाथ का है, वही श्रीराम का भी है।
महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्र आनंद गिरि ने कहा कि जिस प्रकार पूछ जलाए जाने से हनुमान जी का कुछ नहीं बिगड़ा और पूरी लंका जल गई। इसी तरह रामायण को जलाने की बात करने वाले कल चले जाएंगे किंतु रामायण का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा।
पूर्व थल सेना अध्यक्ष जेजे सिंह ने कहा कि ऊपर वाले ने भारत को स्पेशल बनाया है। कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि श्रृंगवेरपुर को पर्यटन केंद्र बनाने का प्रयास हो रहा है। इजराइल की लाइब्रेरी में यह पढ़ने को मिला कि राम के ईश्वर रूप का निषादराज ने सबसे पहले अनुभव किया था। अब पूरे देश में निषाद मछुआरों की सेना तैयार करके रावण राज्य खत्म करने में जुटा हूं।
कार्यक्रम संयोजक पूर्व विधायक दिल्ली विजय जौली ने बताया कि जलाभिषेक के लिए 156 देशों का जल कलश अयोध्या लाया गया। इसमें उज्बेकिस्तान के ताशकंद में चिरचिक नदी, तजाकिस्तान की वख्श नदी, यूक्रेन की डेनिस्टर, रूस की वोल्गा, मॉरिशस की गंगा तालाब और हिंद महासागर का जल भी है।
उन्होंने बताया कि जलाभिषेक कार्यक्रम के लिए इतने देशों का जल जुटाने के लिए 31 महीने का समय लगा। स्टॉकहोम से आशीष ब्रम्हभट्ट ने कोरोना काल के बाद सबसे पहली विस्तारा की फ्लाइट से जल भेजा। हमने यूक्रेन और रूस के साथ चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भी जल मंगाया है।
जौली ने बताया कि इस आयोजन में शामिल होने के लिए फिजी से राजेंद्र प्रसाद, आस्ट्रेलिया से परशुराम, मकाऊ से अरुणा झां, नेपाल के सांसद विनोद चौधरी, मॉरीशस से बालाजी, रोमानिया से विजय मेहता, सिंगापुर के पुरुषोत्तम कुमार सहित युगांडा, रोमानिया, मंगोलिया, भूटान, श्रीलंका, नार्वें समेत 40 देशों के करीब 200 लोगों का समूह आया है।
उन्होंने बताया कि रामलला के दरबार में दर्शन के बाद राम मंदिर का जलाभिषेक किया गया। पूरे कार्यक्रम को श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का निर्देशन और पूज्य संतों का मार्गदर्शन मिला। कलश पूजन और जलाभिषेक वैदिक मंत्रोच्चार के बीच सम्पन्न हुआ।
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