एकात्म मंडल के कार्यकर्ता युवाओं के साथ ही महिलाओं का भी सशक्तिकरण कर रहे हैं। 40 जगहों पर किशोरी विकास के लिए कार्य हो रहे हैं। पैरा मेडिकल शुरू किया गया है। महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है।
महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजी नगर में भवन निर्माण कार्य से जुड़े कामगारों की अनेक बस्तियां हैं। इनमें रहने वाले लोगों को स्वास्थ सेवाएं उनके घर ही मिलें, इसे देखते हुए डॉ. हेडगेवार अस्पताल ने इन बस्तियों में प्राथमिक आरोग्य केंद्र खोलने शुरू किए। यह बात है 1989 की।
चिकित्सा कार्य के लिए इन केंद्रों में जो कार्यकर्ता जाते थे, उन्हें वहां की अन्य समस्याओं के बारे में भी जानकारी मिलने लगी। उनमें से एक बड़ी समस्या थी कि वहां के बच्चे पढ़ने नहीं जाते थे। सुबह होते ही बच्चों के माता-पिता काम पर निकल जाते हैं और उनके छोटे-छोटे बच्चे संकरी गलियों में खेलते रहते थे।
ये बच्चे पारिवारिक संस्कारों से दूर तो हो ही रहे थे और पढ़ भी नहीं पा रहे थे। ये बड़े होकर या तोे मजदूर बनते या फिर किसी बुरी लत में फंसकर जीवन बर्बाद कर लेते। जब इन बच्चों के बारे में पता चला तो डॉ. हेडगेवार अस्पताल से जुड़े लोगों की पहल पर 1993 में एक संगठन बनाया गया। इसका नाम है-सावित्री बाई एकात्म मंडल। इसका उद्देश्य है सेवा बस्ती के बच्चों को शिक्षित और संस्कारित करना।
बालवाड़ी के कार्यकर्ताओं की मेहनत से इन बस्तियों का वातावरण बदल गया है। लोग अपने बच्चों को पढ़ने भेज रहे हैं। ऐसे कई बच्चे नौकरी भी कर रहे हैं। जो बच्चे ऊंची पढ़ाई नहीं कर पाते, उनके लिए एकात्म मंडल ने कई तरह के प्रशिक्षण की व्यवस्था की है।
इस उद्देश्य से प्रारंभ में संभाजी नगर की अनेक झुग्गी बस्तियों में बालवाड़ी केंद्र खोले गए। इन केंद्रों में बस्ती के बच्चों को बैठाकर अक्षर ज्ञान कराया गया। इसके साथ ही उन्हें सामान्य शिष्टाचार और संस्कार की जानकारी दी जाने लगी। इस कारण बच्चों में बड़ा परिवर्तन आया। इसके बाद समीप के विद्यालयों में इन्हें दाखिल कराया गया।
अब इन बस्तियों के बच्चे पढ़ने जा रहे हैं। बालवाड़ी के कार्यकर्ताओं की मेहनत से इन बस्तियों का वातावरण बदल गया है। लोग अपने बच्चों को पढ़ने भेज रहे हैं। ऐसे कई बच्चे नौकरी भी कर रहे हैं। जो बच्चे ऊंची पढ़ाई नहीं कर पाते, उनके लिए एकात्म मंडल ने कई तरह के प्रशिक्षण की व्यवस्था की है।
जैसे- आभूषण बनाना, नर्सिंग होम सहायक, कंप्यूटर प्रशिक्षण, इलेक्ट्रोनिक्स आदि। सावित्री बाई एकात्म मंडल की कौशल्य विभाग प्रमुख वर्षा पाटिल ने बताया, ‘‘इस तरह के प्रशिक्षण कार्य 55 सेवा बस्तियों और 8 जिलों के 620 गांवों में चल रहे हैं। अब तक लगभग 16,000 युवा प्रशिक्षित होकर अपने पैरों पर खड़े हो चुके हैं।’’
एकात्म मंडल के कार्यकर्ता युवाओं के साथ ही महिलाओं का भी सशक्तिकरण कर रहे हैं। 40 जगहों पर किशोरी विकास के लिए कार्य हो रहे हैं। पैरा मेडिकल शुरू किया गया है। महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जाता है।
लगभग 13,000 महिलाएं स्वावलंबी बन चुकी हैं। सबसे अच्छी बात यह है कि ये सारी गतिविधियां समाज के आर्थिक सहयोग से चल रही हैं। इन सभी कार्यों के केंद्र में हैं वर्षा पाटिल। इनके जीवन का एक ही उद्देश्य है, सेवा बस्तियों में रहने वाले लोगों को हर तरह से सशक्त बनाना। वे स्वयं भी एक सेवा बस्ती में रहती हैं।
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