विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन के स्कूलों में संस्थागत नस्लवाद के प्रचलन संबंधी मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हम हर प्रकार के भेदभाव के खिलाफ हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को पत्रकार-वार्ता में कहा कि हमने लंदन की एक संस्था हैनेरी जेकसन सोसाइटी की सर्वे रिपोर्ट पर गौर किया है, जिसमें हिन्दू छात्रों के साथ भेदभाव और उन्हें धार्मिक नजरिये परेशान किए जाने की बात कही गई है। प्रवक्ता ने कहा कि इस बात की जानकारी नहीं है कि किसी भारतीय ने लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग में शिकायत की हो।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ब्रिटेन के स्कूलों में हिन्दू धर्म के बारे में इसाई, यहूदी, इस्लाम धार्मिक नजरिए से पढ़ाया जाता है। पाठ्यक्रमों में मूर्ती पूजा, बहुदेववाद पर आक्षेप किया जाता है तथा भारत में सामाजिक कुरीतियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।
बता दें कि ब्रिटेन में पिछले दिनों हिन्दू विरोधी घटनाओं का एक सैलाब सा दिखाई दिया था। हिन्दुओं के विरुद्ध इस हिंसक नफरत में सिर्फ कट्टर मुस्लिम ही नहीं, खालिस्तानी भी बढ़-चढ़कर अपनी मंशाएं साफ कर चुके हैं। लीसेस्टर में गत वर्ष सितम्बर में हिन्दुओं पर इस्लामवादियों के हमलों से सांप्रदायिक उन्माद का जो सिलसिला शुरू हुआ था वह अभी थमा नहीं है। वहां के विश्वविद्यालयों में हिन्दू छात्रों को ‘टारगेट’ किया जा रहा है। यह सनसनीखेज खुलासा एक ताजा अध्ययन में सामने आया है।
पता चला है कि हिन्दू छात्रों को परिसर के अंदर मुस्लिम तत्व कन्वर्जन के लिए धमकाते हैं, उन पर बीफ के टुकड़े फेंकते हैं, देवी-देवताओं का अपमान करते हैं। यह हालत हो चली है ब्रिटेन के स्कूलों में हिन्दू बच्चों की।
इतना ही नहीं एक प्रमुख थिंक टैंक के इस अध्ययन में पाया गया है कि भारत में कभी प्रचलित रही जाति और वर्ण व्यवस्था को लेकर भ्रांतियां फैलाई जाती हैं, पूजा पर कटाक्ष किए जाते हैं और इस तरह हिन्दू छात्र-छात्राओं को सरेआम बेइज्जत करने की कोशिशें की जाती हैं।
ब्रिटेन में हिन्दू बच्चों पर कन्वर्जन का दबाव डाल रहे इस्लामी!
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