नई दिल्ली। भारतीय सेना के कमांडर सम्मेलन में तीन दिनों तक शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने मौजूदा सुरक्षा परिदृश्यों, सीमाओं के साथ-साथ भीतरी इलाकों में स्थिति और चुनौतियों के सभी पहलुओं पर गहन मंथन किया। सम्मेलन में संगठनात्मक पुनर्गठन, रसद, प्रशासन और मानव संसाधन प्रबंधन से संबंधित मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया। तीन दिन तक चले सम्मेलन के आखिरी दिन बुधवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य कमांडरों को संबोधित किया। साल में दो बार होने वाला भारतीय सेना के कमांडरों का सम्मेलन पहली बार हाइब्रिड प्रारूप में सोमवार से शुरू हुआ था। यह वर्ष 2023 का पहला सम्मेलन है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चीन से लगी उत्तरी सीमा की मौजूदा स्थिति पर टिप्पणी करते हुए किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए सेना में पूर्ण विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हालांकि, शांतिपूर्ण समाधान के लिए चीन के साथ चल रही सैन्य और कूटनीतिक बातचीत जारी रहेगी। पाकिस्तान से लगी पश्चिमी सीमा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को रोकने के लिए भारतीय सेना की भूमिका को सराहा जाना चाहिए, इसके बावजूद छद्म युद्ध जारी है। मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में सीएपीएफ, पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में समन्वित अभियान क्षेत्र में स्थिरता और शांति बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारतीय सेना की भूमिका राष्ट्र निर्माण के साथ-साथ समग्र राष्ट्रीय विकास में भी बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने ‘रक्षा और सुरक्षा’ दृष्टि को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने के लिए सेना के नेतृत्व को सराहा। रक्षा मंत्री ने जरूरत पड़ने पर नागरिक प्रशासन को सहायता प्रदान करने के अलावा देश की सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद से लड़ने में सेना की निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
रक्षा मंत्री ने यह भी टिप्पणी की कि देश में स्थिर आंतरिक स्थिति को बनाए रखने के लिए सुरक्षा, एचएडीआर, चिकित्सा सहायता से हर क्षेत्र में सेना का योगदान सराहनीय है। उन्होंने वर्तमान जटिल विश्व स्थिति पर जोर दिया, जो विश्व स्तर पर सभी को प्रभावित करती है। उन्होंने कहा कि हाइब्रिड युद्ध सहित अपरंपरागत और असीमित युद्ध भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होंगे। साइबर, सूचना, संचार, व्यापार और वित्त भविष्य के संघर्षों का एक अविभाज्य हिस्सा बन गए हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि सशस्त्र बलों को रणनीति बनाते और तैयार करते समय इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा।
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