महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के अलावा असम की सेवा भारती चिकित्सा में भी अच्छा कार्य कर रही है। वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में युवाओं को प्रशिक्षित कर गांव-गांव भेजा जाता है।
असम एक ऐसा राज्य है, जहां बांस का सबसे अधिक उत्पादन होता है। इसके उत्पादों की अच्छी-खासी मांग है। फिर भी असम के लोग काम के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के पास काम नहीं है। इसे देखते हुए सेवा भारती, असम ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए करीब पांच वर्ष पहले जोरहाट में ‘पाञ्चजन्य कुटीर उद्योग’ के नाम से एक केंद्र शुरू किया। यानी इस केंद्र के माध्यम से गरीबी के विरुद्ध हुंकार भरी गई। इस केंद्र में महिलाओं को बांस के विभिन्न उत्पाद बनाने का नि:शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। समय और बाजार की मांग के अनुरूप इन महिलाओं को मोबाइल स्टैंड, सजावटी सामान, कुर्सी, कप-ट्रे आदि बनाने का हुनर सिखाया जाता है।
सेवा भारती, जोरहाट जिले के संयोजक अबिनाश हजारिका ने बताया कि अब तक लगभग 1,000 महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है। आज ये सभी महिलाएं अपने घर ही अनेक तरह के उत्पाद बनाती हैं। कुछ महिलाएं तो विभिन्न मेलों में यह सामान खुद ही बेचती हैं, तो कुछ अपने उत्पाद व्यापारियों को देती हैं। इससे इनकी आमदनी बढ़ी है और रहन-सहन का स्तर भी ठीक हुआ है।
बांस से तरह-तरह की चीजें बनवाने के पीछे दूसरा उद्देश्य है पर्यावरण की रक्षा करना। उन्होंने कहा कि आज घर-घर में प्लास्टिक के बर्तन और अन्य सामान काम में आता है। लोग प्लास्टिक के बर्तनों में खाना भी खाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है। तिस पर पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। इसलिए सेवा भारती ने लोगों से आह्वान किया कि वे बांस से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करें। इसके प्रति लोग जागरूक भी हो रहे हैं -अबिनाश हजारिका
अबिनाश हजारिका ने यह भी बताया कि बांस से तरह-तरह की चीजें बनवाने के पीछे दूसरा उद्देश्य है पर्यावरण की रक्षा करना। उन्होंने कहा कि आज घर-घर में प्लास्टिक के बर्तन और अन्य सामान काम में आता है। लोग प्लास्टिक के बर्तनों में खाना भी खाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक है। तिस पर पर्यावरण भी प्रदूषित होता है। इसलिए सेवा भारती ने लोगों से आह्वान किया कि वे बांस से बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करें। इसके प्रति लोग जागरूक भी हो रहे हैं। इसलिए प्रशिक्षित लोगों की अधिक जरूरत महसूस होने लगी है। यही कारण है कि कोकराझार, गोलाघाट, माजुली, डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में भी प्रशिक्षण केंद्र शुरू किए गए हैं।
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के अलावा असम की सेवा भारती चिकित्सा में भी अच्छा कार्य कर रही है। वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में युवाओं को प्रशिक्षित कर गांव-गांव भेजा जाता है। ये युवा किसी बीमार व्यक्ति की जानकारी लेते हैं। हल्का बुखार आदि के लिए दवा देते हैं और यदि किसी को अस्पताल ले जाना हो, तो उनकी मदद करते हैं। यही नहीं, किसी अच्छे चिकित्सक से उसका इलाज करवाते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की समस्या कम होती है और उन्हें लगता है कि उनके साथ कोई है, जो मदद करने के लिए सदैव तैयार रहता है।
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