बांग्लादेश से एक हैरान करने वाली खबर आई है। वहां बन रहे एक परमाणु रिएक्टर के लिए वह इस्लामी देश अब उसे बनाने वाले रूस को चीनी मुद्रा युआन में पैसा चुकाएगा। बांग्लादेश में 12.65 अरब डॉलर की लागत से तैयार हुई इस परमाणु परियोजना में रूस की सरकारी परमाणु संयंत्र निर्माण कंपनी रोसाटॉम की मदद से वहां दो परमाणु ऊर्जा रिएक्टर बनने प्रस्तावित हैं, जिनमें एक का रूस निर्माण कर रहा है।
दरअसल बांग्लादेश में नवंबर, 2017 में राजधानी ढाका से करीब 140 किलोमीटर पश्चिम में पाबना के मध्य जिले रूपनगर में परमाणु संयंत्र में दो रिएक्टरों को बनाने का काम रूस की कंपनी ने शुरू कर दिया है। इसकी नींव को बनाने का काम पूरा हो चुका है। इनमें से हर एक रिएक्टर की स्थापित क्षमता 1,200 एमडब्ल्यूई है।
अब बांग्लादेश सरकार के एक अधिकारी ने बताया है कि बांग्लादेश और रूस के बीच सहमति बनी है कि परमाणु संयंत्र के लिए भुगतान करने में चीन की मुद्रा युआन का इस्तेमाल किया जाएगा।
बताया गया है कि कुल 12.65 अरब डॉलर लागत की इस परियोजना में रूस की सरकारी नियंत्रण वाली परमाणु कंपनी रोसाटॉम को करीब 30 करोड़ डॉलर यह भुगतान चीन की मुद्रा में किए जाने के पीछे कुछ कारण हैं। इन परियोजनाओं के 90 प्रतिशत कार्य के लिए 10 साल की छूट के साथ 28 वर्ष के अंदर चुकाने लायक रूसी कर्ज दिया गया है।
आखिर बांग्लादेश चीन की मुद्रा में रूस का कर्ज क्यों चुकाना चाहता है? इस बारे में आर्थिक विभाग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि रूस चाहता था उनसे अपनी मुद्रा रूबल में भुगतान लेना चाहता था, लेकिन ऐसा करना बांग्लादेश के लिए संभव नहीं है। मॉस्को ने बांग्लादेश से अपने केंद्रीय बैंकों के बीच सीधे भुगतान का रास्त खोलने को कहा था ताकि यूक्रेन युद्ध की वजह से मॉस्को के विरुद्ध लगे प्रतिबंधों से बाधित हुए फंड ट्रांसफर की सुविधा मिल जाए।
कुल 12.65 अरब डॉलर लागत की इस परियोजना में रूस की सरकारी नियंत्रण वाली परमाणु कंपनी रोसाटॉम को करीब 30 करोड़ डॉलर यह भुगतान चीन की मुद्रा में किए जाने के पीछे कुछ कारण हैं। इन परियोजनाओं के 90 प्रतिशत कार्य के लिए 10 साल की छूट के साथ 28 वर्ष के अंदर चुकाने लायक रूसी कर्ज दिया गया है।
रूस की तरफ से व्यापार तथा निवेश को और सुगम बनाने के लिए बैंक ऑफ रूस की संदेश प्रणाली को सक्षम किया जाए। अंतत: बांग्लादेश चीनी मुद्रा युआन में भुगतान करने पर सहमत हुआ है। इस बारे में पिछले हफ्ते ढाका गए एक रूसी प्रतिनिधिमंडल से परामर्श के बाद सहमति बनी है।
बांग्लादेश के अधिकारी मानते हैं कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद वहां बार-बार बिजली कटौती नहीं होगी। विश्लेषकों का मानना है कि इस वर्ष बांग्लादेशी मुद्रा टका और विदेशी मुद्रा भंडार के मूल्य में तेजी से गिरावट दर्ज हुई है। इस वजह से वहां ईंधन के आयात की क्षमता पर असर पड़ा है।
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