स्वयंसेवकों ने नि:स्वार्थ भाव से भारत माता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। यह जानकर गर्व होता है कि इतना विशाल संगठन समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में काम कर रहा है। कोविड के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं ने हर तरीके से समाज की मदद की और हजारों लोगों के जीवन को बचाते हुए नि:स्वार्थ भाव से आपूर्ति की।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने नि:स्वार्थ भाव से भारत माता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। यह जानकर गर्व होता है कि इतना विशाल संगठन समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रिम पंक्ति में काम कर रहा है। कोविड के दौरान संघ के कार्यकर्ताओं ने हर तरीके से समाज की मदद की और हजारों लोगों के जीवन को बचाते हुए नि:स्वार्थ भाव से प्रत्येक आवश्यक चीजों की आपूर्ति की। भारत-चीन युद्ध की बात हो या फिर करगिल युद्ध की, जरूरतमंद, कमजोरों की सेवा के लिए चाहें जम्मू-कश्मीर हो या फिर पूर्वोत्तर, हर जगह आपात स्थिति में संघ के स्वयंसवेक सबसे पहले पहुंचते दिखाई दिए हैं।
यह संघ के स्वयंसेवकों का मूल स्वभाव है। पूर्वोत्तर के भाई-बंधु वर्षों से हमारे होकर भी अलग-थलग थे, लेकिन संघ के प्रयासों से वे हमारे निकट आ गए हैं। इस एकीकरण में संघ का बहुत बड़ा योगदान रहा है। संघ द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, आत्मनिर्भरता के दुर्गम से दुर्गम क्षेत्रों में सेवा के जो हजारों प्रकल्प चलाए जा रहे हैं, मैं इन सभी कार्यों की मुक्तकंठ से सराहना करता हूं। साथ ही सेवा भारती से जुड़े प्रत्येक कार्यकर्ता की प्रशंसा करता हूं, क्योंकि ये स्वयंसेवक मत-पंथ, जात-पात की सीमा को पारकर राष्ट्र को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हम समाज जीवन में परिवर्तन लाएंगे। हमारी मार्गदर्शक श्रीमद्भगवद्गीता है। हम सभी को मनुष्य के रूप में जन्म लेने का सौभाग्य मिला है। ऐसे में हमारे पास जो कुछ भी है या जो भी करने में सक्षम हैं, वह जरूर करें, क्योंकि सेवा से बड़ा अन्य कोई पुण्य काम नहीं है। सेवा वह ऋण है जो आप इस दुनिया में रहने के लिए चुकाते हैं। आप पर मां, प्रकृति का कर्ज है। प्रकृति हमें बिना शर्त प्रचुर मात्रा में संसाधन देती है। इसलिए हमें उसका भी ऋण चुकाना है।
भारत दुनिया के लिए निस्वार्थ सेवा और करुणा का आदर्श रूप है। हमारा पीरामल फाउंडेशन भी 15 साल पहले शुरू हुआ था। देश के 27 राज्य और दो केंद्र शासित राज्यों में इसका काम है। हमारा ध्येय लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना है। वनवासी समाज की शिक्षा और उनके स्वास्थ्य को ठीक करने की दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं। यह सत्य है कि भारत के युवा ही उसकी अनमोल निधि और भविष्य के नेतृत्व की नींव है। हमारे फाउंडेशन ने ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं, महिलाओं को डिजिटल कौशल से युक्त करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए फैलोशिप की स्थापना की है।
हम आज जो कुछ भी हैं, उसके पीछे अहर्निश सेवा करने वाली 5,000 से अधिक लोगों की टीम है। ऐसी टीम के साथ कार्य करते हुए हम समाज जीवन में परिवर्तन लाएंगे। हमारी मार्गदर्शक श्रीमद्भगवद्गीता है। हम सभी को मनुष्य के रूप में जन्म लेने का सौभाग्य मिला है। ऐसे में हमारे पास जो कुछ भी है या जो भी करने में सक्षम हैं, वह जरूर करें, क्योंकि सेवा से बड़ा अन्य कोई पुण्य काम नहीं है। सेवा वह ऋण है जो आप इस दुनिया में रहने के लिए चुकाते हैं। आप पर मां, प्रकृति का कर्ज है। प्रकृति हमें बिना शर्त प्रचुर मात्रा में संसाधन देती है। इसलिए हमें उसका भी ऋण चुकाना है।
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