आंबेडकर जयंती पर विशेष : जिहादी मानसिकता और डॉ. आंबेडकर
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

आंबेडकर जयंती पर विशेष : जिहादी मानसिकता और डॉ. आंबेडकर

डॉ. आंबेडकर ने आज से लगभग 94 वर्ष पूर्व लिखा था कि ‘मुस्लिम लोगों का झुकाव मुस्लिम संस्कृति के राष्ट्रों की तरफ रहना स्वाभाविक है। इस्लामी कट्टरवाद और इस्लामी राजनीति में हिंसा के तत्व शामिल होने के कारणों की भी बाबासाहेब ने पड़ताल की थी। उनके निष्कर्ष आज भी प्रासंगिक हैं

by किशोर मकवाणा
Apr 14, 2023, 05:59 am IST
in भारत, विश्लेषण
संविधान सभा में बाबासाहेब।

संविधान सभा में बाबासाहेब।

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

आज पूरा विश्व मजहबी कट्टरवाद से परेशान है। भारत एक हजार वर्ष से इस कट्टरवाद को झेलता आया है। बाबासाहेब का एक-एक शब्द आज भी शत प्रतिशत उतना ही सच है। डॉ. बाबासाहेब ने हिन्दू-मुस्लिम समस्या की जड़ में जाकर ऐसा निष्कर्ष निकाला जो आज भी उपयोगी है।

आज पूरे विश्व में फैले इस्लामी कट्टरवाद का सही प्रेक्षण डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने आज से 75 वर्ष पूर्व कर लिया था। जब हम उनके प्रसिद्ध ग्रंथ ‘थॉट्स आन पाकिस्तान’ को पढ़ते हैं, तब ध्यान में आता है कि किन उद्देश्यों से सदियों तक मुस्लिम आक्रांताओं ने इस देश पर आक्रमण कर इसको तहस-नहस कर दिया? पाकिस्तान के सृजन के पीछे कौन-सी मानसिकता जिम्मेदार थी? हिन्दू-मुस्लिम दंगे क्यों होते रहते हैं? आज भी हिन्दुस्थान और पूरे विश्व में जिहादी आतंकवाद क्यों फैला है? इन सभी सवालों के जवाब हमें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों से मिलते हैं। आज भी इस्लामी कट्टरवाद और मुस्लिम समस्या ज्यों की त्यों है, ऐसे में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों को समझना जरूरी है।

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का इस्लामी कट्टरवाद के बारे में दृष्टिकोण हमेशा एकदम स्पष्ट था। 18 जनवरी, 1929 के ‘बहिष्कृत भारत’ के संपादकीय में डॉ. बाबासाहेब ने लिखा, ‘मुस्लिम लोगों का झुकाव मुस्लिम संस्कृति के राष्ट्रों की तरफ रहना स्वाभाविक है। लेकिन यह झुकाव हद से ज्यादा बढ़ गया है। मुस्लिम संस्कृति का प्रसार कर मुस्लिम राष्ट्रों का संघ बनाना और जितना हो सके, काफिर देशों पर उनका अलम चलाना, यही उनका लक्ष्य बन गया है। इसी सोच के कारण उनके पैर हिन्दुस्थान में होकर भी उनकी आंखें तुर्कस्तान अथवा अफगानिस्तान की ओर लगी हैं। हिन्दुस्थान मेरा देश है, ऐसा जिनको अभिमान नहीं है और अपने निकटवर्ती हिन्दू बंधुओं के बारे में जिनकी बिल्कुल भी आत्मीयता नहीं है, ऐसे मुसलमान लोग मुसलमानी आक्रमण से हिन्दुस्थान की सुरक्षा करने हेतु सिद्ध हो जाएंगे, ऐसा मानना खतरनाक है।’

जब मुस्लिम लीग ने मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में 1940 में अलग पाकिस्तान का प्रस्ताव अपने लाहौर अधिवेशन में प्रस्तुत किया तब देश के सभी बड़े राजनेता इसे कोरी कल्पना बता रहे थे, बकवास कहते थे। मगर बाबासाहेब की दूरदृष्टि ने जान लिया था कि इसे कोई रोक नहीं सकता, क्योंकि बाबासाहेब ने मुस्लिम कट्टरवाद और इस्लाम के राजनीतिक स्वरूप का गहराई से अध्ययन किया था। डॉ. बाबासाहेब कहते हैं, ‘मुसलमान इस योजना पर विचार करने के लिए दबाव डालेंगे, राजनीतिक शक्ति के हस्तांतरण पर अपनी सहमति देने से पहले ब्रिटेन हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच किसी न किसी प्रकार समझौते का आग्रह करेगा। …बहरहाल हिन्दुओं की यह आशा व्यर्थ है कि ब्रिटेन पाकिस्तान की मांग को दबाने के लिए बलप्रयोग करेगा, जो कि असंभव है।’ मुस्लिम मानसिकता की असहिष्णुता, आक्रामकता और हठधर्मिता के कारण पाकिस्तान का सृजन हुआ।

‘मुस्लिम कानून के अनुसार दुनिया दो पक्षों में बंटी है- दारुल इस्लाम और दारुल हरब। वह देश दारुल इस्लाम कहलाता है, जहां मुसलमानों का राज हो। दारुल हरब वे देश हैं जहां मुसलमान रहते तो हैं, पर वे वहां के शासक नहीं हैं। इस्लामी कानून के अनुसार भारत देश हिन्दुओं और मुसलमानों की साझी मातृभूमि नहीं हो सकता है। वह मुसलमानों की जमीन तो हो सकती है, पर बराबरी से रहते हिन्दुओं और मुसलमानों की भूमि नहीं हो सकती। यह मुसलमानों की जमीन भी केवल तब हो सकती है, जब इस पर मुसलमानों का राज हो। जिस क्षण इस भूमि पर किसी गैर-मुस्लिम का अधिकार हो जाता है, यह मुसलमानों की जमीन नहीं रहती।’

-डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर 

हिन्दू-मुस्लिम संबंधों की कड़वी सचाई
डॉ. आंबेडकर की मान्यता थी कि हिन्दू-मुस्लिम संबंधों की आज की कड़वी सचाई जिस इतिहास में से निकली है, उसे समझना बहुत आवश्यक है। उनका विश्वास था कि सन् 711 में मुहम्मद बिन कासिम द्वारा सिंध पर किए गए आक्रमण से आरंभ हुए मुस्लिम सेनाओं के निरंतर आक्रमणों और आक्रमणकारियों द्वारा अपनाए गए तौर-तरीकों ने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच ऐसी गहरी कड़वाहट पैदा कर रखी है, जिसे लगभग एक शताब्दी की राजनीतिक कार्रवाईयों ने भी न तो शांत किया है, न ही जिसे लोग भुला पाए हैं।

डॉ. बाबासाहेब लिखते हैं, ‘क्योंकि, हमलों के साथ-साथ मंदिरों को नष्ट-भ्रष्ट किया गया, बलपूर्वक मुसलमान बनाए गए, धन-सम्पत्ति की लूट की गई, पुरुषों, महिलाओं, बच्चों को अतिशय अपमानित किया गया या गुलाम बना दिया गया। इसलिए इसमें आश्चर्य की बात क्या है कि इन आक्रमणों की स्मृतियां सदा ही बनी रहीं और मुसलमान उन्हें गर्व से तथा हिन्दू लज्जा एवं ग्लानि के साथ याद करते रहे हैं। जब मुस्लिम राजसत्ता स्थायी रूप से स्थापित हो गई, तब अधिक से अधिक हिन्दुओं को मुसलमान बनाना पहली आवश्यकता बन गई। इस्लाम को पूरे भारत का मजहब बनाना राज्यनीति का अंग बन गया।’

इस्लाम की मूलभूत राजनीतिक प्रेरणाओं के बारे में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर लिखते हैं, ‘मुस्लिम कानून के अनुसार दुनिया दो पक्षों में बंटी है- दारुल इस्लाम और दारुल हरब। वह देश दारुल इस्लाम कहलाता है, जहां मुसलमानों का राज हो। दारुल हरब वे देश हैं जहां मुसलमान रहते तो हैं, पर वे वहां के शासक नहीं हैं। इस्लामी कानून के अनुसार भारत देश हिन्दुओं और मुसलमानों की साझी मातृभूमि नहीं हो सकता है। वह मुसलमानों की जमीन तो हो सकती है, पर बराबरी से रहते हिन्दुओं और मुसलमानों की भूमि नहीं हो सकती। यह मुसलमानों की जमीन भी केवल तब हो सकती है, जब इस पर मुसलमानों का राज हो। जिस क्षण इस भूमि पर किसी गैर-मुस्लिम का अधिकार हो जाता है, यह मुसलमानों की जमीन नहीं रहती।’

हर मुसलमान कहता है कि वह मुसलमान पहले है और हिन्दुस्थानी बाद में। यही है वह भावना जो स्पष्ट कर देती है कि क्यों भारतीय मुसलमानों ने भारत की प्रगति के कामों में इतना कम भाग लिया है, जब कि वे मुस्लिम देशों के पक्ष का समर्थन करने में अपनी सारी शक्ति लगा देते हैं।

देश नहीं, इस्लाम सर्वोपरि
बाबासाहेब ने एएमयू के संस्थापक सर सैयद अहमद का सांप्रदायिक चेहरा भी बेनकाब किया है। बाबासाहेब लिखते हैं, ‘सर सैयद अहमद ने अपनी सारी प्रतिभा लगाकर मुसलमानों को यह समझाया कि वे हिन्दुस्थान को दारुल-हरब केवल इस कारण न मान लें कि यहां अब मुस्लिम राज नहीं रहा। उन्होंने मुसलमानों से आग्रह किया कि हिन्दुस्थान को दारुल-इस्लाम ही मानें, क्योंकि उन्हें अपने मजहब के अनुसार सभी रस्मो-रिवाज पूरे करने की आजादी है।… मुस्लिम कानून का एक और आदेश है- जिहाद छेड़ने का, जिसके द्वारा मुस्लिम शासक कर्तव्यबद्ध है कि वह इस्लाम के राज को तब तक फैलाएं, जब तक कि पूरी दुनिया इसकी हुकूमत में नहीं आ जाती।’
डॉ. आंबेडकर कहते हैं, ‘वे जिहाद केवल छेड़ ही नहीं सकते, बल्कि जिहाद की सफलता के लिए विदेशी मुस्लिम शक्ति को सहायता के लिए बुला भी सकते हैं। और, इसी प्रकार यदि भारत के विरुद्ध कोई विदेशी मुस्लिम शक्ति ही जिहाद छेड़ना चाहती है, तो मुसलमान उसके प्रयास की सफलता के लिए सहायता भी कर सकते हैं।’

एक तीसरा सिद्धांत, जिसकी चर्चा करना प्रासंगिक होगा, वह यह है कि इस्लाम भूक्षेत्रीय नातों को नहीं मानता। इसके रिश्ते-नाते सामाजिक और मजहबी होते हैं, अत: दैशिक सीमाओं को नहीं मानते। अन्तरराष्ट्रीय इस्लाम का यही आधार है। इसी से प्रेरित हिन्दुस्थान का हर मुसलमान कहता है कि वह मुसलमान पहले है और हिन्दुस्थानी बाद में। यही है वह भावना जो स्पष्ट कर देती है कि क्यों भारतीय मुसलमानों ने भारत की प्रगति के कामों में इतना कम भाग लिया है, जब कि वे मुस्लिम देशों के पक्ष का समर्थन करने में अपनी सारी शक्ति लगा देते हैं और क्यों उनके ख्यालों में मुस्लिम देशों का स्थान पहला और भारत का दूसरा है। (पाकिस्तान एंड पार्टिशन आॅफ इंडिया, पृ़ 287-91)

किन उद्देश्यों से सदियों तक मुस्लिम आक्रांताओं ने इस देश पर आक्रमण कर इसको तहस-नहस कर दिया? पाकिस्तान के सृजन के पीछे कौन-सी मानसिकता जिम्मेदार थी? हिन्दू-मुस्लिम दंगे क्यों होते रहते हैं? आज भी हिन्दुस्थान और पूरे विश्व में जिहादी आतंकवाद क्यों फैला है? इन सभी सवालों के जवाब हमें डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के विचारों से मिलते हैं।

इस प्रकार की अपनी वैचारिक प्रेरणाओं के प्रभाव में रहते हुए मुसलमान किस सीमा तक ऐसी सरकार की सत्ता को स्वीकारेंगे जिसको बनाने और चलाने वाले हिन्दू होंगे? यह प्रश्न भी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने उठाया। इस संदर्भ में उन्होंने इस बात का वर्णन किया कि मुसलमान हिन्दुओं को किस दृष्टि से देखते हैं। ‘…मुसलमान की दृष्टि में हिन्दू काफिर है और काफिर सम्मान के योग्य नहीं होता। वह निष्ट जन्मा और प्रतिष्ठाहीन होता है। इसीलिए काफिर द्वारा शासित देश मुसलमान के लिए दारुल हरब होता है।’(संदर्भ वही, पृ़ 294)

लोभ और जिद की प्रवृत्ति
उर्दू को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने, गोवध का आग्रह और मस्जिदों के आगे बाजे-गाजे की मनाही जैसे विषयों पर मुसलमानों की जिद पर डॉ. बाबासाहेब ने कहा, ‘उर्दू को भारत की राष्ट्रभाषा बनाने की उनकी मांग विवेकहीन है। 6.8 करोड़ मुसलमानों में से मात्र 2.8 करोड़ ही उर्दू बोलते हैं। (पृ़ 268) ध्यान देने वाली दूसरी बात हिन्दुओं की कमजोरियों से लाभ उठाने की मुसलमानों की भावना है। इसका प्रमाण मुसलमानों द्वारा गोहत्या के अधिकार और मस्जिदों के पास बाजे-गाजे की मनाही की मांग से मिलता है। धार्मिक उद्देश्य से गोबलि के लिए मुस्लिम कानूनों में कोई बल नहीं दिया गया है और जब वह मक्का और मदीना हज पर जाता है, गोबलि नहीं करता है। परंतु भारत में दूसरे किसी पशु की बलि देकर वे संतुष्ट नहीं होते हैं। तीसरी बात, मुसलमानों द्वारा राजनीति में अपराधियों के तौर-तरीके अपनाए जाते हैं।’ (पृ़ 269)

तीसरी समझने योग्य बात है, मुसलमानों द्वारा राजनीति में हिंसक कार्य पद्धति अपनाना। हिंसक उपद्रव इस बात का पर्याप्त संकेत है कि गुंडागर्दी राजनीति में उनकी रणनीति का स्थायी भाग बन चुकी है। ऐसा लगता है कि वे सोचे-समझे ढंग से उन्हीं रीति-नीतियों का अनुकरण कर रहे हैं।

मुस्लिम राजनीति का सांप्रदायिक आधार
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनी पुस्तक ‘थॉट्स आन पाकिस्तान’ में मुस्लिम राजनीति के सांप्रदायिक आधार का विस्तृत वर्णन किया है। इस वर्णन से मुस्लिम राजनीति के दो आयाम दृष्टि-गोचर होते हैं- आक्रामकता और अलगाववाद। डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा- ‘सरसरी दृष्टि से देखने पर भी यह बात स्पष्ट हो जाएगी कि मुसलमानों के प्रति हिन्दू मनोवृत्ति और हिन्दुओं के प्रति मुस्लिम मनोवृत्ति में एक मूलभूत आक्रामक भाव विद्यमान रहता है। हिन्दुओं का आक्रामक भाव एक नई प्रवृत्ति है जिसे उन्होंने हाल ही में विकसित करना प्रारंभ किया है। मुसलमानों की आक्रामक भावना उनकी जन्मजात पूंजी है और हिन्दुओं की तुलना में बहुत प्राचीन काल से उनके पास है। आज जैसी स्थिति है, मुसलमान इस आक्रामक भाव के प्रदर्शन में हिन्दू को बहुत पीछे छोड़े हुए हैं।’

अधिक से अधिक राजनीतिक सुविधाएं प्राप्त करने की मुस्लिम इच्छा को तृप्त करना कितना कठिन है, इसका वर्णन डॉ. आंबेडकर ने इस प्रकार किया है- ‘गोलमेज सम्मेलन में मुसलमानों ने जितनी मांगें रखीं और जो उनको दे दिया गया, उसे देखते हुए कोई भी यही सोचता कि मुस्लिम मांगें अपनी अंतिम सीमा प्राप्त कर चुकी हैं और 1932 का यह समझौता निर्णायक ही होगा। परंतु ऐसा प्रतीत होता है कि मुसलमान इससे भी संतुष्ट नहीं हुए हैं। मुस्लिम हितों को सुरक्षित करने के लिए एक और नई सूची भी तैयार लगती है।

दूसरी समझने योग्य बात है, मुसलमानों में हिन्दुओं की दुर्बलताओं का अनुचित लाभ उठाने की भावना। यदि हिन्दू किसी बात पर आपत्ति करते हैं तो मुसलमान उसी बात पर आग्रह करने की नीति बनाने लगते हैं और यह आग्रह तभी छोड़ने को तैयार होते हैं जब हिन्दू उसके बदले किसी अन्य सुविधा के रूप में उसका मूल्य चुकाने को तैयार हो जाते हैं। (पृ़ 256)

तीसरी समझने योग्य बात है, मुसलमानों द्वारा राजनीति में हिंसक कार्य पद्धति अपनाना। हिंसक उपद्रव इस बात का पर्याप्त संकेत है कि गुंडागर्दी राजनीति में उनकी रणनीति का स्थायी भाग बन चुकी है। ऐसा लगता है कि वे सोचे-समझे ढंग से उन्हीं रीति-नीतियों का अनुकरण कर रहे हैं जो सुडेटन जर्मन लोगों ने चेक लोगों के विरुद्ध अपनाए थे। (पृ़ 256-60)

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर कहते हैं कि कांग्रेस ने मुसलमानों को राजनीतिक और अन्य रियायतें देकर उन्हें सहन करने और खुश रखने की नीति अपनाई है। कांग्रेस समझ नहीं पाई कि छूट देने की नीति ने मुस्लिम आक्रामकता को बढ़ावा दिया है। (पृ़ 260-1)

डॉ. बाबासाहेब की दृष्टि में सांप्रदायिक समस्या का समाधान तभी होगा जब भारत के सभी मुसलमान पाकिस्तान चले जाएं। बाबा साहेब ने कहा, मैं ऐसे दो भागों में बंटवारा पसंद करूंगा क्योंकि दोनों की सुरक्षा का सबसे निश्चित और निष्कंटक उपाय यही है। (पृ़ 368)
उनके अनुसार पाकिस्तान बनाने की योजना लागू न होने की स्थिति में हिन्दुओं को दो गंभीर दुष्परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

  1.  भारत की सुरक्षा संकट में रहेगी।
  2.  देश में सांप्रदायिक वैमनस्य की समस्या गंभीर बनी रहेगी।

आज पूरा विश्व मजहबी कट्टरवाद से परेशान है। भारत एक हजार वर्ष से इस कट्टरवाद को झेलता आया है। बाबासाहेब का एक-एक शब्द आज भी शत प्रतिशत उतना ही सच है। डॉ. बाबासाहेब ने हिन्दू-मुस्लिम समस्या की जड़ में जाकर ऐसा निष्कर्ष निकाला जो आज भी उपयोगी है।
(लेखक सामाजिक समरसता के संपादक हैं। यह आलेख पाञ्चजन्य द्वारा अप्रैल,2015 में प्रकाशित डॉ. आंबेडकर विशेषांक में छपा था)

Topics: आंबेडकर जयंतीडॉ. बाबासाहेबReligious fundamentalismहिन्दू-मुस्लिमIslamic fundamentalismमजहबी कट्टरवादExcluded Indiaइस्लामी कट्टरवादMuhammad Ali Jinnahबहिष्कृत भारतHindustan is my countryहिन्दुस्थान मेरा देश हैTurkestan or Afghanistanतुर्कस्तान अथवा अफगानिस्तानHindu-Muslim riotsमुस्लिम लीगहिन्दू-मुस्लिम दंगेJihadi terrorismमुहम्मद अली जिन्नाजिहादी आतंकवादThoughts on Pakistan'hindu-muslimथॉट्स आन पाकिस्तान’Jihadi mentality and Dr. AmbedkarMuslim LeagueDr. Babasaheb
Share13TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Turkish plan against india

तुर्की का भारत विरोधी एजेंडा: बांग्लादेश और पाकिस्तान के सहारे घेरने की साजिश, निशाने पर ये राज्य

Kolakata Law College gangrape case

9 दिनों में 24 रेप: बांग्लादेश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की महामारी

PFI NIA Islam

PFI की खौफनाक साजिश का NIA ने किया पर्दाफाश: जज से लेकर नेता तक, निशाने पर हिन्दू

Bagladesh Kali mata Temple burnt into ashesh by Islamist

बांग्लादेश हिंदू मंदिर हमला: सीताकुंडा में काली माता मंदिर को इस्लामिस्टों ने लूटा, तोड़ा और जला दिया

Hindu Family in Sylhat converted to Islam

बांग्लादेश: जमात ए इस्लामी ने हिन्दू परिवार का करवाया इस्लामिक कन्वर्जन, लगाए अल्लाह हु अकबर के मजहबी नारे

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies