मझगवां (सतना) स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के महर्षि वाल्मीकि परिसर में वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण हुआ। अनावरणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत।
गत दिनों अप्रैल को मझगवां (सतना) स्थित दीनदयाल शोध संस्थान के महर्षि वाल्मीकि परिसर में वीरांगना रानी दुर्गावती की प्रतिमा का अनावरण हुआ। अनावरणकर्ता थे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वीरांगना रानी दुर्गावती के शौर्य एवं पराक्रम के कारण इस क्षेत्र को स्पर्श करने में आक्रांताओं को दो से तीन दशक तक का समय लगा।
रानी दुर्गावती के जीवन से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि राष्ट्र की रक्षा और राष्ट्र का सम्मान सर्वोपरि होता है। गोंडवाना रानी दुर्गावती का एक समृद्ध राज्य था। पति के देहांत के बाद रानी दुर्गावती ने राज्य को संभाल कर प्रजा को सुख, समृद्धि और सम्मान दिया।
रानी दुर्गावती के व्यक्तित्व एवं कार्यशैली से प्रभावित होकर यहां के लोगों ने आपस के विवादों से दूर रहकर विदेशियों से सतत संघर्ष किया। अपने छोटे-छोटे व्यक्तिगत स्वार्थों के लिए कभी भी देश का अहित करने का विचार नहीं पाला। उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती के जीवन से हमें यह सीख लेनी चाहिए कि राष्ट्र की रक्षा और राष्ट्र का सम्मान सर्वोपरि होता है। गोंडवाना रानी दुर्गावती का एक समृद्ध राज्य था। पति के देहांत के बाद रानी दुर्गावती ने राज्य को संभाल कर प्रजा को सुख, समृद्धि और सम्मान दिया।
इसी वैशिष्ट्य को जन-जन से परिचित कराने के लिए रानी दुर्गावती की प्रतिमा स्थापित की गई है। दीनदयाल शोध संस्थान के अध्यक्ष श्री वीरेंद्र पराक्रमादित्य ने अतिथियों का स्वागत किया। मंडला से पधारे संत मदन मोहन गिरि महाराज ने आशीर्वचन में कहा कि हमारे देश में सनातन धर्म शाश्वत रहे, हम परमवैभव को प्राप्त करें, इसके लिए सबको प्राणपण से जुटना होगा। अभय महाजन ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम के लिए मझगवां क्षेत्र के 50,000 परिवारों से सहयोग प्राप्त हुआ।
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