मंदिर किसके
May 8, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मंदिर किसके

मंदिरों पर किसका नियंत्रण हो, समाज का, सरकार का या किसी अन्य का? क्या मान्यता और विधान के स्तर पर विभिन्न मंदिरों को एक चश्मे से देखा जा सकता है, क्या इनकी व्यवस्था में धार्मिक-आध्यात्मिक से इतर शक्तियों को हस्तक्षेप करना चाहिए? मंदिर हिंदू समाज की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक इकाई हैं, इसलिए ये प्रश्न महत्वपूर्ण हैं। प्रस्तुत है इन प्रश्नों पर ट्विटर स्पेस पर चर्चा में शामिल लोगों की राय

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Apr 10, 2023, 08:01 am IST
in भारत, विश्लेषण, संस्कृति
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

फिलहाल सरकार के नियंत्रण में लगभग 4 लाख मठ-मंदिर हैं। लगभग 18 राज्य सरकारों ने मठ-मंदिरों पर नियंत्रण किया हुआ है। सरकारी नियंत्रण में जाने से मठ-मंदिर लूट के केंद्र बन गए हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने पुरी के जगन्नाथ मन्दिर में सभी पंथों के लोगों को जाने की अनुमति देते हुए मंदिर के प्रबंधन के लिए 2019 में कई दिशानिर्देश जारी किए थे। अब सर्वोच्च न्यायालय ने इन निर्देशों के अनुपालन पर ओडिशा सरकार से विस्तृत स्थिति रिपोर्ट तलब की है। हर मंदिर का एक विशेष चरित्र होता है। स्थान, मत, परंपरा, देवी-देवता के आधार पर हर मंदिर का स्वरूप और मान्यताएं अलग-अलग हो सकती हैं। वे सभी पर लागू (अप्लाइड टू आल) नहीं होतीं। एक जगह पर बलि चढ़ती है तो दूसरी जगह मांस-मदिरा वर्जित होते हैं।

मंदिरों का यह जो वैविध्य भरा वैशिष्ट्य है, यह मंदिरों को अनूठापन देता है। ऐसा कहीं और नहीं है। यदि किसी और चश्मे से आप देखेंगे तो मंदिर समझ में नहीं आएंगे। मंदिरों का विषय पूरी तरह से उस स्थान, देवी-देवता से जुड़ी मान्यताओं के साथ नत्थी है। अन्य आधार पर उसमें हस्तक्षेप उस मंदिर के स्वरूप, महात्म्य को नष्ट करता है। तो मंदिर किसके हैं, मंदिरों पर किसका स्वामित्व होना चाहिए, मंदिरों की व्यवस्था में हस्तक्षेप कौन कर सकता है, इन प्रश्नों पर हमने ट्विटर स्पेस पर विमर्श का आयोजन किया।

प्रस्तुत है विमर्श में शामिल लोगों की राय :
स्वामी शैलेषानंद जी कहते हैं कि जब हम अपने मंदिरों-मठों पर शासकीय नियंत्रण देखते हैं तो हास्यास्पद लगता है। उनके व्यापारीकरण से हम आहत होते हैं। हमारा धर्म आमजन के लिए है न कि किसी विशिष्टजन के लिए। ईश्वर के सामने प्रत्येक दर्शनार्थी, श्रद्धालु एकसमान है। विशिष्टता का सिद्धांत सनातन धर्म पर लागू हो रहा है जो निंदनीय है। मंदिरों पर शासकीय नियामक हो सकता है पर शासकीय नियंत्रण नहीं। इसके अलावा, मंदिर श्रद्धा के केंद्र हैं। अन्य पंथों-मजहबों के लोगों को हमारी संस्कृति का वैभव, व्यापकता देखनी है तो महाकाल मंदिर की तर्ज पर गलियारा बना कर उन्हें अनुमति दी जा सकती है परंतु इसमें भी एक अनुशासन निर्धारित होना चाहिए। मैं यहां यह पूछना चाहूंगा कि क्या हम सनातनियों को उनके मक्का-मदीना स्थित मजहबी स्थलों या वेटिकल सिटी स्थित चर्च के भीतर जाने की अनुमति है? हमें इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है।

मंदिर हिंदुओं की सांस्कृतिक इकाई हैं। जैसे 1906 में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी बनी, उसी तरह मंदिरों के प्रबंधन का पूरा अधिकार हिंदू समाज को होना चाहिए। जहां तक मंदिरों में अन्य मत-मजहबों के लोगों के प्रवेश का प्रश्न है तो धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल, दोनों अलग विषय हैं। इसलिए मंदिरों के आसपास उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए।

-डॉ. ब्रजेश कुंतल

सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि मठ-मंदिरों के पास गौशाला, वेदशाला, यज्ञशाला और आयुर्वेदशाला होती थी जिससे वहां भारतीय संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती थी और उसका प्रचार-प्रसार होता था। अंग्रेजों ने उन पर नियंत्रण के लिए, भारतीय संस्कृति को विनष्ट करने के लिए दो कानून बनाए। स्वतंत्रता मिलने के पश्चात भारत सरकार ने इन कानूनों को समाप्त करने के बजाय 33 कानून और बना दिए। फिलहाल सरकार के नियंत्रण में लगभग 4 लाख मठ-मंदिर हैं। जिस मठ-मंदिर की आर्थिक स्थिति मजबूत है, उस पर सरकारी नियंत्रण हो गया है। लगभग 18 राज्य सरकारों ने मठ-मंदिरों पर नियंत्रण किया हुआ है। सरकारी नियंत्रण में जाने से मठ-मंदिर लूट-खसोट के केंद्र बन गए और पूजन, अध्यात्म जैसी भावनाएं लुप्त होने लगीं। मठ-मंदिरों से सरकारों को लगभग 1 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हो रहे हैं। लेकिन इस पैसे का उपयोग मठ-मंदिरों के विकास या सनातन संस्कृति के विकास पर होने के बजाय अन्य मजहबों को रेवड़ियां बांटने में हो रहा है।

उदाहरण के लिए तमिलनाडु सरकार की तरफ से अल्पसंख्यक आधार पर बच्चों को प्रतिमाह 1000 रुपये दिए जाते हैं। यदि किसी हिंदू बच्चे की माली हालत खराब है तो उसे पैसा नहीं मिलेगा परंतु यदि वह मुस्लिम या ईसाई है तो उसे पैसे मिलेंगे। ऐसे में उस पैसे के लालच में कई लोग रिलीजन के कॉलम में मुस्लिम-ईसाई बन गये हैं। जिन मठ-मंदिरों के जरिए कन्वर्जन को रोका जा सकता था, उन्हीं मठ-मंदिरों के धन से कन्वर्जन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसलिए मठ-मंदिर स्वतंत्र होने चाहिए और इनका पूरा पैसा सनातन संस्कृति के लिए खर्च होना चाहिए। इसके लिए समान धर्मस्थल संहिता होनी चाहिए। इसमें सरकार तय कर ले कि धार्मिक विषयों में कितना दखल देना है, जो भी हो, वह सबके लिए होना चाहिए। ऐसा न हो कि मठ-मंदिरों के लिए नियम कुछ और हों और अन्य पंथों-मजहबों के आस्था केंद्रों के लिए अलग।

विश्व हिंदू परिषद के विनोद बंसल कहते हैं कि मंदिर कोई पर्यटन स्थल नहीं हैं। वे ऊर्जा के केंद्र हैं और पात्रों को ही वहां जाने की अनुमति मिलनी चाहिए। शासकीयकरण और व्यापारीकरण ने मंदिरों के सामने बड़ी समस्या उत्पन्न कर दी है। ये मंदिर ऊर्जा के केंद्र हुआ करते थे, समाज को संस्कारित करने के केंद्र होते थे परंतु शासकीयकरण से ये उद्देश्य लुप्त से हो गए हैं। अब समाज जाग गया है और शासन को भी जागना होगा। मंदिरों को मुक्ति दिलाकर उनके पास स्वतंत्रता आनी चाहिए। हर मंदिर में अलग-अलग स्थान और ईश्वर के रूप एवं मान्यताओं के अनुसार परिवर्तन होता है। हमारी संस्कृति बहुत वृहद है। अनेकता में एकता को लिये हुए मंदिरों की एक विराट परंपरा है। यह बनी रहनी चाहिए।

रुद्र विक्रम सिंह ने कहा कि मंदिरों में अभी कई ऐसे लोग पहुंच जाते हैं जिनकी मंदिर के प्रति कोई आस्था नहीं होती। मंदिरों पर नियंत्रण के जो पुराने कानून हैं, जब तक वे निरस्त नहीं होंगे, तब तक मंदिरों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त नहीं होगा। आकांक्षा ओझा ने कहा कि आस्था केंद्रों पर भीड़ बहुत बढ़ गई है परंतु आस्थावान लोग बहुत कम दिखते हैं। हर मोड़ पर सेल्फी लेने वाले मिल जाएंगे, मंदिर परिसर में होटल-रेस्तरां खुल गए हैं जिससे उनके तीर्थत्व का क्षरण हो रहा है। पहले मंदिर एकता और संपर्क के केंद्र हुआ करते थे। अब नई व्यवस्थाओं में लोग-एक-दूसरे से मिलते तक नहीं। डॉ. ब्रजेश कुंतल कहते हैं कि मंदिर हिंदुओं की सांस्कृतिक इकाई हैं। जैसे 1906 में गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी बनी, उसी तरह मंदिरों के प्रबंधन का पूरा अधिकार हिंदू समाज को होना चाहिए। जहां तक मंदिरों में अन्य मत-मजहबों के लोगों के प्रवेश का प्रश्न है तो धार्मिक स्थल और पर्यटन स्थल, दोनों अलग विषय हैं। इसलिए मंदिरों के आसपास उनकी गरिमा बनी रहनी चाहिए।

Topics: मुस्लिम-ईसाईSupreme Courtमंदिर श्रद्धा के केंद्रVishwa Hindu Parishadगुरुद्वारा प्रबंधन कमेटीविश्व हिंदू परिषदVedshalaGaushalaYagyashala and AyurvedashalaगौशालाMuslim-ChristianSanatan DharmaTemple centers of reverenceJagannath TempleGurdwara Management Committeeजगन्नाथ मन्दिरTemples ofवेदशालामंदिर हिंदुओं की सांस्कृतिक इकाईसर्वोच्च न्यायालययज्ञशाला और आयुर्वेदशालासनातन धर्म
Share4TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सुहाना ने इस्लाम त्याग हिंदू रीति-रिवाज से की शादी

घर वापसी: मुस्लिम लड़की ने इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, शिवम संग लिए सात फेरे

मुस्लिम युवती ने इस्लाम त्याग की घर वापसी

घर वापसी: इस्लाम त्याग अपनाया सनातन धर्म, मुस्लिम लड़कियों ने की घर वापसी, मंदिर में किया विवाह

मोहम्मद खान ने सनातन धर्म अपनाकर हिन्दू रीति-रिवाज से किया विवाह

घर वापसी: पहलगाम आतंकी हमले से आहत मोहम्मद खान ने की घर वापसी, अपनाया सनातन धर्म

नैनीताल में नाबालिग से दरिंदगी पर फूटा उत्तराखंड का गुस्सा, विरोध में अल्मोड़ा में बाजार रहा बंद

नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मोहम्मद सुल्तान, CJI ने कहा– ‘अब नहीं सुनी जाएगी याचिका’

प्रदर्शन करते भारतीय समुदाय के लोग

शिकागो की सड़कों पर गूंजा पाकिस्तान मुर्दाबाद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

बौखलाए पाकिस्तान ने दागी रियाशी इलाकों में मिसाइलें, भारत ने की नाकाम : जम्मू-पंजाब-गुजरात और राजस्थान में ब्लैकआउट

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

राफेल पर मजाक उड़ाना पड़ा भारी : सेना का मजाक उड़ाने पर कांग्रेस नेता अजय राय FIR

घुसपैठ और कन्वर्जन के विरोध में लोगों के साथ सड़क पर उतरे चंपई सोरेन

घर वापसी का जोर, चर्च कमजोर

‘आतंकी जनाजों में लहराते झंडे सब कुछ कह जाते हैं’ : पाकिस्तान फिर बेनकाब, भारत ने सबूत सहित बताया आतंकी गठजोड़ का सच

पाकिस्तान पर भारत की डिजिटल स्ट्राइक : ओटीटी पर पाकिस्तानी फिल्में और वेब सीरीज बैन, नहीं दिखेगा आतंकी देश का कंटेंट

Brahmos Airospace Indian navy

अब लखनऊ ने निकलेगी ‘ब्रह्मोस’ मिसाइल : 300 करोड़ की लागत से बनी यूनिट तैयार, सैन्य ताकत के लिए 11 मई अहम दिन

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान की आतंकी साजिशें : कश्मीर से काबुल, मॉस्को से लंदन और उससे भी आगे तक

Live Press Briefing on Operation Sindoor by Ministry of External Affairs: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस

ओटीटी पर पाकिस्तानी सीरीज बैन

OTT पर पाकिस्तानी कंटेंट पर स्ट्राइक, गाने- वेब सीरीज सब बैन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies