पड़ोसी इस्लामी देश पाकिस्तान की फौज ने दावा किया है कि एक विशेष आपरेशन में उसने प्रतिबंधित बलूच नेशनल आर्मी के संस्थापक को पकड़ लिया है। लेकिन पाकिस्तानी फौज की वर्तमान स्थिति और सनसनी फैलाने की पुरानी आदत को देखते हुए इस खबर की पुष्टि होनी जरूरी है।
इस वक्त पाकिस्तान में वहां के सर्वोच्च न्यायालय के दो सूबों में चुनाव कराने के फैसले पर राजनीति चरम पर है। इस देश के पास खाने तक के लाले हैं। इन हालात में फौज का ऐसा बयान कई विशेषज्ञों को देश की डूबती हालत से ध्यान भटकाने की कोशिश लग रही है। उन्हें लग रहा है कि सेना तथा सरकार में शायद यह समझ बनी हो कि जनता का ध्यान मुसीबतों भरे हालात से दूसरी तरफ मोड़ने के लिए कोई चाल चली जाए।
सेना का दावा यह है कि उसके द्वारा चलाए एक विशेष ऑपरेशन में उथलपुथल से गुजर रहे बलूचिस्तान सूबे से प्रतिबंधित बलूच नेशनल आर्मी का गठन करने वाले को हिरासत में ले लिया गया है। फौज के मीडिया प्रकोष्ठ इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के एक बयान से यह बात सामने आई है। इसमें यही कहा गया है कि एक सुनियोजित अभियान चलाकर गुलजार इमाम ‘शाम्बे’ को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल हुई है।
पाकिस्तानी फौज के मीडिया प्रकोष्ठ आईएसपीआर ने गिरफ्तार किए गुलजार के बारे में यही कहा है कि उस पर बहुत दिनों से निशाना साधा हुआ था। वह वहां की गुप्तचर एजेंसियों की सूची में था।
पाकिस्तान का बलूचिस्तान सूबा ईरान तथा अफगानिस्तान से सटी सरहद पर है। यहां प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है। लेकिन पाकिस्तान सरकार और फौज की दुर्नीतियों की वजह से यह सूबा एक लंबे समय से उथलपुथल से गुजर रहा है। यहां आएदिन सरकार विरोधी धरने प्रदर्शन होते हैं, फौज की अमानवीयता के तो हजारों उदाहरण देखने में आए हैं। वहां के आम लोगों में पाकिस्तान से आजादी की मांग भी उठती रही है। वहां के बलूच बहुसंख्यक हैं। कुछ बलूच गुटों ने यहां चल रहीं 60 अरब डॉलर की चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजनाओं को लेकर विरोध का बिगुल फूंका हुआ है। कुछ चीनी प्रतिष्ठानों और नागरिकों पर हमले भी हुए हैं।
फौज के अनुसार, जिस गुलजार को उसने गिरफ्तार किया है उसी ने बलूच नेशनल आर्मी का गठन बलूच रिपब्लिकन आर्मी (बीआरए) और यूनाइटेड बलूच आर्मी (यूबीए) का विलय करके किया था। फौज का यह बयान उस स्थान का खुलासा नहीं करता जहां से इस गुलजार को पकड़ा गया है।
पाकिस्तानी फौज के मीडिया प्रकोष्ठ आईएसपीआर ने गिरफ्तार किए गुलजार के बारे में यही कहा है कि उस पर बहुत दिनों से निशाना साधा हुआ था। वह वहां की गुप्तचर एजेंसियों की सूची में था। फौज जब उसकी गिरफ्तारी की जानकारी दे रही थी उस वक्त पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक ले रहे थे। उसमें देश में बदहाल हो चुकी कानून-व्यवस्था पर चर्चा हो रही थी। आतंकवादी गुटों ने पूरे पाकिस्तान में हमले बोले हुए हैं।
इस दौरान बलूचिस्तान में विद्रोही गुटों की हिंसक गतिविधियां भी देखने में आईं। बलूच नेशनल आर्मी का आतंकवादी गुट टीटीपी के साथ गठजोड़ होने की भी अपुष्ट जानकारियां मिली थीं। आईएसपीआर का बयान बताता है कि बलूच नेशनल आर्मी ने पाकिस्तान में कई हिंसक वारदातें की हैं। पंजगुर तथा नोशकी में पुलिस और फौज के ठिकानों पर भी हमले बोले गए थे।
अपने खोखले दावों के लिए कुख्यात पाकिस्तानी फौज का यह भी दावा है कि गुलजार अफगानिस्तान और भारत जा चुका था। बताया गया है कि उसकी गुप्तचर एजेंसियों के साथ रिश्तों को जांचा जा रहा है। फौज के बयान के अनुसार, गुलजार इमाम के पकड़े जाने से बीएनए ही नहीं, दूसरे आतंकवादी गुटों को भी एक ‘तगड़ा झटका लगा है’।
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