केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक तीर्थ यात्रियों को ले आने जाने वाले घोड़ों और खच्चरों का मेडिकल करवाना जरूरी कर दिया गया है, पशु स्वामी को प्रशासन के सम्मुख ये रिपोर्ट देनी होगी कि उनका जानवर स्वस्थ्य है और उसे मुंह पका खुरपका रोग यानी ग्लैंडर्स रोग नही है।
उल्लेखनीय है पिछले साल हेमकुंड साहिब रूट पर 24 और केदारनाथ मार्ग पर 340 घोड़े खच्चरों की मौत हुई थी, जिसमे कुछ में ग्लैंडर्स। रोग होने की बात कही गई थी जिसे खरतनाक वायरस माना जाता है और इससे इंसानी जिंदगी को भी खतरा रहता है ।
उत्तराखंड के पशु धन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने इस बारे में यात्रा जिलों के डीएम को ये निर्देशित किया है कि वो घोड़ों खच्चरों की मेडिकल जांच के लिए टीम तैयार करें । उन्होंने केदारनाथ के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डा प्रलयंकरनाथ को कैंप लगाकर मेडिकल परीक्षण शुरू कराने को कहा है।
केदारनाथ में 8600 और हेमकुंड यात्रा मार्ग पर 1200 के करीब घोड़े खच्चर है जिनका मेडिकल किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि यात्रा शुरू होने से पहले इनकी रक्त जांच पूरी होकर मेडिकल रिपोर्ट प्रशासन को मिल जाएगी, यदि किसी घोड़े में ग्लैंडर्स की पुष्टि होती है तो यात्रा मार्ग से उसको दूर ले जाकर एक वैज्ञानिक टीम उसपर कारवाई करती है।
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