हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम प्रार्थना एवं श्रीराम आरती का गायन किया, जिसका अर्थ है, ‘‘अयोध्या है हमारे जियारतगाह का नाम, रहते हैं वहां मालिक-ए-कायनात श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम।
गत दिनों वाराणसी के लमही में श्रीरामनवमी के पावन अवसर पर मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम एवं माता जानकी की आरती उतारी। कार्यक्रम का आयोजन मुस्लिम महिला फाउण्डेशन एवं विशाल भारत संस्थान ने संयुक्त रूप से किया था।
मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की नेशनल सदर नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में जुटीं हिन्दू-मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम प्रार्थना एवं श्रीराम आरती का गायन किया, जिसका अर्थ है, ‘‘अयोध्या है हमारे जियारतगाह का नाम, रहते हैं वहां मालिक-ए-कायनात श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम।
कोई कट्टरपंथी एक-दूसरे के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने और भावनात्मक रिश्ता बढ़ाने से किसी को रोक नहीं सकता। मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम और माता जानकी से मन्नत मांगी कि दुनियाभर में मुस्लिम बेटियों को जीने का अधिकार मिले।
आओ मिलकर हम सब करें उनको सलाम, तकलीफ और गरीबी, दूर करते श्रीराम, जय श्रीराम, जय श्रीराम।’’ सजावटी थाली में मिट्टी के दीपक से प्रभु राम की आरती की गई। प्रभु श्रीराम के नाम का उद्घोष हुआ और राम नाम के दीपक से हिंसा और नफरत के अंधकार को दूर करने का संदेश दुनिया को भेजा गया।
मुस्लिम महिलाओं ने बड़ी शिद्दत के साथ रामजी के जन्मोत्सव पर सोहर गाये और सबको बधाई दी। इन महिलाओं का कहना था कि कोई कट्टरपंथी एक-दूसरे के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने और भावनात्मक रिश्ता बढ़ाने से किसी को रोक नहीं सकता। मुस्लिम महिलाओं ने भगवान श्रीराम और माता जानकी से मन्नत मांगी कि दुनियाभर में मुस्लिम बेटियों को जीने का अधिकार मिले।
हलाला जैसी कुरीति खत्म हो। आदि विश्वेश्वर मंदिर परिसर औरंगजेब के कलंक से मुक्त हो और स्वयम्भू ज्योतिर्लिंग पर शीघ्र पूजा-अर्चना शुरू हो। दुनिया रामराज्य की ओर बढ़े इत्यादि।
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