प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 6जी के लिए दृष्टि दस्तावेज जारी करने के साथ इसका टेस्ट बेड भी शुरू किया
देश में 5जी सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। इसके आने के बाद इंटरनेट की गति बहुत तेज हो गई है। इसी के साथ भारत ने 6जी की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं। 6जी को ‘इंटरनेट आफ सेंस’ कहा जाता है। 6जी के आने के बाद एक ऐसे युग की शुरुआत होगी, जब आपके बारे में कम्प्यूटर ही सब कुछ बताएगा। यानी एक ऐसी तकनीक, जिससे आपके शरीर के विभिन्न अंगों के बीच होने वाले ‘संवाद’ का पता लगाया जा सकेगा। 6जी की गति वर्तमान इंटरनेट गति से कई हजार गुना अधिक होगी।
कुछ साल पहले तक इंटरनेट सर्फिंग इतना आसान नहीं था। खासतौर से 2009 से पहले किसी वीडियो को देखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती थी। उस समय देश में 2जी नेटवर्क था, जिसकी गति बहुत धीमी थी। लेकिन में 3जी और इसके बाद 2012 में 4जी सेवाएं शुरू होने के बाद इंटरनेट की गति बढ़ी, जिससे सर्फिंग और आनलाइन वीडियो देखना आसान हो गया।
हालांकि भारत में 3जी नेटवर्क की शुरुआत 2009 में हुई, लेकिन दुनिया के कई देशों में इसकी शुरुआत लगभग 8 साल पहले ही हो चुकी थी। 2जी से लेकर अब तक देश में लगभग सभी टेलीकॉम सेवाएं विदेशों से आयात की जाती रही हैं। लेकिन भारत अब अपनी तकनीक विकसित कर रहा है। इसलिए 6जी स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा। इस पर शोध एवं विकास 2020 में ही शुरू हो गया था। इस सेवा की शुरुआत करने से पहले भारत को मोबाइल तकनीक भी विकसित करना पड़ेगा।
अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोप सहित कुछ देशों ने ही सबसे अधिक 6जी एप्लीकेशन पेटेंट कराए हैं। 6जी की तकनीक 5जी से अलग होगी, इसलिए यह 5जी की जगह नहीं लेगा। अभी दुनिया के कई देश 5जी तकनीक काम कर रहे हैं। भारत में 2022 के आखिर में इस सेवा की शुरुआत हो चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में 6जी के लिए दृष्टि दस्तावेज जारी करने के साथ इसका टेस्ट बेड भी शुरू किया। सरकार का मानना है कि टेस्ट बेड की कमी के कारण भारतीय टेलीकॉम तकनीक पिछड़ी हुई है। इसलिए सरकार ने 2022 में पहली बार 5जी टेस्ट बेड शुरू किया था। इससे पहले देश में टेस्ट बेड की सुविधा नहीं थी, इसलिए भारतीय कंपनियों को परीक्षण के लिए विदेशी परीक्षण सुविधाओं पर निर्भर रहना पड़ता था। अब भारतीय टेस्ट बेड होने से कंपनियों की लागत तो कम होगी ही, भारतीय तकनीकों को प्रामाणिकता भी मिलेगी। इसके लिए भारतीय कंपनियों और संस्थानों को एक मंच उपलब्ध कराया जाएगा, जहां वे 6जी के लिए अपनी तकनीक का परीक्षण कर पाएंगी। यह कदम भारतीय टेलीकॉम के साथ तकनीकी स्टार्टअप के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा।
6जी से क्या बदलेगा
6जी का दृष्टि दस्तावेज टेक्नोलॉजी इनोवेशन गु्रप ने दो वर्ष में तैयार किया है। विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, शोध एवं विकास संस्थान, अकादमिक, मानकीकरण निकायों, टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं और उद्योग से जुड़े इंडस्ट्री के सहयोग से 6जी का रोडमैप तैयार किया गया है। 6जी आने के बाद एक टेराबाइट डेटा (10,00,000 एमबीपीएस) एक सेकेंड में भेजी जा सकेगी। यानी इसकी गति 5जी की तुलना में 8,000 गुना अधिक होगी।
5जी में प्रति सेकेंड एक जीबी डेटा भेजा जा सकता है। यानी 5जी में एक फिल्म को डाउनलोड करने में दो-ढाई मिनट लगते हैं, जबकि 6जी में इसे चंद सेकेंड में डाउनलोड किया जा सकेगा। इसके अलावा, अच्छा सिग्नल मिलेगा, क्योंकि 6जी के आने से पहले देश में 5जी के लिए बुनियादी ढांचा खड़ा हो चुका होगा। देश में 6जी की शुरुआत 2030 तक हो सकती है।
तकनीकी विशेषज्ञ महेश उप्पल बताते हैं कि 6जी दुनिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके आने से काफी बदलाव आएगा। हम उन चीजों को भी देख पाएंगे, जिनके बारे में सोचा भी नहीं होगा। अभी तक अमेरिका, चीन, दक्षिण कोरिया, जापान और यूरोप सहित कुछ देशों ने ही सबसे अधिक 6जी एप्लीकेशन पेटेंट कराए हैं। 6जी की तकनीक 5जी से अलग होगी, इसलिए यह 5जी की जगह नहीं लेगा। अभी दुनिया के कई देश 5जी तकनीक काम कर रहे हैं। भारत में 2022 के आखिर में इस सेवा की शुरुआत हो चुकी है। दूरसंचार कंपनियां यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं कि भारत का 5जी रोलआउट दुनिया में सबसे बेहतर हो।
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