भारतीय नववर्ष के अवसर पर दिल्ली के मयूर विहार (फेज एक, पॉकेट एक) स्थित श्रीराम मंदिर में एक कार्यक्रम का आयोजन हुआ। भारत विकास परिषद (भाविप), ग्रेटर मयूर विहार द्वारा आयोजित इस समारोह में महिला प्रकोष्ठ की कार्यकर्ताओं ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ विषय पर सामूहिक नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में कई संगठनों के वरिष्ठ कार्यकर्ता उपस्थित थे।
साहित्य का सामर्थ्य पर संगोष्ठी
गत दिनों मार्च माह इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती (दिल्ली) तथा पी.जी. डी. ए. वी (सांध्य) महाविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में एक संगोष्ठी हुई। विषय था-साहित्य का सामर्थ्य। नववर्ष के अवसर पर आयोजित इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी। उन्होंने कहा कि साहित्य को लोकमंगल करने वाला होना चाहिए। पी.जी.डी.ए.वी (सांध्य) के प्राचार्य प्रो. रवीन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा कि सृजनात्मक साहित्य के लिए दो अनिवार्य घटक हैं समृद्ध भाषा और मौलिक चिंतन।
हिंदी के प्राध्यापक प्रो. हरीश अरोड़ा ने कहा कि साहित्य समाज और राष्ट्र को तो गढ़ता ही है, साथ-साथ जीवनशैली को बदलने का सामर्थ्य भी रखता है। संगोष्ठी की सारस्वत वक्ता नीलम राठी ने कहा कि एक अच्छे साहित्यकार की पहचान यही है कि वह तत्काल साहित्य रचना में भी सक्षम होता है। संगोष्ठी की अध्यक्षता इंद्रप्रस्थ साहित्य भारती, दिल्ली प्रांत के अध्यक्ष प्रो. अवनिजेश अवस्थी ने की।
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