बेगूसराय। केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि नीतीश कुमार बिहार को दूसरा बंगाल बनाना चाहते हैं। ममता बनर्जी से प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। ममता बनर्जी के गजवा-ए-हिंद के रास्ते पर चल रहे हैं। बिहार की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण हो गई है। इसका जवाब नीतीश कुमार को देना होगा।
नालंदा एवं सासाराम में रामनवमी जुलूस के दौरान भड़की हिंसा को लेकर रविवार को जारी वीडियो में गिरिराज सिंह ने कहा है कि क्या नीतीश कुमार को पता नहीं था कि हर साल की तरह रामनवमी जुलूस निकलने वाला है। बिहार सरकार का आईबी, इंटेलिजेंस और सिस्टम क्या कर रहा था। जुलूस के मुस्लिम मोहल्ले में जाने पर पथराव कर दिया गया। साजिश के तहत हिंसा भड़काई गई।
उन्होंने कहा कि ईंट-पत्थर ही नहीं, गोली और बम चलाए गए। रात भी नालंदा के हिंदू इलाके में जाकर मारा गया। गोलियां चलीं। लोग घायल हुए। हिंदू के जुलूस में तो बम और गोली नहीं होता है। यह प्रशासन की नाकामी नहीं तो और क्या है। हिंदू परिवार का जान-माल खतरे में है। रात में हिंसाग्रस्त इलाके के हिंदू परिवार और मोहल्ला को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है जबकि मुस्लिम मोहल्ले में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जा रही है। यह वोट बैंक की सोची-समझी रणनीति नहीं तो और क्या है।
गिरिराज सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पटना स्थित आवास से दो किलोमीटर की दूरी पर फुलवारी शरीफ में पीएफआई का अड्डा चल रहा था। क्या यह नीतीश कुमार को पता नहीं था। इससे पहले भी फुलवारी शरीफ में लोगों को घर छोड़कर भागना पड़ा। बम ब्लास्ट हो रहा है। प्रशासन ने धारा-144 लगाया, फिर मुकर गई जबकि थानेदार का वीडियो चल रहा है। प्रशासन कह रहा है हमने 144 नहीं लगाया। थानेदार कह रहा है कि 144 लगा दिया गया है।
गिरिराज ने कहा कि जिला अधिकारी का अब कहना है कि धारा-144 नहीं लगाई गई है। अगर नहीं लगाई गई है तो इसका साफ मतलब है कि सरकार और प्रशासन द्वारा जानबूझकर बड़े स्तर पर दंगे फैलाए गए। अब जवाब बिहार सरकार को देना है। प्रशासनिक अधिकारी माइक पर ऐलान कर रहे हैं। तमाम मीडिया धारा-144 की बात कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि क्या नीतीश कुमार का प्रशासन पर नियंत्रण नहीं है। नीतीश कुमार से जब अपना गृह जिला नालंदा नहीं संभल रहा है तो क्या करे हिंदू। प्रशासन और सरकार के संरक्षण में मुस्लिमों का मनोबल बढ़ा है, जिसका दुष्परिणाम सासाराम और नालंदा की घटना है। यहां के लोग अपने को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं और सरकार तुष्टीकरण की राजनीति में संरक्षण दे रही है।
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