हल्द्वानी। पिछले दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आगामी कुछ महीनों में पड़ने वाली भीषण गर्मी को लेकर महत्वपूर्ण बैठक की थी, जिसमें जलवायु, पर्यावरण वैज्ञानिकों के साथ-साथ उच्च अधिकारियों ने कुछ फैसले लिए और कुछ किए गए इंतजामों की भी समीक्षा की गई थी। उत्तराखंड में 65 फीसदी भूभाग में जंगल है और यहां बड़ी संख्या में वन्यजीव मौजूद हैं। जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड फॉरेस्ट के कुछ आईएफएस अधिकारियों ने इस साल पड़ने वाली भीषण गर्मी के अनुमान को देखते हुए पिछली गर्मियों के बाद से ही अपने जंगलों में पानी के इंतजाम के लिए तैयारियां शुरू कर दी थी।
उत्तराखंड में तराई के जंगल जो नेपाल सीमा से लगते हैं, यहां पूर्वी फॉरेस्ट डिवीजन में वन्य जीवों के पानी के लिए तीस से ज्यादा बड़े-बड़े तालाब बनाए गए हैं। छोटे-छोटे जल स्रोतों से आ रहे पानी को संचय कर ये तालाब अब धीरे-धीरे बड़ा स्वरूप ले रहे हैं। ये तालाब पहले भी कभी यहां रहे होंगे क्योंकि जहां इस वक्त ये बने हैं वहां की भागौलिक संरचना कुछ ऐसी ही प्रतीत होती है। वन विभाग इन्हें अमृत सरोवर का नाम दे रहा है। जो प्रधानमंत्री मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
तराई पूर्वी के जंगल एशियन एलिफेंट कॉरिडोर का हिस्सा है। यहां जंगली हाथियों का मूवमेंट रहता है। साथ ही यहां टाइगर और अन्य संरक्षित वन्य जीवों की बड़ी संख्या है। नंधौर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी ब्रिटिश काल का सबसे पुराना संरक्षित जंगल है, वहां भी ऐसे जलाशय बनाए गए हैं। बहरहाल ये जलाशय आने वाले ग्रीष्म सीजन में वन्य जीव-जंतुओं के प्यास बुझाने के लिए मददगार साबित होंगे।
वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ शाह बिलाल का कहना है कि वन विभाग का ये सराहनीय प्रयास है। कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में मानव निर्मित वाटर पॉन्ड्स बनाए गए हैं, जबकि तराई में ये प्राकृतिक हैं और इसके दूरगामी अच्छे परिणाम सामने आएंगे। तराई में भूमि जल भी और पहाड़ों से आने वाले जल स्रोत भी हैं। इनका पानी वन्यजीव के लिए भी स्वास्थ्यवर्धक माना गया है।
क्या कहते हैं डीएफओ संदीप कुमार
तराई पूर्वी वन प्रभाग के डीएफओ संदीप कुमार कहते हैं कि प्राकृतिक जल स्रोतों की सफाई करते हुए ये जलाशय तैयार किए गए हैं। हमारी कोशिश है कि इस बार की गर्मी की आशंका को देखते हुए वन्य जीवों के लिए पानी का प्रबंध किया जाए। उन्होंने बताया कि जलाशय के भर जाने से जंगल में नमी है और यहां लगने वाली आग को रोकने में भी ये जलाशय मददगार साबित होंगे। हमने विकल्प के रूप में बोरिंग भी की है, जिन्हें सौर ऊर्जा की मदद से चलाया जा सकता है। हम इसे पीएम मोदी के अमृत सरोवर की योजना से जोड़ रहे हैं।
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