काशी के दशाश्वमेध घाट पर होने वाली नित्य गंगा आरती को देखने दुनिया भर से श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। विहंगम दृश्य को कोई अपने हृदय में तो कोई अपने कैमरों में कैद कर स्मृति के रूप में सहेज कर ले जाता है। शुक्रवार शाम को काशी में मूसलाधार बारिश होने लगी। ऐसे में गंगा आरती देखने पहुंचे श्रद्धालु मायूस होने लगे, लेकिन जैसे ही आरती के लिए अर्चक घाट पर बने चबूतरे पर पहुंचे सभी के चेहरे खिल उठे। तेज हवा और बारिश के बीच ही गंगा आरती शुरू हुई। आरती के लिए प्रज्वलित लौ बारिश के तेज बूंदों से मानों और जगमगा उठी। हर हर महादेव शंभू-काशी विश्वनाथ गंगे की स्वरलहरी से घाट गूंज उठा।
गंगा घाट पर देखते ही देखते हजारों भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। घंटे- घड़ियाल की आवाज सुनकर दुकानों और अन्य स्थानों पर बारिश से बचने वाले श्रद्धालु भी आरती में शामिल होने पहुंच गए। आस्था के रसधार में हर कोई गोते लगाने को आतुर था। घाट पर मौजूद श्रद्धालुओं को लगा कि आरती की लौ कहीं बारिश की बूंदों से बुझ न जाए। लेकिन ये बाबा विश्वनाथ, मां गंगा और मां अन्नपूर्णा की नगरी है।
आरती कराने वाली संस्था से जुड़े पदाधिकारी भी एक बार सोच में थे कि आरती कैसे संपन्न होगी। लेकिन मां गंगा का आशीर्वाद रहा और विधिविधान के साथ आरती संपन्न हुई। दक्षिण भारत से आये श्रद्धालु मोहिनी ने बताया कि हम पहली बार काशी आए हैं। बारिश को देख हमने सोचा आरती नहीं होगी। लेकिन बाबा की कृपा से मां गंगा की आरती में पूरा परिवार शामिल हो पाया।
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