गत दिनों मार्च में मेरठ में ‘कृषक सम्मेलन’आयोजित हुआ। इसमें 35 प्रांतों के गो-आधारित जैविक खेती करने वाले 426 किसान शामिल हुए। इन लोगों ने तीन दिन तक जैविक खेती के लाभ, उपयोगिता और उसके विपणन में आने वाली समस्याओं पर मंथन किया और उनके समाधान को समझा। सम्मेलन में जैविक उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई।
सम्मेलन के अंतिम दिन यानी 19 मार्च को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत में गो-आधारित खेती ही स्वावलंबी और आत्मनिर्भर खेती है। इसमें खेती की लागत को कम कर उसे लाभकारी बनाया जा सकता है।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि भारतीय किसान संघ हमेशा से गो- आधारित जैविक खेती का पक्षधर रहा है और इसके लिए उसने अनेक प्रयास भी किए हैं। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा गो-आधारित जैविक कृषि से संबंधित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
जैविक खेती से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचता, साथ ही मनुष्य के स्वास्थ्य को भी सुरक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में गोवंश दूध के लिए नहीं, बल्कि खेती के लिए था। गो-आधारित कृषि करते हुए ही हम आज रासायनिक खेती के युग तक आ गए हैं, जिसका दुष्प्रभाव सामने है। उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि रासायनिक खेती के कारण पंजाब में ‘कैंसर ट्रेन’ चलने लगी है। इससे बचने के लिए आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए परंपरागत गो-आधारित जैविक कृषि की तरफ लौटना होगा।
भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि भारतीय किसान संघ हमेशा से गो- आधारित जैविक खेती का पक्षधर रहा है और इसके लिए उसने अनेक प्रयास भी किए हैं। इस अवसर पर अतिथियों द्वारा गो-आधारित जैविक कृषि से संबंधित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
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