राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने बुधवार को नई दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इससे निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों सहित काउंटर टेररिज्म प्रोटोकॉल के प्रति सभी देशों को सजग रहना होगा।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बैठक में बिना नाम लिए चीन और पाकिस्तान पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समूह के सदस्यों को राज्यों की क्षेत्रीय अखंडता आदि का सम्मान करना चाहिए। एकतरफा सैन्य गतिविधियां नहीं करनी चाहिए।
डोभाल ने क्षेत्रीय संपर्क की आवश्यकता पर जोर दिया, लेकिन यह भी कहा कि इस तरह की पहल परामर्शी और पारदर्शी होनी चाहिए और सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए। बता दें कि डोभाल की यह टिप्पणी चीन और पाकिस्तान द्वारा सीमा पर दिए जा रहे टेंशन के बीच आई हैं। भारत से लगती सीमाओं पर चीन और पाकिस्तान कुछ-न-कुछ करता रहता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति लगातार बनी रहती है।
अजीत डोवाल ने बैठक के दौरान अपने संबोधन में आगे कहा कि अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर में अपने दायित्वों का निर्वहन करेगा और उसमें चाबहार बंदरगाह को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत जून 2017 में शंघाई सहयोग संगठन का सदस्य बना था लेकिन इसके सदस्यों देशों से हमारे संबंध कई सदी पुराने हैं।
क्या है INSTC जिसकों लेकर बोले डोभाल
उत्तर दक्षिण ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर भारत से रूस के बीच का 7200 किलोमीटर का कॉरिडोर है, इस कॉरिडोर में सड़कें, रेल और समुद्री रास्ता शामिल है। यह कॉरिडोर सेंट्रल एशिया और ईरान के जरिए भारत और रूस को जोड़ता है। इस कॉरिडोर का उद्देश्य भारत और रूस के बीच ट्रांसपोर्ट की लागत को कम करना और समय की अवधि को भी कम करना है।
भारत की कोशिश है कि ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह को भी इस कॉरिडोर में शामिल किया जाए। बता दें कि चाबहार बंदरगाह भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है और रणनीतिक रूप से यह बंदरगाह भारत के लिए बेहद अहम है।
भारत नहीं आए चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधि
दिल्ली में आयोजित हो रही बैठक में चीन और पाकिस्तान के प्रतिनिधि नहीं पहुंचे और दोनों देशों के प्रतिनिधि वर्चुअली बैठक से जुड़े। इस बैठक में रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव निकोलाई पेत्रुशेव, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी और एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (आरएटीएस) के प्रतिनिधि शामिल हुए।
क्या है शंघाई सहयोग संगठन
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। चीन, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, भारत, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, रूस, और उज्बेकिस्तान इस संगठन के सदस्य हैं। वहीं चार देश पर्यवेक्षक हैं, जिनमें अफगानिस्तान, बेलारूस, ईरान और मंगोलिया का नाम शामिल है। इस संगठन के छह डायलॉग पार्टनर आर्मेनिया, अजरबैजान, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और तुर्किए शामिल हैं। वर्ष 2023 के लिए भारत ने एससीओ की अध्यक्षता ग्रहण की थी।
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