मानस में समाज की प्रत्येक समस्या का समाधान है। सज्जन शक्ति का संरक्षण और दुर्जन शक्ति का प्रबल प्रतिकार करना भी मानस सिखाती है। नकारात्मक सत्ता को समाप्त कर शाश्वत सत्ता की स्थापना करना हर सज्जन शक्ति का दायित्व होना चाहिए। मंदबुद्धि और सनातन को नीचा दिखाने वाले लोग आज गोस्वामी तुलसीदास और उनकी विश्वविख्यात विरचित कृति श्रीरामचरितमानस पर प्रश्न उठा रहे हैं। उक्त वक्तव्य विख्यात मानस मर्मज्ञ मानस किंकर ने दिया। वह विश्व संवाद केंद्र अवध लखनऊ में आयोजित ‘मानवता का संविधान श्रीरामचरितमानस’ विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
मानस किंकर ने कहा कि मानस में भारतीय समाज की प्रत्येक परंपरा का सर्वाधिक श्रेष्ठ उदाहरण विद्यमान है। मानस कहती है जो स्वामी है वह प्रत्येक सदस्य की चिंता करे, सबसे पहले उठे और सबके बाद सोए। रावण सज्जन शक्ति से रक्त कर लेता था, उसके तारण के लिए प्रभुश्रीराम ने क्षत्रिय कुल में जन्म लिया। प्रभु श्री राम ने कहा कि मेरा क्षत्रिय कुल में जन्म ही इसी हेतु हुआ है कि मैं राक्षस और दुर्जन शक्ति का वध करता रहूं। प्रभु श्रीराम ने अपने कृतित्व से समाजिक समरसता, महिला सशक्तिकरण और पिछड़ों को गले लगाया, इसका वर्णन भी मानस में स्पष्ट है।
मानस किंकर ने कहा कि मानवता का संविधान श्रीरामचरितमानस कहता है कि जो अमर्यादित व्यवहार करेगा, उसकी नाक कटनी तय है। सुपनखा तक का उदाहरण मानस में उल्लिखित है। मानस में स्त्री का सर्वाधिक सम्मान किया गया है। मानवता का संविधान कहता है कि एक पत्नी व्रत और एक पति व्रत का पालन आदर्श समाज का उदाहरण है। उत्तम स्त्री वह जिसके स्वप्न में भी कोई पुरुष न दिखे, अन्य पुरुष उसे नारी स्वरूप में दिखें।
मानस किंकर ने कहा कि वर्तमान में सनातन को काटने और उसको भंजन करने का देश में अभियान चल रहा है। इस अभियान को रोकने के लिए मानस पढ़िए, उसका वितरण कीजिए। उपहार में मानस भेंट कीजिए। श्रीरामचरितमानस कहती है जो भी बोले सर्वभामिक सत्य बोले। मानस के अनुसार जीवन जीने वाला व्यक्ति ईश्वर के विरुद्ध नहीं हो सकता है। मानस में सब कुछ वर्णित है, बस उसको समझने की जरूरत है। मानस का भाव जानने के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें। लोग पनीर खाते हैं, उसका पानी नहीं पीते हैं, इसी तरह मानस का अर्थ समझने के लिए भी इसके विशेषज्ञ की सहायता लेनी चाहिए।
विषय प्रवेश करते हुए विश्व संवाद केन्द्र के सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने कहा कि श्रीरामचरितमानस भारतीय समाज की आत्मा है। उसका दैनंदिन कार्यपद्धति में व्यवहार देखा जा सकता है। मानस पर विवाद उत्पन्न होने से मन दुखी है।
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