पड़ोसी मित्र राष्ट्र नेपाल में प्रचंड सरकार ने भारत नेपाल सीमा पर फिर से दोस्ताना व्यवहार बनाना शुरू किया है, स्मरण हो कि पिछली चीन समर्थक ओली सरकार ने कालापानी सीमा विवाद पैदा कर अपने नक्शे में भारतीय गांवों पर अपना दावा किया था और इसे चीन की शह पर अंतरराष्ट्रीय सीमा विवाद बनाने की कोशिश की थी।
नेपाल के केंद्रीय सांख्यिकी विभाग ने अपनी लंबित जनगणना रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट की सबसे खास बात ये है कि नेपाल की नई प्रचंड सरकार ने भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने का संकेत दिया है। अपनी रिपोर्ट में नेपाल ने भारत के व्यास घाटी ले लीपू धरा काला पानी क्षेत्र को शामिल नहीं किया है। यानी यहां की जनसंख्या को नेपाल की जनसंख्या में शामिल नहीं करते हुए ये साफ कर दिया है कि ये क्षेत्र नेपाल का नहीं, बल्कि भारत के उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़ जिले का है।
पिछले साल नेपाल की ओली सरकार जिसे चीन की कठपुतली सरकार माना जाता था, उसके द्वारा इस भारतीय क्षेत्र को नेपाल का बताते हुए अपने नक्शे में शामिल करते हुए नया नक्शा जारी कर दिया था। ओली सरकार ने कालापानी क्षेत्र में अपनी जनसंख्या टीम भेजने की बात की थी और भारत द्वारा इसे रोकने पर ड्रोन के जरिए आबादी के रिकॉर्ड दर्ज करने की धमकी दी थी। इसी बीच नेपाल में सत्ता परिवर्तन हुआ और चीन के इशारे पर चलने वाली केपी शर्मा ओली सरकार का पतन हो गया और उसके बाद देऊपा सरकार ने भारत से अपना दोस्ताना संबंध रखा, अब नेपाल में प्रचंड सरकार ने भी भारत के प्रति मित्र राष्ट्र की भूमिका को निभाया है और जनगणना में विवादास्पद क्षेत्र को बाहर करते हुए अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है।
उल्लेखनीय है नेपाल ने जो अपनी जनसंख्या रिपोर्ट जारी की है उसमें करीब एक लाख 30 हजार नागरिकों के भारत में अस्थाई रूप से रहने का जिक्र किया गया है, जिसे भारत नेपाल के रोटी बेटी के रिश्ते से जोड़कर देखा गया है। भारत में नेपाल के जनकपुर की बेटी यानी सीता जिनका भगवान राम से विवाह हुआ था बदले में भारत द्वारा नेपाल के नागरिकों को रोजगार यानी रोटी दिए जाने का रिश्ता बरसों पुराना है। भारत के नेपाल के साथ इस समय कई जलविद्युत परियोजनाएं और अन्य संयुक्त विकास कार्य चल रहे हैं।
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