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क्रांतिवीर रामजी गोंड, जिनके साथ एक हजार स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को अंग्रेजों ने दे दी थी फांसी

क्रांतिवीर रामजी गोंड और उनके सहयोगियों को जिस बरगद के पेड़ पर लटकाया गया था, उसे आज लोग हजारों शाखाओं वाला वृक्ष कहकर पुकारते हैं।

आदित्य भारद्वाज by आदित्य भारद्वाज
Mar 28, 2023, 04:28 pm IST
in भारत, आजादी का अमृत महोत्सव
क्रांतिवीर रामजी गोंड

क्रांतिवीर रामजी गोंड

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आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में निर्मल नामक का एक प्रमुख नगर है। यहां कुछ दूरी पर ‘एल्लापली गांव’ है। इस गांव के पास एक बहुत पुराना बरगद का वृक्ष है। इस वृक्ष को लोग हजारों शाखाओं वाला वृक्ष कहकर पुकारते हैं। इस बरगद के वृक्ष एक गाथा है। दरअसल 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में इस वृक्ष पर एक हजार समर सेनानियों को फांसी पर लटकाया गया था। इसके चलते ही इस वृक्ष को हजार शाखाओं वाला वृक्ष बोला जाता है। इस स्वतंत्रता संघर्ष का नेतृत्व किया था क्रांतिवीर रामजी गोंड ने। उनके सहयोगियों को इसी वृक्ष पर लटकाकर फांसी दी गई दी गई थी।

1857 में देशभर में अंग्रेजों के खिलाफ समर का शंखनाद हुआ था। उस समय दक्षिण में आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में रोहिल्लाओं व मराठाओं को मिलाकर एक सेना बनाई गई थी। इस सेना का नेतृत्व का तात्या टोपे व नाना साहेब पेशवा के सहोदर भाई राव साहब पेशवा ने किया। दोनों ने निर्मल में रहकर ब्रिटिशों के पिटठू निजाम के खिलाफ संघर्ष का बिगुल फूंका था। 1857 से शुरू हुआ यह संघर्ष 1860 तक चलता रहा। निजाम के राज्य के ”निर्मल” एक महत्वपूर्ण स्थान था। निर्मल दक्षिण भारत से नागपुर जाने के रास्ते में एक महत्वपूर्ण नगर था। घने जंगलों से घिरा उत्तर भारत जाने वाला यह मार्ग स्वतंत्रता प्रिय गोंड जनजाति बहुत क्षेत्र था। उत्तर भारत में हो रहे संघर्ष से संबंधित सैनिक और कुछ भारतीय सैनिकों ने मिलकर आदिलाबाद जिले में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में भाग लिया था। इस स्वतंत्रता संघर्ष का नेतृत्व ‘सोसकास गांव ‘ के गोंड वीरों ने किया था। हिंगोली प्रांत के ब्रिटिश कमांडर कर्नल रॉबर्ट के नेतृत्व में 47 वीं रेजीमेंट और कर्नाटक प्रांत के बल्लारी में रहने वाली सैनिक पलटन ने आदिलाबाद के संघर्ष को कुचलने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

9 अप्रैल को कर्नल रॉबर्ट को सूचना मिली कि रामजी गोंड ‘निर्मल’ के आसपास हैं। कर्नल रॉबर्ट ने तत्काल ब्रिटिश सेना को उन्हें पकड़ने का आदेश दिया। रामजी गोंड और उनके साथियों ने कम संख्या में होने के बाद भी ब्रिटिश सेना को हरा दिया। हारने के बाद ब्रिटिश सेना और निजाम की सेना ने भागते हुए रास्ते में निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर दी। रामजी गोंड ने जीतने के बाद एक साल तक ‘निर्मल’ प्रांत पर राज किया। एक साल तक अंग्रेज लगातार निर्मल को जीतने के प्रयास करते रहे लेकिन हरबार उन्हें मुंह की खानी पड़ी। इसके बाद निजाम की सेना, ब्रिटिश सेना और हिंगोली की सेना तीनों ने मिलकर निर्मल पर आक्रमण कर दिया। इस बार उनकी जीत हुई अधिसंख्य स्वतंत्रता सेनानियों की हत्या कर दी गई।

इसी संघर्ष में दुर्भाग्य से नेतृत्वकर्ता रामजी गोंड ब्रिटिशों के हाथों पकड़े गए। रामजी को ब्रिटिश न्यायाधीश के सामने ले जाया गया जहां अंग्रेजों ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई। फांसी की सजा उन्हें बरगद के नीचे ही सुनाई गई। वहीं पर उन्हें उनके साथियों के साथ फांसी पर लटका दिया गया। कहते हैं इस पेड़ पर एक साथ एक हजार स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी पर लटकाया गया था इसलिए इसे आज भी हजार शाखाओं वाले बरगद के नाम से जाना जाता है।

Topics: जनजाति नायकक्रांतिवीर रामजी गोंडक्रांतिवीर रामजी गोंड का योगदानएल्लापली गांवKrantiveer Ramji GondContribution of Krantiveer Ramji GondLife of Krantiveer Ramji GondHistory of Krantiveer Ramji Gondस्वतंत्रता संग्राम सेनानीEllapali VillageFreedom FighterTribal Hero
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