जंगलों और पेड़ों की कटाई के खिलाफ उत्तराखंड के एक गांव में शुरू हुआ एक प्रतिरोध पर्यावरण रक्षा के महायज्ञ में बदल गया, जिसका उदाहरण वर्षों बाद भी दिया जाता है। पर्यावरण रक्षा से जुड़े चिपको आंदोलन की शुरुआत उत्तराखंड के चमोली जिले में 26 मार्च 1974 को हुई।
चमोली जिले के ढाई हजार पेड़ों की नीलामी के बाद जब ठेकेदार ने उन पेड़ों को काटने के लिए मजदूरों को भेजा तो उन्हें अप्रत्याशित विरोध का सामना करना पड़ा। गौरा देवी की अगुवाई में रैणी गांव की 27 महिलाएं, उन चिह्नित पेड़ों से लिपट गईं, जिन्हें नीलामी के बाद काटा जाना था। इन महिलाओं का कहना था कि पेड़ों से पहले उन पर आरी चलाई जाए या उन पेड़ों को न काटा जाए। इन महिलाओं के प्रतिरोध के सामने आखिरकार सरकार को झुकना पड़ा।
चिपको आंदोलन का नेतृत्व सुप्रसिद्ध पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा, गोविंद सिंह रावत और चंडी प्रसाद भट्ट ने किया, लेकिन महिलाओं ने इसमें प्रमुख भूमिका निभाई। इस आंदोलन का प्रभाव देश के बड़े हिस्से में पड़ा। आंदोलन की अनुगूंज पूरी दुनिया में सुनाई पड़ी।
अन्य अहम घटनाएंः
1552: गुरु अमरदास सिखों के तीसरे गुरु बने।
1668: इंग्लैंड ने बम्बई पर अधिकार कर लिया।
1799: जापां फिलिस्तीन पर नेपोलियन बोनापार्ट ने कब्जा किया।
1953: डॉ. जोनास साल्क ने पोलियो से बचाव के लिए नए टीके की घोषणा की।
1971: शेख मुजीबुर्रहमान ने पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में स्वतंत्र देश घोषित किया गया।
1972: राष्ट्रपति वीवी गिरि ने अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन का उद्घाटन किया।
1973: लंदन स्टॉक एक्सचेंज में दो सौ साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए पहली बार महिलाओं को भर्ती किया गया।
1992: हेवीवेट बॉक्सिंग चैम्पियन माइक टायसन को बलात्कार के मामले में 10 वर्ष कारावास की सजा।
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