कुतुबमीनार परिसर में पूजा के अधिकार मामले में गुरुवार को साकेत कोर्ट में सुनवाई हुई, जहां अतिरिक्त जिला न्यायाधीश दिनेश कुमार की अदालत में हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें पेश कीं। दलीलों को सुनकर न्यायाधीश ने उनसे सवाल-जवाब किए। इस दौरान हिंदू पक्ष ने कुतुबमीनार में अपमानजनक स्थिति में लगीं मूर्तियों पर दुख जताया। इस पर अदालत ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मूर्तियों को सही करवाए, ताकि लोगों की आस्था को ठेस न पहुंचे।
फिलहाल इस मामले में अगली सुनवाई 24 अप्रैल को होगी। उस दौरान हिंदू पक्ष बाकी दलीलें पेश करेगा। हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने सुनवाई के दौरान कहा कि कुतुबमीनार को 27 जैन व हिंदू मंदिरों को तोड़कर बनाया गया है, इसलिए यहां पूजा का अधिकार मांगने के लिए याचिका दायर की गई है।
हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन की दलील पर न्यायाधीश ने पूछा कि क्या आप वर्तमान ढांचे का ध्वस्तीकरण चाहते हैं? इस पर हिंदू पक्ष के वकील ने कहा कि हम नहीं चाहते हैं कि वर्तमान ढांचे का ध्वस्तीकरण किया जाए। हिंदू धर्म के अनुसार यदि एक बार किसी मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा कर दी जाए तो वह हमेशा मंदिर ही रहता है। इसलिए हम परिसर में पूजा का अधिकार वापस पाना चाहते हैं।
न्यायाधीश ने हिंदू पक्षकार से पूछा कि आखिर आपके पास ऐसे क्या आधार हैं, जिनसे ये माना जाए कि वहां मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी? इस पर जैन ने कहा कि आज भी परिसर में लौह स्तंभ मौजूद हैं, जिनमें संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं। लौह स्तंभ विष्णु भगवान की पताका है। उन्होंने यह भी कहा कि आज भी कई देवी-देवताओं की मूर्तियां कुतुबमीनार परिसर में लगी हुई हैं।
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