सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते हैं। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हरियाणा और पंजाब राज्यों को मिलकर मामले का हल निकालना होगा।
कोर्ट ने कहा कि आखिरकार दोनों इसी देश के ही राज्य हैं। दोनों राज्य बैठक कर मामले का हल निकालें। साथ ही केंद्र को भी इस मुद्दे पर मध्यस्त के तौर पर सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश देते हुए दो महीने में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इस मामले पर केंद्र सरकार ने कहा है कि पंजाब सरकार ने साझा करने के लिए पानी नहीं होने का हवाला देते हुए निर्माण से इनकार कर दिया है।
सुनवाई के दौरान 19 जून को हरियाणा सरकार ने बताया था कि दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के बीच दो दौर की मीटिंग हो चुकी है लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला है। अब सुप्रीम कोर्ट को ही इस पर सुनवाई कर हल निकालना होगा। इस मामले में पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अमल के लिए तैयार नहीं है। 10 नवंबर, 2016 सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पंजाब जल बंटवारे पर एकतरफा संधि निरस्त नहीं की जा सकती। निर्माण कार्य जारी रहेगा।
एसवाईएल नहर से जल बंटवारे के विवाद पर संविधान पीठ के पांचों जजों ने कहा था कि पंजाब हरियाणा से एकतरफा जल बंटवारे पर एकतरफा संधि निरस्त नहीं कर सकता। कोर्ट ने पंजाब विधानसभा के संधि निरस्त करने के प्रस्ताव को भी गैरकानूनी करार दिया था।
टिप्पणियाँ