केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कुपवाड़ा जिले के करनाह सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास माता शारदा देवी मंदिर का ई-उद्घाटन किया। गृह मंत्री ने कहा कि माता शारदा मंदिर हमारे नए साल के शुभ अवसर पर भक्तों के लिए खोला जा रहा है। यह देशभर के भक्तों के लिए शुभ शगुन है। माता शारदा की कृपा अब आने वाली सदियों तक पूरे देश पर बनी रहेगी। शाह ने खेद व्यक्त किया कि वह शारीरिक रूप से उस स्थान पर उपस्थित नहीं हो सके। उन्होंने कहा कि जब भी मैं जम्मू-कश्मीर का दौरा करूंगा, मैं माता शारदा देवी मंदिर में मत्था टेककर अपनी यात्रा शुरू करूंगा।
बता दें कि जिस जगह इस मंदिर का नव निर्माण किया गया है यह पहले शारदा पीठ को जाने वाली यात्रा का द्वार कहा जाता था, इस स्थान पर यात्रियों के लिए धर्मशाला हुआ करती थी। शारदा पीठ जाने वाले यात्री यहीं पर विश्राम करने के बाद यहां मत्था टेककर अपनी शुरू किया करते थे। स्थानीय लोगों के अनुसार यहां पिछले 70 सालों से पूजा नहीं हुई थी।
फिर इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए सेव शारदा समिति ने एक मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया। समिति में तीन स्थानीय मुस्लिम, एक सिख और कश्मीरी पंडित शामिल थे। उत्तरी कश्मीर के टिटवाल गांव में 28 मार्च को माता शारदा मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। दिसंबर 2021 के महीने में इस भूमि पर पारंपरिक पूजा की गई।
बता दें की शारदा पीठ आज पाकिस्तान द्वारा अधिकृत कश्मीर में स्थित है, शारदा पीठ पर महाराज अशोक ने 237 ईसा पूर्व में मंदिर को बनवाया था। यहां देशभर के लोग दर्शन करने आते थे। इतिहासकारों के अनुसार, शारदा पीठ मंदिर अमरनाथ और अनंतनाग के मार्तंड सूर्य मंदिर की तरह की कश्मीरी पंडितों के लिए श्रद्धा का केंद्र रहा।
14 वीं शताब्दी तक कई बार प्राकृतिक आपदाओं के कारण मंदिर को लगातार नुकसान पहुंचता रहा। विदेशी आक्रमणों में भी काफी नुकसान हुआ। मंदिर की आखिरी बार मरम्मत 19वीं सदी के महाराजा गुलाब सिंह ने कराई थी।
उद्घाटन के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा- यह एक नई सुबह की शुरुआत है जो माता शारदा देवी के आशीर्वाद और नियंत्रण रेखा के दोनों ओर नागरिक समाज सहित लोगों के संयुक्त प्रयासों से संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि मैं शारदा समिति के अध्यक्ष रवींद्र को इतने वर्षों के संघर्ष के लिए अपनी शुभकामनाएं और आभार व्यक्त करता हूं, जो अब रंग लाया है। यह कदम सिर्फ एक मंदिर का जीर्णाेद्धार नहीं है, बल्कि शारदा संस्कृति को पुनर्जीवित करने की खोज की शुरुआत है।
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को खत्म करना केंद्र शासित प्रदेश को इसकी पुरानी परंपराएं, संस्कृति और गंगा-जमुना तहजीब की ओर वापस ले जा रहा है। साथ ही कहा कि मंदिर का खुलना नई सुबह की शुरुआत है और शारदा संस्कृति को पुनर्जीवित करने की तलाश है।
शाह ने कहा कि शारदा पीठ को कभी भारतीय उपमहाद्वीप में शिक्षा का केंद्र माना जाता था। करतारपुर कॉरिडोर की तर्ज पर नियंत्रण रेखा के पार शारदा पीठ खोलने की पंडिता की मांग का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र निश्चित रूप से इस पर प्रयास करेगा और इसमें कोई संदेह नहीं है।
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद कश्मीर में शांति स्थापित हुई है और इसने घाटी के साथ-साथ जम्मू को भी अपनी पुरानी परंपराओं, संस्कृति और गंगा-जमुना तहजीब में वापस ले लिया है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर ने सामाजिक और आर्थिक बदलाव की दिशा में सभी क्षेत्रों में पहल की है, जिसके तहत धार्मिक महत्व के 123 चुनिंदा स्थानों पर जीर्णाेद्धार का काम चल रहा है। जियारत शरीफ रेशिमाला, राम मंदिर, सफाकदल मंदिर, हलौती गोम्पा मंदिर, जगन्नाथ मंदिर सहित कई मंदिरों और सूफी स्थलों का जीर्णाेद्धार किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 65 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है और पहले चरण में 35 स्थानों का जीर्णाेद्धार और पुनरुद्धार किया जाएगा। गृह मंत्री ने कहा कि 75 धार्मिक स्थलों और सूफी मंदिरों की पहचान की गई और 31 मेगा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए और हर जिले में 20 सांस्कृतिक उत्सव भी आयोजित किए गए।
उप राज्यपाल मनोज सिन्हा को बधाई देते हुए अमित शाह ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने जुनून के साथ काम किया है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक निवेश लाने में एक बड़ी भूमिका निभाई है। मैं इसके लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन और उसके प्रमुख मनोज सिन्हा को बधाई देता हूं और उनकी प्रशंसा करता हूं। केंद्रीय मंत्री ने उत्तर कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में मंदिर के उद्घाटन के लिए दोनों पक्षों पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ जम्मू और कश्मीर के सभी नागरिक समाज के लोगों का भी आभार व्यक्त किया।
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