वनवासी संस्कृति में रची-बसी लहरी ने अपनी दादी से मोटे अनाज के लाभ के बारे में जाना। उसके बाद अपना जीवन ही बीजों को संरक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया।
वनवासी संस्कृति, मोटे अनाज के लाभ, डिंडोरी जिले के सिलपाड़ी , ‘बीजों को संरक्षित, ब्रांड एंबेसडर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मध्य प्रदेश की बैगा वनवासी महिला लहरी बाई को जब ‘अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष’ के लिए ‘ब्रांड एंबेसडर’ घोषित किया गया तो बहुत से लोगों के लिए यह नया नाम था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके काम की सराहना के बाद तो गूगल पर उन्हें सर्च किया जाने लगा।
धीरे-धीरे उनके बारे में मीडिया में ज्यादा से ज्यादा जानकारी आने लगी और तब पता चला कि आखिर लहरी बाई वह महिला हैं, जिन्होंने 150 तरह के अनाजों का एक बीज बैंक बनाया है। वनवासी संस्कृति में रची-बसी लहरी ने अपनी दादी से मोटे अनाज के लाभ के बारे में जाना। उसके बाद अपना जीवन ही बीजों को संरक्षित करने के लिए समर्पित कर दिया।
डिंडोरी जिले के सिलपाड़ी के सुदूर गांव की रहने वाली लहरी ने 18 साल की उम्र से बीजों को एकत्र करना शुरू कर दिया था। वह आस-पास के गांवों में जाकर जंगलों और खेतों से बीज इकट्ठा करती हैं और फिर घर में उन्हें संरक्षित करती हैं। उनके पास कुटकी, सांवा, मडुआ और कोदो जैसे छोटे-मोटे अनाजों समेत 150 किस्मों के दुर्लभ बीज संरक्षित हैं, जिन्हें लहरी बाई ने अपनी सालों की मेहनत से संजोया है।
खास बात यह है कि इन बीजों को बचाए रखने के लिए वह समय-समय पर इनकी खेती भी करती हैं। साथ ही गांव के आसपास के किसानों को अपने दुर्लभ बीज बांटती भी रहती हैं, जिसके बदले में किसान उन्हें उपहार स्वरूप कुछ फसल देते हैं।
लहरी बाई बताती हैं, ‘‘बीजों को संरक्षित करने में खुशी होती है। मैं 10 साल से यह काम कर रही हूं। मैं जहां भी जाती हूं, वहां मोटे अनाजों के बीज खोजती हूं और इन्हें अपने घर में जमा कर लेती हूं। पहले जब मैं ऐसा करती थी तो मेरे ही लोग मेरा उपहास उड़ाते थे। उन्हें लगता था कि ये फजूल का काम है। लेकिन इन सब चीजों को पीछे छोड़कर मैं अपना काम करती रही। मन में सिर्फ दो ही चीजें थीं- पहली, शादी न करके अपने माता-पिता की सेवा करना और दूसरी, मोटे अनाज के बीजों का संरक्षण करके इनकी खेती को बढ़ावा देना। क्योंकि पहले जिन बीजों से खेती की जाती थी, वे लगभग विलुप्त होने के कगार हैं।
16 तरह के बीज तो लुप्त ही हो गए हैं। ऐसे में इन्हें संरक्षित करने के लिए ही मैंने अपना देसी बीज बैंक बनाया, ताकि इनका स्वाद और पौष्टिकता आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचती रहे। मुझे खुशी है कि अब वही लोग जो कल उपहास उड़ाते थे, वे हमारे साथ हैं।’’ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट किया था, जिसमें लिखा था, उन्हें लहरी बाई पर गर्व है, जिन्होंने श्री अन्न के प्रति उल्लेखनीय उत्साह दिखाया है। उनके प्रयास कई अन्य लोगों को प्रेरित करेंगे।
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