स्ट्रॉबेरी ने जीवन में भरी मिठास
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

स्ट्रॉबेरी ने जीवन में भरी मिठास

पलामू के विवेक दुबे ने नौकरी छोड़कर पांच एकड़ बंजर भूमि पर स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की। आज वे 35 एकड़ में खेती कर रहे हैं और 50 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं

by रितेश कश्यप
Mar 22, 2023, 02:54 pm IST
in भारत, बिहार
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अक्सर देखा जाता है कि किसी मध्यमवर्गीय परिवार के लोग अपने बच्चों को शिक्षित कर उनसे अच्छी नौकरी करने की उम्मीद करते हैं। विवेक दुबे से भी यही उम्मीद की गई थी। हालांकि उन्होंने घर वालों का मान भी रखा और एमसीए करने के बाद कुछ समय तक नौकरी भी की। पर उन्हें अपनी मिट्टी से इतना लगाव है कि कुछ समय बाद सब कुछ छोड़कर अपने गांव लौट आए। विवेक ने घर वालों को बताया कि वे खेती करना चाहते हैं।

उनकी इस बात को सुनकर उनके पिता अशोक कुमार दुबे, जो भूतपूर्व सैनिक हैं और माता अमरावती देवी दंग रह गई। लेकिन दोनों को अपने बेटे पर इतना भरोसा था कि वह जो करेगा अच्छा ही करेगा। इसलिए उन दोनों ने विवेक का हौसला बढ़ाया। उसका परिणाम यह हुआ है कि आज विवेक खेती से ही लाखों रुपए महीना कमा रहे हैं और लगभग 50 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। विवेक झारखंड में पलामू जिले के मेदनी प्रखंड स्थित बारालोटा गांव के रहने वाले हैं।

विवेक की प्रेरणा से उच्च शिक्षित दूसरे युवा भी खेती करने लगे हैं।
वास्तव में विवेक की हिम्मत और मेहनत गजब की है।
इन दोनों की बदौलत ही वे आज नई ऊंचाई को छू रहे हैं। 

खेती के लिए विवेक ने पलामू के अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र नावा बाजार प्रखंड के कंडा गांव में पांच एकड़ जमीन पट्टे पर ली। इसके बाद उसमें वे नई तकनीक से स्ट्रॉबेरी की खेती करने लगे। कार्य शुरू करने से पहले उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती का गहरा अध्ययन किया। इसके बाद अपने दोस्त प्रवीण सिंह के साथ काम शुरू किया। धीरे-धीरे दोनों की मेहनत रंग दिखाने लगी। स्ट्रॉबेरी की खेती ने उन्हें आशातीत सफलता दिलाई। इसके बाद दोनों कार्य का विस्तार करते गए।

वर्तमान में दोनोें लगभग 35 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। स्ट्रॉबेरी के साथ-साथ थाई अमरूद, गोल्डन शरीफा, काला धान, काला चावल सहित कई तरह की मौसमी फसलों को भी उपजा रहे हैं। कह सकते हैं कि इस खेती को विवेक ने उद्योग का रूप दे दिया है। विवेक बताते हैं, ‘‘शुरुआत में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

जानकारी के अभाव में फसलों में कई प्रकार के कीड़े-मकोड़े लग जाते थे और फसल खराब हो जाती थी। अध्ययन के बाद इसका निदान निकाला तो बाजार और कामगारों की चुनौती आई। हालांकि जल्दी ही ये चुनौतियां भी समाप्त हो गई। धीरे-धीरे समाज के सभी लोगों का भी सहयोग प्राप्त होने लगा। इस कारण कार्य आसान हो गया।’’ उन्होंने यह भी बताया कि भारत के अंदर खेती में भी असीम संभावनाएं हैं, लेकिन पढ़े-लिखे लोग इसे हीन भावना से देखते हैं, यह नजरिया बदलना चाहिए।

विवेक खेती के लिए हर तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने बूंद-बूंद सिंचाई को अपनाया है। वे एक साथ कई फसलों को उगा रहे हैं, पूरी तरह जैविक खेती कर रहे हैं। बता दें कि उन्होंने बंजर भूमि को पट्टे पर लिया था। अब वे उस जमीन पर ‘सोना’ उगा रहे हैं। उनके इस प्रयोग को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। उनकी देखादेखी अन्य किसानों ने भी नई तकनीक से खेती करना शुरू कर दिया है।

आसपास के विद्यालयों के छात्र भी विवेक की खेती को देखने आते हैं। विवेक की प्रेरणा से उच्च शिक्षित दूसरे युवा भी खेती करने लगे हैं।
वास्तव में विवेक की हिम्मत और मेहनत गजब की है। इन दोनों की बदौलत ही वे आज नई ऊंचाई को छू रहे हैं।

Topics: golden custard appleगोल्डन शरीफाblack paddyकाला धानblack riceकाला चावलstrawberry filled sweetness in lifeOwn soilनई तकनीकVivek Jharkhandअपनी मिट्टीPalamu districtविवेक झारखंडMedni blockपलामू जिलेnew technologyमेदनी प्रखंडstrawberry cultivationस्ट्रॉबेरी की खेतीguavaअमरूद
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मौसम के अनुरूप हो भोजन

डाइट में शामिल करें ब्लैक राइस, सेहत को होंगे ये जबरदस्त फायदे

जल प्रबंधन से फिर लहलहा उठे हैं 105 गांव के खेत

शिवाजी का वंशज ‘105 गांव-समाज’

छोटी दुकान से बड़े ब्रांड की यात्रा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

­जमालुद्दीन ऊर्फ मौलाना छांगुर जैसी ‘जिहादी’ मानसिकता राष्ट्र के लिए खतरनाक

“एक आंदोलन जो छात्र नहीं, राष्ट्र निर्माण करता है”

‘उदयपुर फाइल्स’ पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इंकार, हाईकोर्ट ने दिया ‘स्पेशल स्क्रीनिंग’ का आदेश

उत्तराखंड में बुजुर्गों को मिलेगा न्याय और सम्मान, सीएम धामी ने सभी DM को कहा- ‘तुरंत करें समस्याओं का समाधान’

दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना और इसका भारत पर प्रभाव

उत्तराखंड : सील पड़े स्लाटर हाउस को खोलने के लिए प्रशासन पर दबाव

पंजाब में ISI-रिंदा की आतंकी साजिश नाकाम, बॉर्डर से दो AK-47 राइफलें व ग्रेनेड बरामद

बस्तर में पहली बार इतनी संख्या में लोगों ने घर वापसी की है।

जानिए क्यों है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का गुरु ‘भगवा ध्वज’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies