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एमबीए छोड़ ड्रैगन फ्रूट से चमकाई किस्मत

बरेली के यशपाल को नौकरी में जितना वेतन मिलता था, आज उससे कई गुना अधिक सवा साल में ही खेती से कमा कर क्षेत्र के दूसरे किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने हैं

by अनुरोध भारद्वाज
Mar 22, 2023, 08:35 am IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
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उत्तर प्रदेश के बरेली के महिला पट्टी गांव के प्रगतिशील कृषक यशपाल ने आपदा में अवसर तलाश कर रुहेलखंड में किसानों के सामने उन्नति की नई मिसाल पेश की है। एमबीए करने के बाद यशपाल प्राइवेट नौकरी करते थे। कोविड महामारी में नौकरी छूटी तो उन्होंने शोध और तकनीक के साथ कृषि की राह पकड़ ली। मेहनत रंग लाई और महज सवा साल के अंदर ही नौकरी से कई गुना अधिक आमदनी हासिल कर वह सबके लिए प्रेरणा बन गए हैं।

यशपाल बरेली के पहले ड्रैगन फ्रूट उत्पादक हैं। कोरोना के दौरान घर में गैस सिलेंडर में आग लगने से वह झुलस गए थे। लंबे समय तक इलाज भी चला। इस कारण नौकरी छूट गई। पिता, भाई सब नौकरीपेशा थे। हादसे से उबरने के बाद यशपाल ने जब कृषि करने की सोची, तो परिवार ने नौकरी करने की सलाह दी। लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे तो परिजन भी मान गए। यशपाल के पास लगभग 5 एकड़ जमीन थी, जिसमें गन्ना, गेहूं आदि फसलें होती थीं।

लेकिन निचला इलाका होने के कारण बारिश के समय खेत में पानी भर जाता था, जिससे फसलें बर्बाद हो जाती थीं। इसलिए उन्होंने खेत के एक हिस्से को ऊंचा किया, फिर उसमें ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की। पहले उन्होंने सोशल मीडिया से उन्नत खेती से जुड़ी जानकारियां जुटाई, फिर हरियाणा के पानीपत में ड्रैगन फ्रूट उत्पादक से प्रशिक्षण लिया। शुरू में उन्होंने सिर्फ 48 पौधे लगाए। सर्दी में फंगस का डर था, तो लगातार एक-एक पौधे की रोज निगरानी की।

इस तरह सभी 48 पौधे स्वस्थ रहे और 15 महीने में 40 किलो ड्रैगन फ्रूट प्राप्त हुए। 450-500 रूपये प्रति किलो के हिसाब से फल बिके और 20 हजार की आमदनी हुई, जो खर्च से सवा गुनी अधिक थी। प्रयोग सफल रहा तो उन्होंने एक एकड़ में इसकी खेती की। इस पर लगभग 10 लाख रुपये की लागत आई और आमदनी 20 लाख रुपये से अधिक हुई। इसके बाद उन्होंने ढाई एकड़ में ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए, जो तैयार हो रहे हैं। अब वह 10 एकड़ में नया ड्रैगन फ्रूट फार्म तैयार कर रहे हैं। साथ ही, मत्स्य पालन के लिए फार्म के एक हिस्से में तालाब भी खुदवाए हैं। वे दूसरे किसानों की भी सहायता कर रहे हैं। यशपाल कहते हैं कि खेती में समय के साथ तकनीक का इस्तेमाल जरूरी है।

दो-चार एकड़ जोत वाले किसान पांरपरिक खेती से उतना लाभ नहीं ले सकते, जितना फल और सब्जियां देती हैं। उनके लिए ड्रैगन फ्रूट की बागवानी अच्छा विकल्प बन सकती है। इसे सिर्फ एक बार लगाना होता है और 20-25 साल तक हर साल फल मिलता है। देश में ड्रैगन फ्रूट की मांग के मुकाबले उत्पादन बहुत कम है। इसलिए, बरेली जैसे छोटे शहर में भी अच्छी कीमत मिल जाती है। ड्रैगन फ्रूट का पौध कैक्टस की तरह होता है। इसके लिए खेत में लगभग 5 फीट ऊंचा खंभा लगाना पड़ता है। एक खंभे के सहारे चार पौधे खड़े हो जाते हैं। एक खंभे पर अमूमन 20 से 25 किलो ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन होता है।

Topics: Bareillyप्रगतिशील कृषकड्रैगन फ्रूटयशपालProgressive farmerdragon fruitYashpalleave MBA and shine with dragon fruitबरेली
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