रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी गिरफ्तारी के वारंट को मॉस्को ने निराधार बताते हुए उसे ‘टॉयलेट पेपर’ की संज्ञा दी है। रूस—यूक्रेन युद्ध को एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद, ‘युद्ध अपराधों’ को लेकर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट आज दुनियाभर में कौतुहल का विषय बना हुआ है।
पुतिन के निर्देश पर अभी तक यूक्रेन के कई बड़े शहरों पर मिसाइलें बरस चुकी हैं, और तबाही का नजारा पसरा पड़ा है। लेकिन अब भी युद्ध किसी सिरे तक पहुंचता नहीं दिख रहा है। ऐसे में दो दिन बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने ‘मित्र देश’ रूस जाने वाले हैं। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि युद्ध में कोई बड़ज्ञ बदलाव देखने में आ सकता है।
लेकिन रूस से चिढ़े पश्चिमी देशों और अमेरिका का गुट यूक्रेन को ‘हर तरह की मदद’ के वायदे पर कायम दिखता है। राष्ट्रपति पुतिन के विरुद्ध अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जारी कल जारी हुआ पुतिन के विरुद्ध ‘यूक्रेन में किए युद्ध अपराधों’ पर गिरफ्तारी वारंट पश्चिमी देशों को भले ‘उम्मीद’ बांध रहा हो, लेकिन मॉस्को इस कदम पर बौखलाया हुआ है, उसने इसे बेमतलब का बताया है।
मुख्य अभियोजक जनरल एंड्री कोस्टिन का कहना है कि यह यूक्रेन और पूरी अंतरराष्ट्रीय कानून प्रणाली के लिहाज से एक ऐतिहासिक कदम है। वहीं एक अन्य न्यायिक अधिकारी का कहना है कि यह वारंट जारी होना तो बस एक शुरुआत है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अभियोजक करीम खान की तरफ से करीब साल भर पहले यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों, ‘मानवता के विरुद्ध अपराधों तथा नरसंहार’ की जांच आरम्भ की गई थी
अंतरराष्ट्रीय मीडिया, विशेषकर पश्चिमी मीडिया में युद्ध के दौरान ‘रूसी सैनिकों द्वारा यूक्रेन में अत्याचार किए जाने के आरोप’ लगाते जाते रहे हैं। ऐसे तमाम आरोपों को रूस ने निराधार बताया है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पुतिन के विरुद्ध जो गिरफ्तार वारंट जारी किया है उसमें ‘बच्चों के अवैध निर्वासन’ तथा ‘यूक्रेन इलाके से लोगों को अवैध तरीके से रूस ले जाने का शक’ होने के आरोप लगाए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने रूस की बाल अधिकार आयुक्त मारिया लावोवा बेलोवा के विरुद्ध भी ऐसे ही आरोप लगाते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने इस विषय पर जारी बयान में कहा है, ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के निर्णयों का हमारे देश से कोई मतलब नहीं है, इसमें कानूनी पक्ष भी शामिल है।’
जखारोवा ने आगे कहा है कि उन्होंने आगे कहा कि रूस अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के ‘रोम कानून’ से नहीं जुड़ा है। उधर, यूक्रेन के अधिकारियों ने इस गिरफ्तारी वारंट के जारी होने का समर्थन किया है। मुख्य अभियोजक जनरल एंड्री कोस्टिन का कहना है कि यह यूक्रेन और पूरी अंतरराष्ट्रीय कानून प्रणाली के लिहाज से एक ऐतिहासिक कदम है। वहीं एक अन्य न्यायिक अधिकारी का कहना है कि यह वारंट जारी होना तो बस एक शुरुआत है। अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अभियोजक करीम खान की तरफ से करीब साल भर पहले यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों, ‘मानवता के विरुद्ध अपराधों तथा नरसंहार’ की जांच आरम्भ की गई थी।
रूस-यूक्रेन युद्ध में इस ताजा घटनाक्रम के बीच एक और विषय अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों की उत्सुकता जगा रहा है। वह है दो दिन बाद चीन के राष्ट्रपति का रूस दौरा। तीन दिन के इस दौरे में रूस के राष्ट्रपति पुतिन से मिलने वाले हैं। अभी कुछ दिन पहले ही बीजिंग ने एक 12 सूत्रीय प्रस्ताव जारी किया था, जिसे चीन के समर्थक देशों ने ‘शांति प्रस्ताव’ कहकर प्रचारित किया था। कहा गया था कि यह प्रस्ताव युद्ध को रोकने की दिशा में कोई पहल कर सकता है। ऐसे में पुतिन-शी की वार्ता पर बहुत गहरी नजर रखी जाएगी। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के रूस के इस दौरे बहुत हद तक अमेरिका सहित अनेक पश्चिमी देशों से बीजिंग के संबंध और बिगड़ने की संभावना है।
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