लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट, जिन्होंने 6 गुना बड़ी ब्रिटिश सेना को भागने पर कर दिया था मजबूर
Tuesday, May 30, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
    • Podcast Series
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत उत्तराखंड

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट, जिन्होंने 6 गुना बड़ी ब्रिटिश सेना को भागने पर कर दिया था मजबूर

आजाद हिन्द फौज के जांबाज सैनिक ज्ञानसिंह बिष्ट का जन्म उत्तराखण्ड में ग्राम खंडूड़ी, बंडपट्टी, चमोली में दयाल सिंह के घर 1914 में हुआ था।

उत्तराखंड ब्यूरो by उत्तराखंड ब्यूरो
Mar 17, 2023, 01:05 pm IST
in उत्तराखंड
लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट (फाइल फोटो)

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट (फाइल फोटो)

Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट जिन्होंने अपने से 6 गुना बड़ी ब्रिटिश सेना को भागने पर मजबूर कर दिया था। सिंगापुर के ऑफिसर्स ट्रेनिंग स्कूल में प्रशिक्षित लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट इस सैन्य कंपनी के नायक थे। अपने सैनिकों से प्रायः कहने वाले “मैं सबके साथ युद्ध के मैदान में ही लड़ते-लड़ते मरना चाहता हूं” ज्ञानसिंह बिष्ट बहुत साहसी तथा अपनी कंपनी में बेहद लोकप्रिय थे।

आजाद हिन्द फौज के जांबाज सैनिक ज्ञानसिंह बिष्ट का जन्म देवभूमि उत्तराखण्ड में ग्राम खंडूड़ी, बंडपट्टी, चमोली में दयाल सिंह के घर सन 1914 में हुआ था। वह 12 सितम्बर सन 1932 को ब्रिटिश भारत की रायल गढ़वाल रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। मलाया में ब्रिटिश भारतीय सेना के भारतीय सैनिकों को मिलाकर आजाद हिन्द फौज की स्थापना हुई थी। आजाद हिन्द फौज में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने उन्हें सेकेंड लेफ्टिनेंट की जिम्मेदारी से नवाजा था। आजाद हिन्द फौज की नेहरू ब्रिगेड का इन्हें कमांडर बनाया गया था। आजाद हिन्द फौज की नेहरू ब्रिगेड को म्यांमार में इरावदी मोर्चे पर लगाया गया था। 16 मार्च सन 1945 को हुए सादे पहाड़ी के युद्ध में भारतीय सेना की “ए” कंपनी ने अंग्रेजों को पराजित किया था। इस पराजय से चिढ़कर अंग्रेजों ने अगले दिन आजाद हिन्द फौज की “बी” कंपनी पर हमला करने की योजना बनाई थी।

17 मार्च सन 1945 को आजाद हिन्द फौज की नेहरू ब्रिगेड ने टौंगगिन स्थान पर ब्रिटिश सेना के विरुद्ध भयानक युद्ध किया था। द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों एवं मित्र देशों की सामरिक शक्ति अधिक होने पर भी आजाद हिन्द फौज के सेनानी उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे थे। लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट के अदम्य साहस और रण कौशल की प्रशंसा करते हुए मेजर शाहनवाज खाँ ने पुस्तक “माई मेमरीज ऑफ आई.एन.ए एण्ड इट्स नेताजी” में लिखा है कि एक कुंजी के स्थान पर लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट की ‘बी’ कम्पनी नियुक्त थी। यह “बी” कंपनी सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण स्थान पर तैनात थी। तीन सड़कों के संगम वाले इस मार्ग के पास एक पहाड़ी थी, जिस पर शत्रुओं की तोपें लगी थीं। “बी” कंपनी में केवल 98 जवान थे। लेफ्टिनेंट ज्ञान सिंह बिष्ट का आदेश था कि किसी भी कीमत पर शत्रु को इस मार्ग पर कब्जा नहीं करने देना है। आजाद हिन्द फौज के सैनिकों के पास कोई भारी अथवा आधुनिक मशीनगनें भी नहीं थी, केवल राइफल्स के सहारे इन्होंने युद्ध लड़ा था।

17 मार्च सन 1945 को प्रातः होते ही अंग्रेजों ने अपनी तोपों के मुंह खोल दिये, उसकी आड़ में वे अपनी बख्तरबंद गाड़ियों में बैठकर आगे बढ़ रहे थे। खाइयों में मोर्चा लिये भारतीय सैनिकों को मौत की नींद सुलाने के लिए वह लगातार गोले भी बरसा रहे थे। दोपहर लगभग साढ़े बारह बजे आगे बढ़ती हुई अंग्रेज सेना दो भागों में बंट गयी। एक ने “ए” कंपनी पर हमला बोला और दूसरी ने “बी” कंपनी पर आक्रमण किया। आजाद हिन्द फौज की “बी” कंपनी के सैनिक भी गोली चला रहे थे, पर टैंक और बख्तरबंद वाहनों पर उनका कोई असर नहीं हो रहा था। लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट के पास अपने मुख्यालय पर संदेश भेजने का कोई संचार साधन भी उपलब्ध नहीं था। जब लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट ने देखा कि अंग्रेजों के टैंक उन्हें कुचलने पर तुले हैं, तो उन्होंने कुछ बम फेंके, पर दुर्भाग्यवश वह भी नहीं फटे। यह देखकर उन्होंने सब साथियों को आदेश दिया कि वह खाइयों को छोड़कर बाहर निकलें और शत्रुओं को मारते हुए ही मृत्यु का वरण करें। सबसे आगे लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट को देखकर सब जवानों ने उनका अनुसरण किया। ‘भारत माता की जय’ और ‘नेता जी अमर रहें’ का उद्घोष कर वह समरांगण में कूद पड़े थे।

युद्धक्षेत्र में टैंकों के पीछे अंग्रेज सेना की पैदल सैन्य टुकड़ी थीं। आजाद हिन्द फौज के सैनिक उन्हें घेर कर मारने लगे तो कुछ सैनिकों ने टैंकों और बख्तरबंद वाहनों पर भी हमला कर दिया था। दो घंटे तक हुए आमने-सामने के भीषण युद्ध में 40 भारतीय जवानों ने प्राणाहुति दी, परन्तु उनसे चार गुना अधिक शत्रु भी मारे गये थे। अपनी सेना को तेजी से मरते–घटते देख अंग्रेज सैनिक भाग खड़े हुए। लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट उन्हें पूरी तरह खदेड़ने के लिए अपने शेष सैनिकों को एकत्र करने लगे, वह इस मोर्चे को पूरी तरह जीतना चाहते थे। तभी अचानक शत्रु पक्ष की एक गोली सीधे उनके माथे में जा लगी “जयहिंद” का नारा लगाते हुए वह वहीं गिर पड़े और तत्काल ही उनका प्राणांत हो गया था। अपने सैनिकों को वह अक्सर कहते थे कि वह अपने सैनिकों के साथ ही मरेंगे और यही हुआ। लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट के इस बलिदान से उनके सैनिक उत्तेजित होकर गोलियां बरसाते हुए शत्रुओं का पीछा करने लगे तो अंग्रेज सैनिक डरकर उस मोर्चे को ही छोड़ गये और फिर कभी लौटकर नहीं आये।

लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट ने बलिदान देकर जहां उस महत्वपूर्ण सामरिक केन्द्र की रक्षा की, वहीं उन्होंने सैनिकों के साथ लड़ते हुए मरने का अपना संकल्प भी पूरा कर दिखाया था।

Topics: uttarakhand newsउत्तराखंड समाचारलेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्टज्ञानसिंह बिष्ट पर लेख का जीवनLt. Gyan Singh BishtContribution of Lt. Gyan Singh BishtArticles on Lt. Gyan Singh BishtLife of Articles on Gyan Singh Bisht
ShareTweetSendShareSend
Previous News

पुलिस चौकी पर मदीना मस्जिद ट्रस्ट का कब्जा!

Next News

कोरोना वायरस के दो नए वेरिएंट की दस्तक, जानें लक्षण

संबंधित समाचार

उत्‍तरकाशी : नाबालिग छात्रा को भगाकर ले जाने वाला उबेद और उसका साथी गिरफ्तार, हिंदू संगठनों का फूटा गुस्सा

उत्‍तरकाशी : नाबालिग छात्रा को भगाकर ले जाने वाला उबेद और उसका साथी गिरफ्तार, हिंदू संगठनों का फूटा गुस्सा

उत्तराखंड : मोदी सरकार के 9 साल पूरे, सीएम धामी बोले- देश सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित

उत्तराखंड : मोदी सरकार के 9 साल पूरे, सीएम धामी बोले- देश सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित

उत्तराखंड : मजहबी जमात के प्रभाव से जनसंख्या असंतुलन

उत्तराखंड : मजहबी जमात के प्रभाव से जनसंख्या असंतुलन

उत्तराखंड : कॉर्बेट सिटी रामनगर में सक्रिय हुए टूलकिट्स, अतिक्रमण हटाने के विरोध में होने लगी ढफली बाजी

उत्तराखंड : कॉर्बेट सिटी रामनगर में सक्रिय हुए टूलकिट्स, अतिक्रमण हटाने के विरोध में होने लगी ढफली बाजी

उत्तराखंड : एक माह में बाबा केदार के दर्शन करने पहुंचे पांच लाख श्रद्धालु

उत्तराखंड : एक माह में बाबा केदार के दर्शन करने पहुंचे पांच लाख श्रद्धालु

उत्तराखंड : मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में पीएम मोदी के सामने सीएम धामी ने रखा सरकार की योजनाओं का ब्यौरा

उत्तराखंड : मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में पीएम मोदी के सामने सीएम धामी ने रखा सरकार की योजनाओं का ब्यौरा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मोहम्मद साहिल ने साक्षी पर इतने वार किए कि निकल आईं आतें, सिर के कर दिए थे टुकड़े

मोहम्मद साहिल ने साक्षी पर इतने वार किए कि निकल आईं आतें, सिर के कर दिए थे टुकड़े

#JusticeForSakshi: साक्षी के दोषी साहिल को तत्काल फांसी की सजा देने की मांग, न्याय के लिए एबीवीपी ने निकाला कैंडल मार्च

#JusticeForSakshi: साक्षी के दोषी साहिल को तत्काल फांसी की सजा देने की मांग, न्याय के लिए एबीवीपी ने निकाला कैंडल मार्च

आईएसआईएस से जुड़े संदिग्ध आतंकियों ने बनाया था “27 साल” का प्लान

आईएसआईएस से जुड़े संदिग्ध आतंकियों ने बनाया था “27 साल” का प्लान

उत्‍तरकाशी : नाबालिग छात्रा को भगाकर ले जाने वाला उबेद और उसका साथी गिरफ्तार, हिंदू संगठनों का फूटा गुस्सा

उत्‍तरकाशी : नाबालिग छात्रा को भगाकर ले जाने वाला उबेद और उसका साथी गिरफ्तार, हिंदू संगठनों का फूटा गुस्सा

भारतीय महिला टीम ने रचा इतिहास, वॉलीबॉल चैलेंज कप का जीता खिताब

भारतीय महिला टीम ने रचा इतिहास, वॉलीबॉल चैलेंज कप का जीता खिताब

नामीबिया-दक्षिण अफ्रीका से आए चीतों का नए सिरे से होगा संवर्धन, केंद्र देगा हर संभव सहायता

नामीबिया-दक्षिण अफ्रीका से आए चीतों का नए सिरे से होगा संवर्धन, केंद्र देगा हर संभव सहायता

पर्यावरण को लेकर योगी सरकार का बड़ा कदम, प्रदेश में चलेगी 100 इलेक्ट्रिक बसें

पर्यावरण को लेकर योगी सरकार का बड़ा कदम, प्रदेश में चलेगी 100 इलेक्ट्रिक बसें

9 साल में दुनिया में बढ़ा भारत का मान, हमें कोई आंख नहीं दिखा सकता- योगी

9 साल में दुनिया में बढ़ा भारत का मान, हमें कोई आंख नहीं दिखा सकता- योगी

उत्तराखंड : मोदी सरकार के 9 साल पूरे, सीएम धामी बोले- देश सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित

उत्तराखंड : मोदी सरकार के 9 साल पूरे, सीएम धामी बोले- देश सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को समर्पित

डॉ. हेडगेवार की प्रतिमा का अनावरण

डॉ. हेडगेवार की प्रतिमा का अनावरण

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies