केंद्र सरकार ने पिछले पांच साल में 1,827 गैर—सरकारी संगठनों (एनजीओ) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण रद्द कर दिया है।
जब से केंद्र में भाजपा की सरकार आई है, तब से उन गैर—सरकारी संगठनों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो रही है, जो नियम—कानून को ताक पर रखकर अपनी ‘दुकान’ चला रहे हैं। दरअसल, ये संगठन सेवा और शिक्षा की आड़ में एफसीआरए प्रमाणपत्र के जरिए विदेश से मोटी रकम लेते हैं, लेकिन उनका हिसाब नहीं देते हैं। यही नहीं, इनमें ज्यादातर संगठन मजहबी स्थलों के निर्माण और भोलेे—भाले लोगों के कन्वर्जन में भी लगे हैं। यानी ये लोग जिस उद्देश्य से विदेश से अनुदान लेते हैं, वह नहीं करते हैं। इसलिए केेंद्र सरकार ने इन संगठनों से हिसाब मांगा। इस पर कुछ एनजीओ के संचालक या तो चुप रहे या फिर कुछ इसे सरकारी ‘दमन’ बताकर अपने काले कारनामों को छिपाने में लग गए, लेकिन इनकी एक नहीं चल रही है। जो संगठन अपना हिसाब दे रहे हैं, वे तो अपना काम कर पा रहे हैं और जो नहीं दे रहे हैं, उनका एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द हो रहा है।
गत 15 मार्च को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में बताया कि पिछले पांच वर्ष अर्थात् 2018 से 2022 के बीच 1,827 गैर—संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र रद्द कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 32 में यह प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत किसी संगठन के विरुद्ध किसी भी कार्रवाई में दिए गए किसी भी आदेश में पुनरीक्षण कर सकती है। उन्होंने कहा कि नवम्बर, 2021 से अब तक, पुनरीक्षण के माध्यम से पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया नई दिल्ली और मिशनरीज ऑफ चैरिटी कोलकाता के एफसीआरए प्रमाणपत्र का नवीनीकरण किया गया था। उन्होंने यह भी बताया कि 10 मार्च, 2023 तक 16,383 संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण प्रमाणपत्र वैध है, जिनमें से 14,966 संगठनों ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अनिवार्य वार्षिक रिटर्न प्रस्तुत किया है।
नित्यानंद राय ने यह भी जानकारी दी है कि गत तीन वर्ष में भारतीय गैर—सरकारी संगठनों को 2430.84 करोड़ रु. का विदेशी अनुदान मिला है।
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